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83 को लगा 150 करोड़ का झटका, फ्लॉप रही फिल्म!

क्रिकेट से मोहभंग और पाकिस्तान प्रेम पड़ा फिल्म को महंगा!

Animesh Pandey द्वारा Animesh Pandey
8 January 2022
in मत
83 फ्लॉप
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83 फ्लॉप: 2021 वास्तव में विचित्र वर्ष रहा। कहीं कोविड के दुष्प्रभावों से महीनों तक सिनेमा बंद रहा, तो कहीं लोगों को ‘राधे’ और ‘सत्यमेव जयते 2’ जैसे वर्ल्ड क्लास टॉर्चर का अनुभव करना पड़ा। इसी बीच कबीर खान की बहुप्रतीक्षित ’83’ आखिरकार सिनेमाघरों में प्रदर्शित हुई, लेकिन ये फिल्म सुपरहिट तो छोड़िए, अपने मूल बजट का आधा मूल्य भी नहीं बचा पाई। हाल ही में 83 के दो हफ्तों का विश्लेषण सामने आया है, और यह काफी निराशाजनक है। लगभग 270 करोड़ के बजट पर तैयार इस फिल्म को कम से कम थियेटर बिजनेस से 290 करोड़ कमाने चाहिए थे, ताकि वह Breakeven पॉइंट यानि नो प्रॉफ़िट नो लॉस की स्थिति में होती।

परंतु अब तक 83 ने कुल 168 करोड़ ही कमाए हैं, जिसमें से लगभग 60 करोड़ विदेशी कलेक्शन से आए हैं। यानि भारत से इन्हे कुल 110 करोड़ ही प्राप्त हुए, जो निस्संदेह 150 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हैl

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परंतु ऐसा क्यों हुआ? 83 तो एक बहुप्रतीक्षित फिल्म थी, जिसके प्रोमोशन में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। कोविड के कारण अधिक विलंब के बावजूद इस फिल्म के लिए कई लोग प्रतीक्षारत थे, क्योंकि इस फिल्म से अनेक लोगों की भावनाएँ जुड़ी थी। इसके 5 प्रमुख कारण है, जिनमें से कुछ यह रहें –

  • स्पाइडर मैन और पुष्पा जैसी फिल्में

फ्लॉप होने के कारणों में 83 के लिए सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ा ‘Spider Man : No Way Home’ और ‘Pushpa’ जैसी फिल्मों के उपस्थिति से। एक Hollywood के प्रभुत्व को दर्शा रहा था, तो दूसरा अखिल भारतीय फिल्मों के प्रभाव को रेखांकित कर रहा था। दोनों बहुत उत्कृष्ट फिल्में नहीं थी, पर दोनों ने अपने कौशल और अपने मनोरंजन से दर्शकों पर एक अमिट छाप छोड़ी। ‘Pushpa’ ने न केवल ‘Spider Man’ को टक्कर दी, अपितु ‘83’ के हवाई किले को भी ध्वस्त किया, जबकि उसे न कोई विशेष प्रोमोशन मिला, और न ही कोई पेड प्रिव्यू।

  • कोविड का प्रभाव न के बराबर और 83 का विषय

जो लोग समझते हैं कि 83 के कलेक्शन पर कोविड का प्रभाव पड़ा है, वे बहुत नादान है। यदि ऐसा होता, तो हिन्दी क्षेत्र में ‘Pushpa’ अभी तक न नहीं टिकी होती, और एकछत्र राज्य कर रही होती’ –

एक कारण ये भी है कि ‘83’ में न कोई नयापन था, और न ही उसके अनकहे पहलुओं से लोगों को परिचित कराया गया। यदि इसकी तुलना करें ‘MS Dhoni’ बायोपिक से तो अतिशयोक्ति होगी, परंतु ‘Ms Dhoni – The Untold Story’ एक व्यक्ति पर केंद्रित होकर भी अनोखी थी, और ‘83’ 1983 के विश्व विजयी टीम इंडिया पर केंद्रित होकर भी न अनोखी थी, और न ही प्रभावशाली, तो नैया डूबनी तो तय थी।

