कांग्रेस का टिकट पाने के लिए रीता यादव ने खुद पर ही चलवाई थी गोली

पहले गोली खाई, अब जेल की हवा खाइये!

रीता यादव

राजनीति में दशकों से ‘शह और मात’ का खेल चलता रहा है लेकिन राजनीति का गिरता स्तर इस बात की तरफ संकेत देता है कि राजनीती के लिए कुछ लोग किसी भी हद्द तक जा सकते हैं। सुल्तानपुर में पीएम मोदी की रैली के दौरान काला झंडा दिखाने के महीनों बाद कांग्रेस की एक नेता ने पार्टी में अपनी राजनीतिक कद बढ़ाने के लिए खुद को गोली मार ली थी। आपको बता दें कि यह घटना 3 जनवरी की है, जब अज्ञात व्यक्तियों द्वारा कांग्रेस नेता रीता यादव को उनके पैर में गोली मार दी गई थी।

पुलिस ने मामले को लेकर बताया कि साजिश के पीछे वह खुद थी। कथित तौर पर, रीता यादव ने खुद को गोली मार ली ताकि उन्हें आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए टिकट मिल सके। पुलिस ने साजिश के आरोप में रीता यादव को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। उसके साथ चालक मो मुस्तकिम और धर्मेंद्र यादव समेत उसके साथियों को भी साजिश में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।

दरअसल, 3 जनवरी को रीता यादव ने शिकायत की थी कि शाम को कुछ लोगों ने उन्हें गोली मार दी थी। गोली लगने के बाद रीता यादव को तुरंत अस्पताल ले जाया गया वहीं होश में आने के बाद उसने कहा था कि जब वह कुछ पोस्टर और बैनर बनवाने गई थी तो तीन लोगों ने उसे ओवरटेक कर गाड़ी रोक दी और गाली-गलौज करने लगे। इस पर प्रतिक्रिया करते हुए वह कार से उतरी और उनमें से एक को थप्पड़ मार दिया। लेकिन इसके बाद वे उसे गोली मारकर फरार हो गए।

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कांग्रेस पार्टी ने इस आरोप का इस्तेमाल चुनावी राज्य में भाजपा को निशाना बनाने के लिए किया था। यूपी कांग्रेस ने रीता यादव के साथ मारपीट करने वाले तीन लोगों की एक तस्वीर साझा करते हुए ट्विटर पर आरोप लगाया था कि यूपी में ‘गुंडाराज’ ऐसे गुंडों को शरण दे रहा है जो महिलाओं की साड़ी खींचते हैं और उन्हें गोली मार देते हैं। हालांकि, पुलिस की जांच में अब पता चला है कि कांग्रेस नेता को गोली मारने वाले ‘गुंडे’ उनके सहयोगी ही हैं, और उन्होंने उसके निर्देश पर ऐसा किया था। लंभुआ सीओ सतीश चंद्र शुक्ला ने बताया कि मामले की बारीकी से जांच करने और लोगों से बात करने पर पता चला कि रीता यादव ने पार्टी में अपना राजनीतिक कद बढ़ाने के लिए उन पर हमले की योजना बनाई थी, ताकि उन्हें विधानसभा चुनाव में टिकट दिया जा सके।

पुलिस अधिकारी ने बताया कि रीता यादव ने घटना को लेकर संदेह जताते हुए अलग-अलग मौकों पर अलग बयान दिए। पुलिस को यह भी संदेहास्पद लगा कि उसकी टांगों में गोली मारी गई थी, क्योंकि अपराधियों को जिंदा पकड़ने के लिए पुलिस केवल उनके पैरों को निशाना बनाती है। तदनुसार, पुलिस ने उसके चालक मो मुस्तकिम को उठाया और उससे पूछताछ की, जिसने आखिरकार साजिश का खुलासा किया। पुलिस ने यह भी कहा है कि ”उनके पास से अवैध आग्नेयास्त्र (illegal firearms) और कारतूस बरामद किए गए हैं। उनके खिलाफ राजद्रोह का मामला भी दर्ज किया गया है।”

रीता यादव उस समय चर्चा में आई जब 17 नवंबर को पीएम मोदी द्वारा पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के उद्घाटन के दौरान रीता यादव ने काला झंडा लहराकर ‘नरेंद्र मोदी मुर्दाबाद’ का नारा लगाकर सुर्ख़ियों में आने की कोशिश की थी। सुल्तानपुर में रैली स्थल पर नारेबाजी करने के बाद पुलिस ने उसे पुलिस ने उसे रास्ते से हटा लिया था। इस घटना की पुरी सच्चाई सामने आने के बाद से कांग्रेस की अब जगहसाई हो रही है।

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