दशक का अगला बड़ा घोटाला साबित हो सकता है NFT?

विनाशकारी साबित हो सकता है आंख मूंदकर विश्वास करना!

NFTs

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छोटी गंगा बोलकर, नाले में कुदा दिया, यह मशहूर फ़िल्मी डायलॉग हाल ही में देश में बुलबुले की तरह अवतरित हुए NFT यानी Non-Fungible Token पर एकदम सटीक बैठता है। जिस प्रकार किसी भी नई चीज़ के बाज़ार में आने से जनता के बीच एक कौतूहलता का माहौल बन जाता है, कुछ ऐसा ही माहौल अभी भारत में देखने मिल रहा है। पिछले कुछ समय से मार्केट में NFTs का नाम बहुत चर्चा में है। खिलाड़ियों से लेकर कई बॉलीवुड सेलिब्रिटी तक सब NFTs यानी की नॉन फंजिबल टोकन (Non-Fungible Tokens) लॉन्च कर रहे हैं। इसके अलावा कुछ अभी इन्हें लॉन्च करने की तैयारी में हैं।

लोगों की अब इस डिजिटल एसेट की तरफ रुचि बढ़ती जा रही है, देश की आम जनता भी NFT के उपयोग का मन बना रही है। पर एक सत्य यह भी है कि मीडिया NFTs के सकारात्मक पक्ष को दिखाने में व्यस्त है, जबकि इसके नकारात्मक पक्ष और इसके दूरगामी परिणाम के बारे में जानना अति आवश्यक है। जिस तरह से मीडिया ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर लोगों में भ्रम फैलाया है, मौजूदा समय में वहीं खेल NFTs को लेकर भी किया जा रहा है। वह भी तब जब कई एक्सपर्ट NFT को घोटाला बता चुके हैं!

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स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में अपने शिक्षण और शोध के माध्यम से इंटरनेट की सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए काम करने वाले प्रोफेसर और शोधकर्ता एलेक्स स्टैमोस ने डेटा, गोपनीयता और सामान्य इंटरनेट गतिविधि की दुनिया पर कई आकर्षक विचार दिए हैं। हाल ही में उन्होंने एक कार्यक्रम में NFT को लेकर टिप्पणी की। उन्होंने उल्लेख किया कि “ज्यादातर NFT घोटाले होते हैं। यदि आपको एनएफटी खरीदने से पहले फटकारा जा रहा है, तो यह अच्छा है।” उन्होंने कहा कि “एनएफटी एक घोटाला है, लोग इसमें पिस रहे हैं। मैं इसे खरीदने वाले लोगों के बहुत खिलाफ हूं।” ध्यान देने वाली बात है कि स्टैमोस याहू और फेसबुक के पूर्व मुख्य सूचना सुरक्षा अधिकारी रह चुके हैं।

क्या है NFT?

दरअसल, एनएफटी एक डिजिटल संपत्ति होती है, जिसे ब्लॉकचेन तकनीक के जरिए संभाला जाता है। इसमें आप इमेज, गेम, वीडियो, ट्वीट किसी को भी NFT में बदलकर मॉनेटाइज कर सकते हैं। इसमें खास यह है कि इन डिजिटल एसेट को क्रिप्टोकरेंसी के जरिए ही खरीदा और बेचा जाता है। नॉन फंजिबल टोकन काफी यूनिक है, क्योंकि इसका एक यूनिक आईडी कोड होता है, इसलिए दो NFT कभी भी आपस में मैच नहीं कर सकते हैं। इसके साथ ही उनको डुप्लीकेट भी नहीं बनाया जा सकता है। पिछले कुछ महीनों में दुनियाभर में NFT को लेकर चर्चा तेज है। हालांकि, बहुत से लोग इसे लेकर सशंकित हैं और उनका सशंकित होना जायज भी है, क्योंकि इसका आधार ही ऐसा है, जो आम जनता की समझ से बाहर है।

एनएफटी क्या है और यह क्या दर्शाता है, के बीच अंतर को स्पष्ट करते हुए एनएफटी स्टार्टअप दावा करते हैं कि उनका उत्पाद कला की दुनिया के लिए क्रांतिकारी है। इसके विपरीत, एनएफटी हाई टेक कपड़ों में लिपटा एक घोटाला है। प्रचार ने NFT में खरीदारी के बुलबुले को और बढ़ा दिया है। यह बुलबुला कितने समय तक चलेगा, इसका अंदाजा किसी को नहीं है, लेकिन अगर ऐसा ही रहा तो बाजार पहले की स्थिति खराब हो सकती है!

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विनाशकारी साबित हो सकता है आंख मूंदकर विश्वास करना

बताते चलें कि क्रिप्टोकरेंसी की भांति एनएफटी भी एक ब्लॉकचैन का प्रारूप है। कोरोना महामारी के बीच क्रिप्टोकरेंसी सबसे ज्यादा चर्चाओं में रही है। एक वर्चुअल करेंसी के नाम पर इससे कई निवेशक मालामाल हुए, तो कई निवेशक लूट गए। बता दें कि वर्ष 2021 में फ्रॉड करने वालों ने क्रिप्टो के निवेशकों से कुल 58 हज़ार करोड़ से अधिक की ठगी कर ली, ये तो फिर भी आंकड़ों में दर्ज है, वास्तविक संख्या इससे भी बड़ी हो सकती है। ब्लॉकचेन का विश्लेषण करने वाली फर्म चेन एनालिसिस की ताजा रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2021 में क्रिप्टोकरेंसी के कारोबार में वित्तीय घोटालों की संख्या 50 फीसदी से ज्यादा बढ़कर 3300 के पार हो गई, वर्ष 2020 में ठगी के मामलों की संख्या 2052 थी।

सौ बात की एक बात, प्रौद्योगिकी पर आँख मूंदकर विश्वास कर लेना विनाशकारी साबित हो सकता है। सरकार इन सभी मामलों पर पैनी नज़र बनाए हुए है, पर यह देश के लोगों को भी समझना होगा कि टेक को अमल में लाना है, पर उसपर आश्रित हो जाना बेवकूफी से कम नहीं है। एनएफटी के नाम पर जहां एक ओर बिल्ली का कार्टून करोड़ों में खरीद और बिक रहा है, यह अपना प्रभाव और अपना विस्तार करने के लिए एक प्रचार का माध्यम भी हो सकता है, इसे नहीं भूलना चाहिए! एनएफटी के नाम पर निस्संदेह घोटालों की फेहरिस्त निकलेगी, यदि इस पर अंधश्रद्धा और लालच का चोला पहनकर विश्वास किया गया!

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