पंजाब: चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव में भाजपा ने हासिल की जीत, AAP को दी पटखनी

आम आदमी पार्टी बगले झांकती रह गई!

चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव

भाजपा ने चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव में जीत हासिल की है। यह चुनाव चुनाव नहीं, एक फिल्मी कहानी हो गई है और भाजपा की उम्मीदवार और चंडीगढ़ की नई मेयर सरबजीत कौर ने आम आदमी पार्टी के साथ वही किया जो आम आदमी पार्टी ने 2013 दिल्ली विधानसभा चुनाव के समय किया था।

भाजपा की नगर पार्षद सरबजीत कौर शनिवार को आम आदमी पार्टी की अंजू कत्याल को सीधे मुकाबले में महज एक वोट से हराकर नई चंडीगढ़ नगर निगम की मेयर बन गईं हैं।

चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव में कुल 36 वोटों में से 28 वोट पड़े, जबकि कांग्रेस के सात पार्षद और शिरोमणि अकाली दल के एकमात्र पार्षद अनुपस्थित रहे। अधिकारियों ने बताया कि भाजपा की कौर को 14 वोट मिले जबकि AAP के कात्याल को 13 वोट मिले और एक को अवैध घोषित कर दिया गया था।

दुबारा हुए थे चुनाव 

27 दिसंबर को घोषित चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव के नतीजे त्रिशंकु थे, जिसमें आप ने 35 में से 14 और भाजपा ने 12 पर जीत हासिल की थी। कांग्रेस को आठ जबकि शिरोमणि अकाली दल को एक सीट मिली थी। हालांकि, कांग्रेस की नगर पार्षद हरप्रीत कौर बबला चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव परिणाम घोषित होने के कुछ दिनों बाद भाजपा में शामिल हो गई थीं।

35 पार्षदों के अलावा, चंडीगढ़ के सांसद, जो नगर निगम में पदेन सदस्य हैं, उनको भी मतदान का अधिकार है।

एक अवैध वोट, एक क्रॉस-वोट और ड्रा ने मेयर चुनावों के भाग्य का फैसला किया क्योंकि भाजपा ने तीनों पदों – मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर को क्लीन स्वीप किया। यह भाजपा की नगरपालिका चुनाव में लगातार सातवीं जीत है।

चुनावी कार्यवाही की शुरुआत में, भाजपा और आप दोनों के पास सदन में 14-14 वोट थे और कांग्रेस के सात पार्षद और 36 सदस्यीय चंडीगढ़ नगर निगम में शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के एकमात्र सदस्य थे।

पिछले साल 27 दिसंबर को घोषित किए गए चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव के नतीजों ने त्रिशंकु सदन की स्थिति पैदा कर दी थी, जिसमें AAP ने अपने पहले निकाय चुनावों में 35 में से 14 वार्ड जीते। बीजेपी को 12, कांग्रेस को आठ और SAD को एक सीट मिली थी।

कांग्रेस की हरप्रीत कौर बबला, जो कि काँग्रेस पार्टी के पूर्व चंडीगढ़ उपाध्यक्ष देविंदर बबला की पत्नी हैं, वह अपने पति के साथ 2 जनवरी को भाजपा में शामिल हो गई थी। उनके शामिल होने के बाद सदन में भाजपा के वोटों की संख्या बढ़कर 13 हो गई। भाजपा को एक और वोट शहर की लोकसभा सांसद किरण खेर से मिल गया।

आम आदमी पार्टी की हालत हुई पतली-

महापौर चुनाव के दौरान, आप के एक वोट को अवैध घोषित कर दिया गया, जिसने चुनाव को भाजपा के सरबजीत के पक्ष में कर दिया।

पीठासीन अधिकारी महेशिंदर सिंह सिद्धू, जो स्वयं भाजपा के पार्षद हैं, उन्होंने फैसला सुनाया कि एक मतपत्र के पीछे एक “टिक” के रूप में एक “पहचान चिह्न” पाया जाता है, जो इसे अमान्य बनाता है।

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इस बीच, आप के पोलिंग एजेंट ने भाजपा के एक वोट पर आपत्ति जताते हुए आरोप लगाया कि यह नीचे से फटा हुआ है, जिसके बारे में उन्होंने दावा किया कि यह भी पहचान का निशान है लेकिन सिद्धू ने घोषणा की कि नियम के अनुसार फटे हुए मतपत्र को पहचान का चिह्न नहीं कहते हैं।

मेयर का परिणाम घोषित होते ही आप पार्षदों ने सदन में हंगामा किया और नारेबाजी की लेकिन अब पछताए क्या होत? जब चिड़िया चुग गई खेत!

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