उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Election 2022) को लेकर हलचलें काफी तेज हो गई है, क्योंकि भारत के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य में अब बीस दिनों से भी कम समय में चुनाव होने वाले हैं। ओपिनियन पोल के आंकड़ों के अनुसार भाजपा की जीत की उम्मीद है, जिसमें पार्टी के लिए बहुमत और योगी आदित्यनाथ सरकार के लिए सत्ता में दूसरे कार्यकाल की भविष्यवाणी की गई है। लेकिन अन्य सभी दल अपनी पूरी कोशिश कर रहे हैं और अब भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ ने भी घोषणा की है कि वो यूपी के गोरखपुर से योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे। अब जहां तक पब्लिसिटी स्टंट की बात है, तो चंद्रशेखर आजाद की यह घोषणा उनका मास्टरस्ट्रोक हो सकता है लेकिन गोरखपुर में सीएम योगी आदित्यनाथ की अद्वितीय लोकप्रियता को देखते हुए व्यवहारिक रूप में इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
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यूपी चुनाव में अकेले उतरेंगे ‘रावण’
भीम आर्मी के प्रमुख सपा के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन में जगह पाने में नाकाम रहे। इसलिए 35 वर्षीय चंद्रशेखर आजाद रावण ने यूपी चुनाव में अपने दम पर चुनाव लड़ने का फैसला लिया है और वो स्वंय सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले हैं। चंद्रशेखर आजाद ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर दलितों की अनदेखी करने और सामाजिक न्याय के लिए लड़ने के वादे के बावजूद, उन्हें गठबंधन में शामिल नहीं करने का आरोप लगाया है। राजनीति पंडितों के अनुमान के मुताबिक गोरखपुर से चंद्रशेखर के चुनाव लड़ने का निर्णय भाजपा के लिए लाभकारी सिद्ध होगा। वो सपा के वोट काटेंगे और कुछ दलितों और मुस्लिमों को बसपा की ओर मोड़ने में कामयाब होंगे, जिससे सपा का समीकरण बिगड़ने की पूरी संभावना होगी!
गोरखपुर सीट पर विपक्ष की एकजुटता नहीं
अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी गोरखपुर चुनाव में रावण का समर्थन करने पर अडिग नहीं है। अखिलेश यादव ने कहा है कि समाजवादी पार्टी के कई नेता हैं, जो गोरखपुर से चुनाव लड़ना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि योगी के क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार को नामित करने से पहले वह स्थानीय पार्टी इकाई से परामर्श करेंगे। समाजवादी पार्टी के नेताओं के मुताबिक गोरखपुर से भाजपा से जुड़े एक पूर्व मंत्री के परिवार के किसी सदस्य को टिकट दिया जा सकता है। कांग्रेस भी गोरखपुर से पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के बेटे सुनील शास्त्री को मैदान में उतार सकती है। सुनील शास्त्री ने हाल ही में कांग्रेस में शामिल होने के लिए भाजपा छोड़ दी थी, वो पहले गोरखपुर से विधायक भी रह चुके हैं।
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गोरखपुर में योगी की होगी आसान जीत
गौरतलब है कि 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद रावण ने घोषणा की थी कि वो यूपी के वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे। हालांकि, बाद में वो प्रधानमंत्री के खिलाफ चुनाव लड़ने के सवाल पर पीछे हट गए थे और कहा था कि उनका संगठन सपा-बसपा गठबंधन का समर्थन करेगा, क्योंकि अगर भाजपा को हराना है तो दलित वोट बरकरार रहना चाहिए। अब इस बार चंद्रशेखर आजाद यूपी के चुनाव के मैदान में उतरने जा रहे हैं। उनकी योजना दलित वोटों को हथियाकर समीकरण बिगाड़ने की है, जो 2017 के विधानसभा चुनावों में भाजपा की झोली में काफी हद तक चला गया था। लेकिन इससे सीएम योगी आदित्यनाथ के चुनाव प्रचार पर असर पड़ने की संभावना नहीं है। गोरखपुर में योगी आदित्यनाथ की अविश्वसनीय लोकप्रियता है। वो 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 के आम चुनावों में गोरखपुर लोकसभा सीट से लगातार पांच बार सांसद चुने जा चुके हैं।
लोकसभा सांसद के रूप में योगी आदित्यनाथ लगातार बेहतर सड़कों, उर्वरक कारखानों को फिर से खोलने और अन्य बुनियादी ढांचे के विकास के साथ गोरखपुर के विकास पर जोर देते थे। वो गोरखपुर में समाज के सभी वर्गों के बीच लोकप्रिय हैं और अब विधानसभा चुनावों के दौरान उन्हें जीतने से कोई नहीं रोक सकता। तथ्य यह है कि विपक्ष की एकजुटता नहीं है। विपक्ष जो भी वोट शेयर हासिल करने में सक्षम है, वह और भी विभाजित होता दिख रहा है तथा यह सीएम योगी आदित्यनाथ की स्थिति को मजबूत करता है। भीम आर्मी प्रमुख की गोरखपुर से चुनाव लड़ने की घोषणा के बावजूद, सीएम योगी को कोई वास्तविक चुनौती नहीं दे पाएगा। योगी आदित्यनाथ आगामी चुनावों में एक आसान जीत की ओर अग्रसर हैं।