“हिमाद्रि तुंग श्रृंग से
प्रबुद्ध शुद्ध भारती,
स्वयं प्रभा समुज्ज्वला
स्वतंत्रता पुकारती!अमर्त्य वीरपुत्र हो, दृढ़ प्रतिज्ञ सोच लो,
प्रशस्त पुण्य पंथ है, बढ़े चलो, बढ़े चलो”
किसने कल्पना की होगी कि जयशंकर प्रसाद की यह प्रसिद्ध कविता इतनी लोकप्रिय होगी कि इसकी लोकप्रियता से चिढ़कर कुछ बुद्धिजीवी इस कविता पर सांप्रदायिकता फैलाने का आरोप लगाकर उसे प्रतिबंधित कराने का प्रयास करेंगे। वहीं, कुछ ऐसा ही हुआ, जब एक सीरियल और उसके गीतों से वामपंथी इतना भयभीत हुए कि उसे कुचलने के लिए उन्होंने अनेकों प्रयास किए। परंतु उस सीरियल के रचयिता ने अपने किरदार की भांति एक दृढ़ संकल्प ले लिया था, चाहे कुछ भी हो जाए, इनकी कथा जन-जन तक पहुंचाकर ही दम लूँगा। ये व्यक्ति थे डॉक्टर चंद्रप्रकाश द्विवेदी और इनकी रचना थी विश्वप्रसिद्ध सीरियल ‘चाणक्य’, जिसमें उन्होंने प्रमुख भूमिका भी निभाई। आज डॉक्टर चंद्रप्रकाश द्विवेदी को कला क्षेत्र में इनके अतुलनीय योगदान के लिए पद्म श्री से सम्मानित करने का निर्णय लिया गया है।
डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने चाणक्य को मुख्यधारा में लाया
पेशे से डॉक्टर रहे पद्म श्री चंद्रप्रकाश द्विवेदी ‘चाणक्य’ के अतिरिक्त ‘मृत्युंजय’, ‘एक और महाभारत’, ‘उपनिषद गंगा’ जैसे शो भी निर्मित कर चुके हैं। उन्होंने ‘पिंजर’, ‘जेड प्लस’, ‘मोहल्ला अस्सी’ जैसी फिल्मों का निर्देशन भी किया है, जिसमें से पिंजर के लिए उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया था। इसके अलावा ‘मोहल्ला अस्सी’ उन चंद फिल्मों में शामिल है, जिन्हें राम जन्मभूमि आंदोलन पर भी प्रकाश डाला और रामभक्तों पर तत्कालीन प्रशासन द्वारा की गई गोलीबारी पर भी ध्यान केंद्रित करने का प्रयास किया। वे शीघ्र ही बहुप्रतीक्षित ‘पृथ्वीराज’ में सम्राट पृथ्वीराज चौहान की कथा को सामने लाएंगे, जिसमें अक्षय कुमार शीर्ष भूमिका रहे हैं। यही नहीं, वे अक्षय कुमार की फिल्म ‘राम सेतु’ को प्रोड्यूस भी कर रहे हैं।
लेकिन चंद्रप्रकाश द्विवेदी के लिए ये राह इतनी भी सरल नहीं थी। जितना कठिन ‘रामायण’ को टेलीविजन पर लाना था, उससे भी कठिन था आचार्य चाणक्य की कथा को प्रसारित करवाना। दूरदर्शन के तत्कालीन प्रशासन ने उनपर सांप्रदायिकता का आरोप लगाते हुए उनके प्रोजेक्ट पर ही रोक लगा दी, परंतु वे अपने मार्ग पर अडिग रहे, और अंतत: चाणक्य को प्रसारित कराने पर विवश होना पड़ा। पद्म श्री पुरस्कार मिलने पर डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने कहा, “मैंने हमेशा से ऐसा व्यक्ति रहा हूँ, जिसने हमारे देश की संस्कृति और इतिहास में डूबी हुई कहानी को बताने की कोशिश की है। मैं यह पुरस्कार अपने देश को समर्पित करता हूं।”
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जय उसी की होगी, जो योग्य होगा
एक मीडिया चैनल (आज तक) से अपने साक्षात्कार पर इसी विषय पर चर्चा करते हुए एक समय डॉक्टर चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने कहा,“फिल्मों में राष्ट्रवाद क्यों नहीं होना चाहिए? अगर यह नहीं होगा तो क्या लोग अमेरिका या इंग्लैंड का एजेंडा लेंगे? उन्होंने क्रिटिक को लेकर भी बात की। कहा कि पहले समीक्षक फिल्म मेकर्स को डराया करते थे। लेकिन अब सोशल मीडिया पर लोग खुल कर बात करने लगे हैं। इसलिए क्रिट्क्स द्वारा एक या दो स्टार देने वाले फिल्म भी बॉक्स ऑफिस पर धूम मचा देती है।”परंतु वे इतने पर ही नहीं रुके।
उन्होंने आगे कहा, “जब से ये फेसबुक व सोशल मीडिया आया है, उन्होंने औकात दिखा दी है क्रिटिक्स को। जिसे एक या दो स्टार मिलते हैं, वैसी फिल्म बॉक्स ऑफिस के रेकॉर्ड्स तोड़ रही हैं। आपके रिव्यू का सम्मान है, लेकिन आप कोई ब्रह्म वाक्य नहीं लिख रहे हैं। जब मैंने चाणक्य बनाई थी, तो मुझ पर भी नेशनलिस्ट का आरोप लगा। आज चाणक्य कल्ट माना जाता है।”
ऐसे में, डॉक्टर चंद्रप्रकाश द्विवेदी का पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया जाना अपने आप में इस बात का प्रतीक है कि अब इस देश में केवल कुछ चुने हुए, क्लब क्लास बुद्धिजीवियों की जय-जयकार नहीं होगी। जय उसी की होगी, जो योग्य होगा। यह रीति तो 2019 से ही प्रारंभ हो चुकी थी, जब भारतीय स्पेस जगत में अतुलनीय योगदान देने वाले एस नम्बी नारायणन को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था और अब गीता प्रेस के संस्थापक राधेश्याम खेमका से लेकर डॉक्टर चंद्रप्रकाश द्विवेदी तक, जनरल बिपिन रावत से लेकर कल्याण सिंह तक, ऐसे लोगों को सम्मानित किया जा रहा है, जिन्होंने इस देश के गौरव और इसकी संस्कृति के लिए अपना सर्वस्व तक अर्पण करने का संकल्प लिया।