क्या आप “मुताह निकाह” की इस्लामिक प्रथा के बारे में जानते हैं?

एक ऐसी शादी जिसे सिर्फ शारीरिक संबंध बनाने के लिए किया जाता है!

मुताह निकाह

तीन तलाक को जब मोदी सरकार ने खत्म किया तब इस्लामिक कानूनों के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ी। लोग यह जानने को उत्सुक हुए की किसी मजहबी ग्रंथ में इस तरह के पिछड़े विचार आज भी मौजूद हैं। यह जानकारी लोगों के आश्चर्य को गुस्से में बदलने लगी कि ऐसी स्त्री विरोधी प्रथाएं, इस्लाम में एक नहीं बल्कि कई सारी हैं। उनमें से एक मुताह निकाह है।

मुताह एक प्रकार का कॉन्ट्रैक्ट निकाह है, जिसमें शौहर, अपनी बेगम को निकाह के बदले पैसे देता है तथा एक निश्चित अवधि तक दोनों साथ रहते हैं। इसे विवाह कहा जाता है, लेकिन एक तरह से ये मुस्लिम महिलाओं की खरीद है।

निकाह मुताह “mut’ah” में मुताह शब्द अरबी भाषा से आया है जिसका अंग्रेजी में अर्थ pleasure marriage अर्थात मजे के लिए किया गया निकाह। निकाह का यह कॉन्ट्रैक्ट लिखित या मौखिक रूप में होता है। इसकी अवधि को लेकर इस्लामिक विद्वानों में मतभेद है किंतु अधिकांश विद्वान 3 दिन 3 माह अथवा 1 साल की अवधि को स्वीकार करते हैं। कुरान के चौथे सुरा की 24वीं आयत में इसकी अनुमति दी गई है।

हालांकि, सुन्नी मुसलमान इस प्रथा को स्वीकार नहीं करते किन्तु शियाओं में इसका बहुत चलन है। अधिकांश पश्चिमी विद्वानों,जिन्होंने इस्लामिक परंपराओं पर शोध किया है, उनका यही मत है कि वेश्यावृत्ति को मजहबी अनुमति दिलाने के लिए मुताह निकाह की प्रथा को प्रचलित किया गया था। भारत की बात करें तो हैदराबाद मुताह निकाह का केंद्र है।

सुन्नी मुसलमानों की बात करें तो वह भले ही कांट्रैक्ट मैरिज मुताह को स्वीकार नहीं करते हैं किंतु इसी प्रकार की एक परंपरा मिस्यार निकाह को सुन्नी मुसलमानों में स्वीकृति प्राप्त है। मिस्यार निकाह में पति घर की जिम्मेदारी से मुक्त होता है, अर्थात उसे पत्नी की जीविका, साथ रहने की शर्त आदि से मुक्ति मिल जाती है ।

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भारत में हैदराबाद मुस्लिम लड़कियों की खरीद का केंद्र है। यह सामाजिक कुरीति आज से नहीं है। इसपर की विद्वानों द्वारा लिखा जा चुका है। मुताह निकाह पर 2016 में लीचेस ‛Leeches’ नामक शार्ट फ़िल्म बन चुकी है। मुस्लिम लड़कियों की खरीद पर 1982 में बाज़ार फ़िल्म बनी है। लेकिन केवल कानूनी कार्यवाही के डर से ही ये परम्पराएं समाप्त होंगी।

मुताह निकाह के बचाव में एक तर्क दिया जाता है कि भारतीय कानून लिव इन रिलेशनशिप को गैरकानूनी नहीं मानता तो मुताह तो गैर-कानूनी कैसे घोषित किया जा सकता। इस बात पर लोगों द्वारा एक तर्क यह भी दिया जाता है कि लिव इन में रहने पर दोनों साथीयों में किसी को भी दूसरे को पैसे देने की आवश्यकता नहीं पड़ती। पैसे के बदले शारीरिक संबंध बनाना एक प्रकार से देह व्यापार ही है।

भारत में विवाह को एक धार्मिक कार्य माना गया है ऐसे में मुताह और मिस्यार जैसी महिला-विरोधी परंपराओं के विरोध में सामाजिक समझ विकसित होनी चाहिए।

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