तमिलनाडु: धर्म परिवर्तित नहीं करना चाहती थी छात्रा, स्कूल ने डाला दबाव तो की आत्महत्या

धर्म परिवर्तन नहीं करने पर वार्डन करवाती थी शौचालय साफ़!

तमिलनाडु धर्म परिवर्तन

‘भारत’ साफ शब्दों में कहे तो विश्व में हिन्दुओं का अपना देश जहां पुरातन समय से हमारे पूर्वजों ने अपने प्राण की आहुति देकर अपना धर्म ,देश और अपने समाज की रक्षा की। आज के परिदृश्य में हिन्दुओं पर बढ़ते जघन्य अपराध मन को व्यथित कर देता है। हिन्दू हमेशा से सहिष्णु रहा है और हमेशा धर्म के मार्ग पर चलता आया है परन्तु आज देश में बहुसंख्यक हिन्दुओं के साथ जबरण धर्मान्तरण करने की लगातार प्रयत्न ने राष्ट्रभक्त धर्म के अनुयायियों को  क्रोधित कर दिया है। हिन्दुओं पर ऐसा हीं एक दुर्दांत घटना तमिलनाडु से सामने आया है। तमिलनाडु राज्य में कई वर्षों से धर्म परिवर्तन का मुद्दा एक भावनात्मक मुद्दा रहा है।

राज्य ने 2002 में बल, धोखाधड़ी या प्रलोभन द्वारा किए गए धर्मान्तरण को प्रतिबंधित करने के लिए एक कानून भी लाया था। हालांकि, 2006 में विरोध के कारण कानून को निरस्त कर दिया गया था।

फिर भी, तमिलनाडु में धर्म परिवर्तन एक बार फिर से एक गर्म मुद्दा बनता जा रहा है। इस बार गाली-गलौज और जबरन धर्म परिवर्तन के आरोप में 17 साल की बच्ची की मौत की खबर से तमिलनाडु उबल रहा है।आपको बतादें कि 20 जनवरी 2022 को, तमिलनाडु के तंजावुर जिले के थिरुकट्टुपल्ली में कैथोलिक शिक्षा संस्थान, सेक्रेड हार्ट हायर सेकेंडरी स्कूल के छात्रावास में रहने वाली 17 वर्ष की एक छात्रा की जहर खाने से मौत हो गई।

खबरों के अनुसार, स्कूल ने कथित तौर पर पीड़ित लड़की को ईसाई धर्म अपनाने के लिए मजबूर किया था और कहा था कि अगर वह आगे पढ़ना चाहती है तो उसे अपना धर्म बदलना होगा। लेकिन लड़की ईसाई धर्म अपनाने को तैयार नहीं थी। इसलिए स्कूल के अधिकारियों ने उसे शौचालय की सफाई, बर्तन धोने आदि जैसे काम करने के लिए मजबूर करके उसे मानसिक प्रताड़ना दी और उसका अपमान करना शुरू कर दिया। अपमान को सहन करने में असमर्थ, पीड़िता ने बगीचों में  इस्तेमाल होने वाले कीटनाशकों का सेवन करके आत्महत्या करने का प्रयास किया।

पीड़िता को कीटनाशक खाने के बाद से लगातार उल्टियां आने लगीं। जैसे ही उसकी तबीयत बिगड़ने लगी, हॉस्टल वार्डन उसे इलाज के लिए पास के क्लिनिक में ले गईं। उल्टी जारी रहने पर हॉस्टल के वार्डन ने उसके माता-पिता को फोन कर उसे घर ले जाने को कहा। जब वह घर वापस गई, तो पीड़िता ने यह खुलासा नहीं किया था कि उसने कीटनाशक खा रखा था।

आपको बतादें कि उसे 15 जनवरी को तंजौर के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यह पाया गया कि उसके लगभग 85% फेफड़े प्रभावित थे। उनकी किडनी भी फेल हो गई थी। गहन चिकित्सा इकाई में उसका इलाज चल रहा था।

गौरतलब है कि उसकी मां को भी स्कूल के एक अधिकारी ने धर्म परिवर्तन के लिए कहा था। मना करने पर उनके साथ बदसलूकी भी की थी। अंतत: इसका परिणाम यह हुआ कि पीड़िता ने आत्महत्या करने का प्रयास किया और उसकी मृत्यु हो गई।