  • क्रिकेट से मोहभंग

जब जनता का विश्वास खिलाड़ियों पर से उठ जाए, और उस समय आप ऐसी फिल्म लेकर आओ, जिसमें देश के क्रिकेट के गौरव को दर्शाया गया है, तो उसका भी असर पड़ता है। आप माने या नहीं, लेकिन फ्लॉप होने के कारणों में 83 की टाइमिंग काफी गलत थी। यदि ये उस समय प्रदर्शित होती, जब विश्व कप को लेकर हमारा उत्साह चरम पर था, तो शायद इसका प्रदर्शन भी इतना बुरा न होता।

परंतु अब एक बात ये भी है कि क्रिकेट पहले की भांति भारत में एक ‘धर्म’ नहीं है। लगभग 9 वर्षों में एक बार भी हम कोई आईसीसी ट्रॉफी घर नहीं लाए हैं।  क्रिकेट से जो हमारा अटूट नाता था, वो अब रहा नहीं, क्योंकि जब विराट कोहली जैसे खिलाड़ी व्यक्तिवाद को बढ़ावा देने लगे, तो लोग कब तक क्रिकेट से जुड़े रहेंगे।

और पढ़े: अनुष्का शर्मा की Chakda Express रिलीज होने से पहले ही क्रैश

  • एजेंडावाद

एक और कारण है 83 के फ्लॉप होने का, जिसका कारण सब अच्छी तरह जानते हैं। एजेंडा उतना ही डालो, जितना पचाया जा सके। लेकिन ये बात कबीर ख़ान को तनिक भी समझ नहीं आई। दरअसल, इस फिल्म में जिस तरह से एजेंडा दिखया गया है, उसपर फिल्म प्रसंशकों ने नाराजगी व्यक्त की है। इस फिल्म की पटकथा के अनुसार, जब भी विश्व कप में भारत का मैच होता है तो पाकिस्तानी, भारतीय चौकियों पर गोले दागते हैं। वहीं, भारत के फाइनल मैच के दिन पाकिस्तानी मेजर ने फैसला किया कि पाक सेना भारतीय चौकियों पर गोले नहीं चलाएगी और भारतीय सैनिक इससे खुश हो जाते हैं।

यही नहीं, प्रोमोशन के समय रणवीर सिंह ने स्वयं कहा कि ‘फिल्म में एक ‘विशेष क्षण’ शामिल है, जो पाकिस्तानियों को पसंद आएगा।’ अरे भाई, जब अच्छा खासा गाजर का हलवा बन रहा है, तो क्यों काले मिर्च का तड़का लगा उसे खराब कर रहे हो?

  • सही जनता से नाता

लेकिन 83 के फ्लॉप होने का एक और कारण ये भी  है कि बॉलीवुड अब तक अपने ऑडियंस को नहीं पहचान पाई है। 83 का ध्यान लगभग ‘South Delhi / South Bombay’ में सिनेमा जाने वाले युवाओं तक केंद्रित थी, यानि मेट्रो शहरों तक। परंतु यह लोग सम्पूर्ण भारत नहीं है।

‘बाहुबली’ क्यों सफल हुई? ‘KGF’ क्यों सफल हुई? या ‘Pushpa’ क्यों अभी तक चल रही है? इसलिए क्योंकि इनसे मेट्रो का विकी हो या गाँव का चुन्नू, सभी नाता जोड़ सकते हैं।

कुछ नहीं तो कम से कम Bollywood ‘शेरशाह’ या ‘सूर्यवंशी’ से ही कुछ सीख ले लेते। परंतु नहीं, एजेंडा सर्वोपरि, चाहे Bollywood ही भस्म हो जाए।

यदि 83 अगर आज सुपर फ्लॉप है, तो उसके पीछे अनेक कारण होंगे, पर सबसे प्रमुख कारण है कि Bollywood का एक वर्ग आज भी अपनी गलतियों से न सीखने को तैयार है और न ही उसपर कोई एक्शन लेने को तैयार है। जब तक बॉलीवुड खुद को नहीं बदलेगा, 83 जैसे झटके लगते रहेंगे और बॉलीवुड की खिल्ली उड़ती रहेगी!

Tags: 83क्रिकेटफिल्म समीक्षारणवीर सिंह
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टिप्पणियाँ 2

  1. Upendra Patel says:
    4 years पहले

    This had to happen, the day I came to know that 83 films are going to be made, I said on the same day it will be a useless film, whether it is earning or at the end of the story, I will say one more thing, not everyone can be Shusanat Singh Rajput. gave the movie MS Dhoni

    Reply
  2. Lokesh sonani says:
    4 years पहले

    Aap bahut acche likhe 100% sahi h

    Reply

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