ग़ुलाम नबी आज़ाद को पद्म भूषण पुरस्कार मिलने से ‘दिल टूटे हुए प्रेमी’ की तरह रो रही है कांग्रेस

पुरस्कार को लेकर कांग्रेस में अंतर्कलह!

पद्म भूषण ग़ुलाम नबी आज़ाद
मुख्य बिंदु

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद को पद्म भूषण देने के केंद्र सरकार के फैसले ने एक बार फिर कांग्रेस पार्टी में हलचल मचा दी है। कांग्रेस के कुछ नेताओं ने इस सम्मान का समर्थन किया है जबकि अन्य ने सम्मान स्वीकार करने के लिए वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद पर परोक्ष रूप से कटाक्ष किया। हालांकि, यह लड़ाई छोटी-सी थी लेकिन इस लड़ाई ने कांग्रेस के आंतरिक कलह को फिर से सबके सामने ला दिया है। यह सब तब हो रहा है जब कांग्रेस पांच राज्यों में चुनावों की तैयारी कर रही है।

पद्म भूषण सम्मान को लेकर दो टुकड़ों में बंट गई कांग्रेस

दरअसल, पद्म पुरस्कारों की घोषणा के बाद से कांग्रेस पार्टी दो टुकड़ों में बंट गई है। सोनिया गांधी और राहुल गांधी के करीबी रहे पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने पुरस्कार स्वीकार करने के लिए गुलाम नबी आजाद पर कटाक्ष किया है। वहीं, जी -23 समूह के दिग्गज नेताओं ने ग़ुलाम नबी आज़ाद को पद्म भूषण पुरस्कार देने की घोषणा पर उन्हें इस पुरस्कार के लिए योग्य बताया है। जयराम रमेश ने पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य की ओर से पद्म भूषण सम्मान को अस्वीकार किए जाने को लेकर गुलाम नबी आजाद पर कटाक्ष करते हुए ट्वीट किया, ‘‘सही कदम उठाया, वह आजाद रहना चाहते हैं, न कि गुलाम।’’

गौरतलब है कि भारत सरकार ने गुलाम नबी आजाद को पदम् भूषण से सम्मानित करना तय किया है। वहीं, जयराम रमेश के इस ट्वीट के बाद पार्टी में अंतर्कलह उत्पन्न हो गया। यह वो व्यक्ति हैं, जिनको सबसे किसी न किसी प्रकार की कुंठा रहती है।

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने एक ट्वीट कर कहा, “जनवरी 1973 में जब उन्हें बताया गया कि उन्हें पीएमओ छोड़ने पर पद्म विभूषण की पेशकश की जा रही है तब लोक सेवक पीएन हक्सर की प्रतिक्रिया कुछ इस प्रकार थी। उनकी प्रतिक्रिया क्लासिक है और अनुकरण के योग्य है।”

कांग्रेस के जी-23 समूह नेताओं ने दी बधाई 

इसके बाद ट्विटर पर कांग्रेसी नेताओं का समूह इकट्ठा हो गया। कांग्रेस नेता करण सिंह ने अपनी पार्टी के सहयोगी गुलाम नबी आजाद का समर्थन करते हुए उन्हें भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण के लिए योग्य उम्मीदवार बताया। सिंह ने कहा, “इन राष्ट्रीय पुरस्कारों को पार्टी के आंतरिक विवाद का विषय नहीं बनाना चाहिए, पार्टी के भीतर के लोगों को तो, अगर हमारे किसी सहयोगी को सम्मानित किया जाता है, तो उसका स्वागत उपहासपूर्ण टिप्पणियों के बजाय गर्मजोशी से करना चाहिए।” वहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने गुलाम नबी आजाद को बधाई देने के साथ पार्टी नेतृत्व पर भी निशाना साधाते हुए उन्होंने एक ट्वीट में कहा, “यह विडंबना है कि कांग्रेस को गुलाम नबी आजाद की सेवाओं की जरूरत नहीं है जब देश सार्वजनिक जीवन में उनके योगदान को मान्यता दे रहा है।”

