Bharat Biotech ने लगाई Fake News फैलाने वाले मीडिया संस्थानों की क्लास

इनसे भारत की सफलता नहीं सही जा रही!

भारत बायोटेक

देश को जब कोरोना ने पूरी तरह से जकड़ रखा था तो उस समय भारत बायोटेक ने Covaxin बना लोगों को राहत पहुंचाई थी। Covaxin  भारत में निर्मित Covid की पहली वैक्सीन है जिसका लोहा विश्व ने भी माना है। इसी बीच कुछ मानसिक कुंठा से पीड़ित तथाकथित मीडिया समूहों ने अपनी घटिया सोच से देश के वैक्सीन कार्यक्रम को बदनाम करने की कोशिश की। इस मामले में कोविड़ -19 वैक्सीन ‘Covaxin’ के निर्माता भारत बायोटेक ने वैक्सीन के बारे में कुछ मीडिया रिपोर्टों के जवाब में एक तथ्य जांच जारी की है।

आपको बता दें कि भारत का टीकाकरण अभियान दो टीकों पर निर्भर रहा है, जो सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के कोविशील्ड और भारत बायोटेक के कोवैक्सिन हैं। जहां सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशील्ड ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित की गई है, वहीं भारत बायोटेक की कोवैक्सिन को स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है, जो टीकाकरण अभियान में भारत की सफलता की कहानी गढ़ रही है।

जब से भारत सरकार ने Covaxin  को मंजूरी दी है, कई मीडिया हाउस स्वदेशी रूप से विकसित वैक्सीन के खिलाफ खुलेआम झूठ और गलत सूचना देने में लगे हुए हैं, जबकि इसकी प्रभावशीलता साबित हो चुकी है और अब इसे WHO द्वारा भी अनुमोदित किया गया है।

हाल ही में, भारत बायोटेक ने भारतीय मीडिया आउटलेट्स की हालिया मीडिया रिपोर्टों की एक सूची साझा की थी, जिसमें वो नाम थे जिन्होंने गलत सूचना फैलाई और वैक्सीन को लेकर भ्रम पैदा करने के लिए झूठ भी बोला। आपको बता दें कि कंपनी ने एक के बाद एक झूठ की ‘तथ्य-जांच’ की है।

आइये अब जानते हैं कि किन-किन मीडिया समूहों ने Covaxin को लेकर गलत झूठ फैलाया है –

मनीकंट्रोल का झूठ

भारत बायोटेक ने मनी कंट्रोल के 29 दिसंबर 2021 के एक लेख को सूचीबद्ध किया, जिसमें दावा किया गया था कि भारत बायोटेक की 15-18 आयु वर्ग के 10 करोड़ भारतीयों के लिए वैक्सीन की खुराक उपलब्ध कराने की क्षमता का दावा संदिग्ध है।

इसपर भारत बायोटेक ने कहा कि उन्होंने टीकाकरण अभियान के पिछले 11 महीनों में करोड़ों खुराक प्रदान की हैं और 15-18 आयु वर्ग के लिए भी टीकाकरण अभियान भी कई महीनों तक चलाया जाएगा। लेख में एक अन्य बयान में दावा किया गया कि गुजरात में हास्किन्स पशु चिकित्सा संस्थान को पुनर्जीवित करने के लिए कंपनी ने एक ‘असफल’ प्रयास किया था और अब तक उनके तकनीकी हस्तांतरण के प्रयास असफल रहे हैं।

इसपर भारत बायोटेक ने कहा कि वे 3 कंपनियों के साथ तकनीकी हस्तांतरण परियोजनाएं कर रहे हैं, एक पर पहले से ही निर्माण जारी है। इसके अलावा, मनीकंट्रोल ने एक भ्रामक बयान में दावा किया था कि भारत बायोटेक उन कुछ कंपनियों में से एक है जिसके पास ’18 वर्ष’ के आयु वर्ग में परीक्षणों का अनुभव है। जबकि Bharat biotech ने कहा कि उन्होने 2-18 वर्ष के आयु वर्गों पर Covaxin का परीक्षण किया है।

