भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का एक और बयान विवादों के घेरे में आ गया है। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI से जुड़ी संस्था के कार्यक्रम में हामिद अंसारी ने भारत के लोकतंत्र की आलोचना की और चेतावनी दी है कि देश अपने संवैधानिक मूल्यों से दूर जा रहा है। हामिद अंसारी ने गणतंत्र दिवस पर इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल की ओर से आयोजित एक वर्चुअल कार्यक्रम में यह विवादित बयान दिया।
खबरों के अनुसार, पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, अभिनेत्री स्वरा भास्कर, आर्कबिशप पीटर मचाडो सहित अन्य लोग 26 जनवरी को भारतीय गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर भारतीय समयानुसार रात 10:30 बजे ‘भारत के बहुलवादी संविधान की रक्षा’ विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम में भाग ले रहे थे।
इस ऑनलाइन कार्यक्रम में मैसाचुसेट्स के सीनेटर एड मार्के, जिम मैकगवर्न, रेप एंडी लेविन,अमीनाह गुरीब-फाकिम, मॉरीशस के पूर्व राष्ट्रपति और नादिन मेन्ज़ा शामिल हैं, जो संयुक्त राज्य अमेरिका आयोग की अध्यक्षता करते हैं।
इस वर्चुअल इवेंट की मेजबानी 17 US-आधारित अधिकार संगठनों द्वारा की गई थी, जिसमें एमनेस्टी इंटरनेशनल (USA), जेनोसाइड वॉच, हिंदू फॉर ह्यूमन राइट्स, इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल सहित अन्य शामिल हैं। इस आयोजन की मेजबानी करने वाले ‘अधिकार समूह’ अपने निर्णयों में भारत को निशाना बनाने के लिए बदनाम हैं। इन समूहों ने न केवल संसद में लोकतांत्रिक रूप से पारित कानून के लिए भारत के खिलाफ पैरवी की है, बल्कि वे लगातार ऐसी बातें बोलते हैं जो प्रकृति में भारत विरोधी और हिंदु विरोधी है।
इस आयोजन की मेजबानी और प्रचार-प्रसार के लिए भारतीय अमेरिकी मुस्लिम परिषद जिम्मेदार है। यह वही कट्टरपंथी इस्लामी समूह है जिसका कथित तौर पर प्रतिबंधित आतंकी संगठनों जैसे स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) से संबंध हैं। अलग अल्पसंख्यक अदालतों का आह्वान करके भारत की धर्मनिरपेक्ष न्यायिक प्रणाली को कमजोर करने के लिए इस्लामी संगठन ने अक्सर तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया है और जमीनी वास्तविकताओं की अनदेखी की है।
भारत के गणतंत्र दिवस पर आयोजित इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल के कार्यक्रम में भाग लेने के दौरान, अंसारी ने बुधवार को कहा, “हाल के वर्षों में हमने (भारत ने) उन प्रवृत्तियों और प्रथाओं के उद्भव का अनुभव किया है जो नागरिक राष्ट्रवाद के सुस्थापित सिद्धांत पर विवाद करते हैं। वह विचार एक नई और काल्पनिक व्याख्या करते हैं और इससे सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का अभ्यास प्रचलन में आ गया है।”
अंसारी ने आगे कहा,“हालांकि हालिया अभिव्यक्तियां शांत हैं लेकिन ऐसी घटनाएं कानून के शासन द्वारा शासित होने के हमारे दावे पर खराब प्रतिबिंब डालती हैं। यह एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब दिया जाना चाहिए। इन प्रवृत्तियों को कानूनी रूप से लड़ने और राजनीतिक रूप से लड़ने की जरूरत है।”
अब इस मामले को उजागर करने वाले डिसइन्फो लैब का दावा है कि IAMC के संस्थापक शेख उबैद ने रोहिंग्याओं के नाम पर पैसा इकट्ठा किया और USCIRF (अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग) द्वारा भारत को ब्लैकलिस्ट करने के लिए एक लॉबिंग फर्म, FGR को भुगतान किया।
डिसइन्फो लैब ने ट्वीट किया, “FGR के प्रमुख टेरी एलन USCIRF के अध्यक्ष नादिन मेंजा के लंबे समय से सहयोगी भी हैं और जो कथित तौर पर भारत को बहुलवाद से बचा रहे हैं।” एक अन्य ट्वीट में डिसइन्फो लैब ने पूछा कि, “IAMC संयुक्त राज्य में भारतीय मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करती है। समूह का कहना है कि वह वर्तमान फासीवादी सरकार के खिलाफ लड़ रहा है। लेकिन उसने 2013 में भारत के खिलाफ पैरवी क्यों की?”
