कलकत्ता HC ने बंगाल चुनाव हिंसा पर भ्रामक रिपोर्ट प्रकाशित करने हेतु TOI को दी चेतावनी

अब कैसे बचोगे TOI

बंगाल चुनाव हिंसा

वर्ष 2021 में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद से पश्चिम बंगाल राज्य में हुई जघन्य हिंसा की पोल खुल गई है। हाई कोर्ट ने ममता बनर्जी सरकार में हो रहे जघन्य अपराध को लेकर CBI को इस मामले की जांच का जिम्मा सौंपा था। हालांकि, कुछ मीडिया संस्थान अभी भी बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद हुई क्रूर हिंसा को छिपाने का काम कर रहे हैं। वहीं, पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद हिंसा, बलात्कार और दुष्कर्म की कोशिशों के मामलों की जांच कर रही CBI ने मीडिया की एक खबर को सिरे से खारिज कर दिया है।

CBI द्वारा कहा गया है कि 3 और 4 जनवरी 2022 को कुछ न्यूज एजेंसी द्वारा खबर छापी गई थी कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NCW) की तरफ से भेजे गए दुष्कर्म के 21 मामलों में कोई प्रमाण नहीं मिला है। CBI ने कहा कि “ये सरासर गलत और भ्रामक खबर है।” CBI ने कलकत्ता हाई कोर्ट में कहा कि 4 जनवरी को प्रकाशित TOI शीर्षक था,”पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद की हिंसा: NHRC द्वारा बलात्कार और बलात्कार के प्रयास के 21 मामलों में कोई सबूत नहीं।”

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टाइम्स ऑफ़ इंडिया पर लगा झूठी खबर फैलाने का आरोप

इस मामले को लेकर कलकत्ता उच्च न्यायालय के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) वाई.जे. दस्तूर ने बंगाल हिंसा से संबधित एक रिपोर्ट को लेकर टाइम्स ऑफ़ इंडिया को फटकार लगाई थी। दरअसल,  उस रिपोर्ट में टाइम्स ऑफ इंडिया ने पश्चिम बंगाल में हिंसा को कम दिखाने की कोशिश की गई थी। बता दें कि मई 2021 के पहले हफ्ते में ही पश्चिम बंगाल में हिंसा का स्तर बढ़ गया था और खासकर बीजेपी कार्यकर्ताओं को जमकर निशाना बनाया जा रहा था। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) के गुंडों पर हिंसा का आरोप लगाया गया, जिससे कई लोग बेघर हो गए और कई ने पड़ोसी राज्यों में शरण ली।

टाइम्स ऑफ़ इंडिया जैसे बड़े सस्थानों ने खबर छापी कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की रिपोर्ट में उल्लेखित 64 ऐसे मामलों में से 39 मामलों में रिपोर्ट दर्ज की गई है और 21 मामलों को सबूत के लिए पश्चिम बंगाल पुलिस को वापस भेज दिया गया है। खबरों में यह भी लिखा है कि हत्या के 2 मामले को CBI ने सबूत के लिए वापस भेजे हैं। NHRC ने कलकत्ता उच्च न्यायालय को अपनी रिपोर्ट सौंपी। TOI ने अपनी रिपोर्ट में हत्या के मामलों को भी उल्टे अल्पविराम में डाल दिया था ताकि यह प्रतीत हो सके कि ये सिर्फ आरोप हैं और यह सब नहीं हुआ है जबकि इस तरह की हिंसा की कई तस्वीरें सोशल मीडिया पर मौजूद हैं। वहीं, कोलकाता हाई कोर्ट के ASG वाइ.जे. दस्तूर ने इस झूठी खबर को चलाने के लिए TOI को पत्र लिखकर फटकार लगाई थी।

TOI की रिपोर्टिंग पर कलकत्ता हाई कोर्ट ने जताई आपत्ति

TOI को भेजे गए एक पत्र में ASG ने लिखा है, “बंगाल चुनाव के बाद 3 जनवरी, 2022 को हुई हिंसा के मामले की सुनवाई कलकत्ता उच्च न्यायालय में हुई, जिसके बारे में TOI ने अगले दिन रिपोर्ट प्रकाशित की। दुर्भाग्य से, CBI के हवाले से इस रिपोर्ट में कही गई बातों में जरा भी सच्चाई नहीं है। उस दिन हुई सुनवाई में CBI ने ऐसा कुछ नहीं कहा जैसा इस खबर में लिखा है। इस रिपोर्ट का शीर्षक, तथ्य और सभी आंकड़े पूरी तरह से गलत हैं।”

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साथ ही, कलकत्ता उच्च न्यायालय के ASG ने इस पर आपत्ति जताई है कि एक संवेदनशील मुद्दे पर इस तरह की गलत रिपोर्टिंग एक प्रतिष्ठित मीडिया संगठन द्वारा की गई है। उन्होंने इसे बेहद चिंता का विषय बताया है। इस रिपोर्ट को लेकर सार्वजनिक तौर पर तुरंत माफी मांगने को भी कहा गया है। ऐसे में, कहा जा सकता है कि टाइम्स ऑफ़ इंडिया की इस तरह की रिपोर्टिंग उनकी विलुप्त होती मानसिकता का उदाहरण प्रस्तुत करती है।

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