टाइम्स ऑफ इंडिया का झूठ

25 दिसंबर 2021 के एक TOI लेख में, यह दावा किया गया था कि बेंगलुरु के निजी अस्पतालों में कोवैक्सिन की 5.5 लाख से अधिक खुराकें हैं जो ‘समाप्त’ हो चुकी हैं।इस दावे पर भारत बायोटेक ने कहा कि उनके पास डेटा है और ‘समाप्त’ खुराक की वर्तमान संख्या 1 लाख से कम है।

डेक्कन हेराल्ड का झूठ

5 जनवरी 2022 के एक लेख में, डेक्कन हेराल्ड ने दावा किया था कि “मानव ​​परीक्षणों के कम नमूने और कोवैक्सिन खुराक के विस्तार के बारे में भ्रम से बच्चों के माता-पिता का विश्वास डगमगा गया है।”

भारत बायोटेक ने स्पष्ट किया कि उन्होंने अब तक 26,000 से अधिक लोगों पर क्लिनिकल परीक्षण किए हैं और उनके निष्कर्ष अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पीयर-रिव्यू जर्नल में प्रकाशित हुए हैं। इसके अलावा, शेल्फ लाइफ पर डेटा जमा करने के बाद CDSCO द्वारा बहुत पारदर्शी तरीके से शेल्फ लाइफ का विस्तार दिया गया है।

कंपनी ने सार्वजनिक डोमेन में भी इसका संचार किया है और भारत सरकार ने संबंधित कंपनियों द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के आधार पर कोविशील्ड और कोवैक्सिन दोनों को शेल्फ लाइफ एक्सटेंशन प्रदान किया है।डेक्कन हेराल्ड में छपे लेख ने आगे एक स्पष्ट झूठ का दावा किया कि भारत बायोटेक ने बेंगलुरु में छह लाख ‘एक्सपायर्ड-लेबल’ खुराक में से 90% से अधिक वापस ले लिया है।

द वायर का झूठ

द वायर ने 29 दिसंबर 2021 को एक लेख में दावा किया था, “वायरोलॉजिस्ट ने कहा कि वर्तमान में कोवैक्सिन द्वारा उत्पन्न प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया पर कोई डेटा उपलब्ध नहीं है। इसपर भारत बायोटेक ने कहा कि Covaxin द्वारा उत्पन्न प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया पर डेटा 2020 और 2021 के माध्यम से कई प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय सहकर्मी-समीक्षित पत्रिकाओं में प्रकाशित किया गया है। बूस्टर खुराक पर डेटा अधिकारियों को प्रस्तुत किया गया है।

भारत बायोटेक कंपनी ने कहा कि मीडिया आउटलेट्स द्वारा उपर्युक्त झूठे बयान उनके टीके और कंपनी के खिलाफ कई प्रकाशनों द्वारा साझा किए गए झूठे दावों और गलत सूचनाओं की संख्या के कुछ उदाहरण हैं। उन्होंने कहा है कि वे झूठे दावों की ‘तथ्य-जांच’ करना जारी रखेंगे।

आपको बतादें कि कुछ मीडिया समूहों द्वारा कोरोना वैक्सीन को लेकर भ्रामक खबर फ़ैलाने के बाद से देश में निर्मित Covaxin को यह कदम उठाना पड़ा है। ये बड़े शर्म की बात है कि देश में रहने वाले लोग हीं देश का नाम ख़राब करने की कोशिश कर रहे हैं और इतनी नीचता पर गिर गए हैं कि इस परिस्थिति में भी भ्रामक खबर फ़ैलाने से नहीं चूक रहे हैं।भारत बायोटेक द्वारा इस मामले को जनता के सामने लाने के बाद से इन मीडिया समूहों की घटिया मानसिकता उजागर हो गई है।

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