Former VP Ansari & Actor Swara Bhaskar participating in an event by IAMC to ‘save pluralism’ on #RepublicDay
They may not know:
IAMC paid money to get India black-list by the US is linked with Jamaat-e-Islami (JeI) &
Linked with the fraud in name of Covid crisis
A thread: pic.twitter.com/DslEr3QFJs
— DisInfo Lab (@DisinfoLab) January 26, 2022
डिसइन्फो लैब द्वारा हाल ही में किए गए एक खुलासे के अनुसार, IAMC ने USCIRF (यूनाइटेड स्टेट्स कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलिजियस फ्रीडम) द्वारा भारत को ब्लैक-लिस्ट करने के लिए USA में लॉबी समूहों को कथित रूप से पैसे दिए हैं। डिसइन्फो लैब ने यह भी आरोप लगाया है कि इस समूह के आतंकी संगठन जमात-ए-इस्लामी (JeI) के साथ भी संबंध हैं।
IAMC के संस्थापक शेख उबैद ने पहले ‘बर्मा में मुसलमानों के नरसंहार को रोकने के लिए’ फंड इकट्ठा किया। फिदेलिस गवर्नमेंट रिलेशंस (FGR) और फर्स्ट प्रिंसिपल्स स्ट्रैटेजीज की मदद से IAMC ने कुल 4 लाख अमेरिकी डॉलर जुटाए। 12,000 ‘मानवाधिकारों से संबंधित मुद्दों’ पर बर्मा, चीन और भारत में प्रतिबंध कानून को बढ़ावा देने के लिए यह पैसे जुटाए हैं और शर्मनाक बात यह है कि देश के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने उस कार्यक्रम में भाग लिया।
जिस कार्यक्रम में भाषण दिया गया, वह आतंकियों का गढ़ है
डिसइन्फो के अनुसार, IAMC के शेख उबैद ने अपने दोस्त अब्दुल मलिक मुजाहिद के साथ मिलकर इस्लामिक सर्कल ऑफ नॉर्थ अमेरिका (ICNA) की स्थापना की है जो जमात-ए-इस्लामी, पाकिस्तान का एक अमेरिकी मोर्चा है। डिसइन्फो ने दावा किया कि ICNA और पाकिस्तान में स्थित लश्कर ए तैयबा जैसे आतंकी समूहों के बीच ज्ञात संबंध हैं।
एक अन्य ट्वीट में यह बताया गया कि रशीद अहमद, जिन्होंने एक अन्य मोर्चे – इस्लामिक मेडिकल एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका (IMANA) (2008-17) के कार्यकारी निदेशक के रूप में कार्य किया, वही इस समय IAMC का प्रमुख है। आपको याद होगा, भारत में COVID-19 संकट की ऊंचाई के दौरान, IMANA ने देश की मदद करने की आड़ में धन एकत्र किया था और फिर उस पैसा का कोई हिसाब नहीं दिया था।
अगले ट्वीट में डिसइन्फो ने बताया कि जाहिद महमूद, पूर्व में पाकिस्तानी नौसेना में, IMANA में संचालन निदेशक रहा है। इसके अलावा, IMANA अमेरिका में मुस्लिम ब्रदरहुड फ्रंट, इस्लामिक सोसाइटी ऑफ नॉर्थ अमेरिका (ISNA) से भी जुड़ी हुई है।
ऐसे कार्यक्रम में जाना अपने आप में विवादास्पद है और वहां जाकर ऐसे बयान देना तो अक्षम्य अपराध है। खैर, जैसा हामिद अंसारी का इतिहास रहा है, शायद ही उन्हें इससे कुछ फर्क पड़ेगा लेकिन इससे यह जरुर पता चल जाता है कि कुछ लोगों को कितना भी सम्मान दे दो, उन्होंने अपने अन्दर के विष को बहार उगलना ही हैl