आनंद शर्मा ने गुलाम नबी आजाद को दिए गए पद्म भूषण पुरस्कार को “सार्वजनिक सेवा और संसदीय लोकतंत्र में उनके आजीवन समृद्ध योगदान के लिए अच्छी तरह से योग्य मान्यता कहा। इसी क्रम में शशि थरूर ने भी ग़ुलाम नबी आज़ाद को बधाई दी और कहा, “किसी की सार्वजनिक सेवा के लिए दूसरे पक्ष की सरकार द्वारा भी मान्यता प्राप्त होना अच्छा है।”

कांग्रेस के जी -23 समूह का प्रमुख चेहरा हैं गुलाम नबी आजाद

रेणुका चौधरी ने जयराम रमेश के ट्वीट का जिक्र करते हुए कहा, “अगर एक व्यक्ति कुछ बकवास लिखता है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि उसका जन्म प्रमाण पत्र बदल दिया जाएगा।” बता दें कि ग़ुलाम नबी आज़ाद को मिले इस पुरस्कार पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। ग़ुलाम नबी आज़ाद कांग्रेस के जी -23 समूह का एक प्रमुख चेहरा हैं, जिन्होंने सोनिया गांधी को एक पत्र लिखकर एक दृश्यमान और सक्रिय नेतृत्व के साथ-साथ कांग्रेस में व्यापक सुधार की मांग की थी।

ग़ुलाम नबी आज़ाद के कांग्रेस छोड़ने और भारतीय जनता पार्टी के समर्थन से जम्मू-कश्मीर में एक संगठन बनाने की अटकलें थीं। यह सब उनके राज्यसभा से विदाई से शुरू हुआ। ग़ुलाम नबी आज़ाद पांच बार राज्यसभा के लिए और दो बार लोकसभा के लिए चुने गए। उनका राज्यसभा का कार्यकाल 16 फरवरी, 2021 को समाप्त हो गया और कांग्रेस ने उन्हें फिर से उच्च सदन के लिए नामित नहीं किया।

कांग्रेस की छवि हो रही है धूमिल 

बता दें कि संसद से उन्हें अलविदा कहते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, “गुलाम नबी जी (विपक्ष के नेता के रूप में) की जगह लेने वाले व्यक्ति को अपने काम से मेल खाने में कठिनाई होगी क्योंकि ग़ुलाम नबी आज़ाद को न केवल अपनी पार्टी बल्कि देश और घर के बारे में भी चिंता थी।” इसके बाद तो अफवाह उड़ने लगी कि अगली बार भाजपा उन्हें राज्यसभा भेज देगी। कल पुरस्कार वाली खबर के बाद यही आशंकाएं फिर से शुरू हुई। खैर ग़ुलाम नबी आज़ाद ने इसका खंडन करते हुए स्पष्टीकरण जारी किया।

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असल में यह भ्रम पैदा हो गया कि जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने पद्म भूषण से सम्मानित होने के बाद ट्विटर पर अपना बायो (व्यक्तिगत जानकारी) बदल दिया है। इसपर स्पष्टीकरण देते हुए गुलाम नबी आजाद ने कहा, “कुछ लोगों द्वारा भ्रम पैदा करने के लिए कुछ शरारती प्रचार फैलाए जा रहे हैं। मेरे ट्विटर प्रोफाइल से कुछ भी हटाया या जोड़ा नहीं गया है। प्रोफ़ाइल वैसी ही है जैसी पहले थी।” बताते चलें कि गुलाम नबी आजाद को मिले पद्म भूषण पुरस्कार ने एक बार फिर से कांग्रेस पार्टी में विवाद को जन्म दिया है। ऐसे में, कांग्रेस पार्टी पहले ही अपनी राजनैतिक साख बचाने में जुटी हुई है। वहीं, आगामी विधानसभा चुनाव में इस तरह की गतिविधि पार्टी की छवि को धूमिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।

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