महाराष्ट्र में हो रहे को-ऑपरेटिव बैंक चुनाव में महा विकास अघाड़ी को एक के बाद एक झटके लग रहे हैं। सिंधु दुर्ग जिले में भाजपा के हाथों मिली हार के बाद महा विकास अघाड़ी को मुंबई को-ऑपरेटिव बैंक चुनाव में बुरी तरह पराजित होना पड़ा है। भाजपा ने मुंबई को-ऑपरेटिव बैंक की सभी 21 सीटों पर विजय प्राप्त की है। भाजपा विधायक और महाराष्ट्र विधान परिषद के नेता प्रतिपक्ष प्रवीण दरेकर के नेतृत्व में जिस सहकारी पैनल ने चुनाव में भाग लिया था, उसके प्रत्याशियों को पहले ही 17 सीट पर निर्विरोध चुन लिया गया था। बची 4 सीटों के लिए हुए चुनाव में भाजपा समर्थित पैनल को एकतरफा जीत मिली है।
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इस जीत के बाद महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने प्रवीण दरेकर को बधाई दी। वहीं, दूसरी ओर प्रवीण दरेकर ने भी मतदाताओं को धन्यवाद देते हुए कहा ‛मैं उन मतदाताओं का बहुत आभारी हूं जिन्होंने मुझ पर विश्वास किया। मैंने, बोर्ड के सदस्यों के साथ, बैंक को नई ऊंचाइयों पर ले जाने और आने वाले दिनों में बड़े पैमाने पर सहकारी आंदोलन को मजबूत करने का संकल्प लिया है।’
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NCP को उसके गढ़ में मिल रही है मात
महाराष्ट्र के को-ऑपरेटिव बैंक (सहकारी बैंक) हमेशा से ही NCP की मजबूत भुजा माने गए हैं। विशेष रूप से पुणे सहित पश्चिमी महाराष्ट्र और कोंकण क्षेत्र राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का गढ़ माना जाता है। पुणे को-ऑपरेटिव बैंक के पास आर्थिक संसाधन बहुत अधिक नहीं है, किंतु यह एनसीपी के लिए राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। पुणे में हुए को-ऑपरेटिव बैंक चुनाव में एनसीपी के कई प्रतिनिधि जीत कर आए हैं, किंतु वहां के कद्दावर नेता श्रीकांत शिंदे को को-ऑपरेटिव बैंक चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है। वहीं, दूसरी ओर सिंधु दुर्ग को भी एनसीपी का मजबूत गढ़ माना जाता था, किंतु इस बार वहां 19 में से 11 सीट पर भाजपा समर्थित पैनल को जीत मिली है। सिंधु दुर्ग में मिली जीत का पूरा श्रेय नारायण राणे को जाता है, जिन्हें पिछले दिनों उद्धव सरकार के विरुद्ध बोलने के कारण महाराष्ट्र पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया था।
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फडणवीस और राणे की जोड़ी कर रही कमाल
बताते चलें कि मुंबई शिवसेना का मजबूत गढ़ है, लेकिन यहां भी महा विकास अघाड़ी को हार का सामना करना पड़ा है। यह स्थिति तब है, जब एनसीपी, शिवसेना और कांग्रेस एक साथ मिलकर चुनाव लड़ रही थी। यह पहला मौका नहीं है, जब महा विकास अघाडी को भाजपा के हाथों करारी शिकस्त मिली है। इसके पूर्व महाराष्ट्र में हुए विधानसभा उप चुनाव के दौरान भाजपा ने तीनों दलों की संयुक्त शक्ति को अकेले परास्त किया था। राज्य के सोलापुर ज़िले की पंधारपुर-मंगलवेधा असेंबली सीट पर वर्ष 2021 में हुए उप चुनाव में भाजपा को जीत मिली थी, जबकि यह NCP का सबसे मजबूत गढ़ है।
राज्य में भाजपा को मिल रही एक के बाद एक सफलता से यह स्पष्ट हो गया है कि महाराष्ट्र के आम लोग उद्धव सरकार से त्रस्त हो चुके हैं। लोगों में आक्रोश इतना बढ़ चुका है कि महा विकास अघाडी में शामिल दो प्रमुख क्षेत्रीय दल शिवसेना और एनसीपी को अपने सबसे मजबूत दुर्ग गंवाने पड़ रहे हैं। राज्य में नारायण राणे और देवेंद्र फडणवीस की जोड़ी भाजपा के विजय रथ को जिस दिशा में मोड़ रही है, पार्टी को वहां सफलता मिल रही है। अब फरवरी 2022 में होने वाला Mumbai Municipal Corporation का चुनाव देखने लायक होगा, क्योंकि इसे शिवसेना की सबसे मजबूत शक्ति माना जाता है। यदि भाजपा ने BMC में अपनी पकड़ मजबूत बना ली, फिर यह तो तय है कि अगले विधानसभा चुनाव में भाजपा अपने बल पर सरकार बनाने में सक्षम होगी।
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