जैसे ही पीड़िता का बयान सोशल मीडिया में वायरल हुआ, हिंदू संगठनों और भाजपा ने पीड़िता के समर्थन में आकर संबंधित दोषियों और स्कूल के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया।

तमिलनाडु BJP प्रमुख के.अन्नामलाई ने इस जघन्य घटना पर कहा कि धर्म परिवर्तन एक जहरीली मानसिक्ता है, जो गरीबों को चोट पहुँचाती है और यह TN में तेज़ गति से फैल रही है। पीड़िता के लिए न्याय की मांग करते हुए उन्होंने राज्य सरकार से जबरन धर्मांतरण विरोधी कानूनों को सख्ती से लागू करने का आह्वान किया। लेकिन दुख की बात है कि पुलिस ने पीड़िता के माता-पिता और प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर लिया।

घटना का संज्ञान लेते हुए, विश्व हिंदू परिषद, हिंदू मुन्नानी और राजनीतिक संगठन इंदु मक्कल काची जैसे हिंदू संगठनों ने पीड़िता को न्याय दिलाने और हिंदुओं के हिंसक धर्मांतरण के खिलाफ आवाज उठाई है।

वहीं इस मामलें में पीड़िता के परिजनों का दावा है कि वह एक होनहार छात्रा थी, जो 10 वीं कक्षा में प्रथम आई थी। उनका यह भी दावा है कि उसने अपनी नोटबुक में “मैं जीना नहीं चाहती..मैं अपना जीवन समाप्त करने जा रही हूं” लिखा था।

परिजनों का यह भी आरोप है कि लड़की की इच्छा 12वीं कक्षा में उच्च अंक प्राप्त करने की थी पर उसके सपने को वार्डन ने तोड़ दिया, यह वही वार्डन है जिसने उसका अपमान किया था और उज्ज्वल भविष्य के वादे के साथ ईसाई धर्म स्वीकार करने के लिए उस पर लगातार दबाव भी डाला था।

इस घटना में बवाल मचने के बाद स्कूल प्रबंधन ने कहा कि मृतक लड़की विलाप करती थी और कहती थी कि उसकी सौतेली माँ ने उसे प्रताड़ित किया और उसके पिता ने उस पर ध्यान नहीं दिया। उनका दावा है कि वह परेशान थी और छुट्टियों के दौरान अपने परिवार के पास भी नहीं जाती थी। लड़की ने कबूल किया कि उसे घर में रहने और घर के काम करने के लिए कहा गया था।इस बात में कितनी सत्यता है यह आने वाले जांच से साफ़ हो पाएगा। दरअसल, हिन्दुओं के जबरण धर्मांतरण का मुद्दा देश में एक विषैले नाग की तरह हो चुका है जिसका खात्मा करना अत्यंत आवश्यक है।

आपको बता दें कि इस घटना से लोगों में खासा आक्रोश है। हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब मिशनरी संचालित संस्थानों में छात्रों का ऐसा उत्पीड़न हुआ हो।2006-2011 की अवधि में, जब तमिलनाडु में DMK सत्ता में थी और UPA केंद्र में थी, तब तमिलनाडु में स्थानीय समाचारों में ईसाई-मिशनरी संचालित स्कूलों में बच्चों के आत्महत्या करने के कई मामले सामने आए थे।

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इस तरह की घटना के सामने के बाद से बहुत सारे सामाजिक संसथान मौन है और उनकी चुप्पी इस बात की तरफ इशारा करती है कि जब हिन्दुओं पर प्रताड़ना की बात हो तो कुछ तथाकथित सामाजिक संस्थान जो खुद को समाज का सच्चा साथी बताते हैं वो हिन्दुओं पर अपराध के मामले में अपना मुँह फेर लेती है लेकिन अगर यही बात किसी गैर हिन्दू की हो तो वह दिन -रात मगरमच्छ के आंसू बहाती रहती है।

इस वर्ष, जब हम वीर बाल दिवस के दिन धर्म के लिए बलिदानियों में फतेह सिंह और जोरावर सिंह को याद करेंगे तो हमें तमिलनाडु की इस हिन्दू पीड़िता को भी जरूर याद किया जाना चाहिए।आज हम हिंदू समाज को याद दिलाते हैं कि हम सामूहिक रूप से और व्यक्तिगत रूप से अपनी बेटियों को हिंसक धर्मांतरण पंथ से बचाने के लिए एक प्राण ले और हम ईमानदारी से इस गंभीर मुद्दे पर काम करें ताकि धर्मान्तरण का अंत हो सके।

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