पुष्पा: नाम सुनके फ्लावर समझी क्या? फायर है अल्लू अर्जुन

बिना किसी PR के अल्लू अर्जुन ने बॉक्स ऑफिस पर आग लगा रखी है!

अल्लू अर्जुन
“पुष्पा नाम सुनके फ्लावर समझी क्या? फायर हूँ मैं!”

यह केवल संवाद नहीं, बॉक्स ऑफिस पर प्रत्यक्ष प्रमाण है, क्योंकि हर तरफ अल्लू अर्जुन के चर्चे हैं। इस समय हर तरफ अफरा-तफरी का माहौल है। Omicron के संक्रमण के कारण अनेकों फिल्मों को अपनी रिलीज डेट पोस्टपोन करनी पड़ी है। लेकिन अल्लू अर्जुन की फिल्म ‘Pushpa – The Rise’ मानो रुकने या झुकने को बिल्कुल भी तैयार नहीं है। अनेक बाधाओं के बावजूद 250 करोड़ रुपये के बजट में बनी इस फिल्म ने केवल तीन हफ्तों में पूरे विश्वभर से 320 करोड़ रुपये से अधिक कमाए हैं, जिसमें से लगभग 81.5 करोड़ रुपये सिर्फ हिन्दी में डब किए गए संस्करण से आए हैं, जिसे प्रसिद्ध अभिनेता श्रेयस तलपड़े ने अपनी आवाज़ दी है–

 

जिस फिल्म का न कोई विशेष प्रोमोशन हो, जिसे न कोई खास लाइमलाइट दी जाए, और Spider Man के कारण जिसे न कोई ढंग का स्क्रीन स्लॉट मिले, वह इतनी विपरीत परिस्थितियों में भी हिन्दी भाषियों के बीच इतनी लोकप्रिय हुई कि वह 81 करोड़ रुपये कमा गई, जितना तो शायद ‘चंडीगढ़ करे आशिकी’, ‘तड़प’, ‘सत्यमेव जयते 2’ जैसे फिल्मों का कुल बजट नहीं होगा, और जितना तो दो हफ्तों में अनेक प्रोमोशन और पेड रिव्यू के बाद भी ’83’ घरेलू बॉक्स ऑफिस से नहीं कमा पाए।

लेकिन ये संभव कैसे हुआ? जैसा कि हमने पूर्व में बताया था, लेकिन 83 के फ्लॉप होने का एक कारण ये भी था कि बॉलीवुड अब तक अपने ऑडियंस को नहीं पहचान पाया है। उसका ध्यान लगभग ‘South Delhi / South Bombay’ में सिनेमा जाने वाले युवाओं तक केंद्रित था, यानि मेट्रो शहरों तक। परंतु यह लोग सम्पूर्ण भारत नहीं है। ‘बाहुबली’ क्यों सफल हुई? ‘KGF’ क्यों सफल हुई? या ‘Pushpa’ क्यों अभी तक चल रही है? इसलिए क्योंकि इनसे मेट्रो का विकी हो या गाँव का चुन्नू, सभी नाता जोड़ सकते हैं, और इसी बात को अल्लू अर्जुन जैसे अभिनेता भली-भांति जानते हैं, जिनकी भारत भर में जबरदस्त फैन फॉलोविंग हैं। उनकी डब की गई फिल्मों को लेकर जब इतनी लोकप्रियता है, तो सोचिए जब वे वास्तव में कोई बॉलीवुड फिल्म पकड़ेंगे, तो क्या बवाल मचेगा!

और पढ़ें : कैसे अखिल भारतीय फिल्में बॉलीवुड के वर्चस्व को ध्वस्त करने चली हैं

एक और कारण है अखिल भारतीय फिल्म उद्योग का उदय, यानि Pan India films का। 2017 में जब ‘बाहुबली’ का सीक्वेल आया, तो मानो सब कुछ बदल गया। इस फिल्म ने लगभग हर रिकॉर्ड को ध्वस्त करते हुए लगभग 1000 करोड़ से अधिक रुपये की कमाई की थी। यदि ‘दंगल’ फिल्म की सर्वाधिक कमाई चीन में नहीं होती, तो ‘बाहुबली’ वित्तीय तौर पर कुल राजस्व में भारत की सबसे सफल फिल्म सिद्ध होती, जिसने लगभग 1900 करोड़ रुपये वैश्विक बॉक्स ऑफिस पर कमाए थे।

लेकिन यह रीति यहीं खत्म नहीं हुई। बाहुबली के नेतृत्व में जब तेलुगु उद्योग ने ये सिलसिला प्रारंभ किया, तो कन्नड़  और मराठी उद्योग कैसे पीछे रहता? एक ओर ‘सैराट’ जैसी फिल्में रातों-रात चर्चित होने लगी, तो वहीं 2018 में कोलार स्वर्ण खदान के गोरखधंधों पर आधारित ‘KGF’ का प्रथम संस्करण प्रदर्शित हुआ। कन्नड़ स्टार नवीन राज गौड़ा उर्फ ‘यश’ के नेतृत्व में यह फिल्म न केवल पूरे भारत में प्रदर्शित हुई, अपितु उसने उसी दिन भारत में प्रदर्शन का निर्णय लिया, जिस दिन शाहरुख ख़ान की बहुप्रतीक्षित ‘जीरो’ प्रदर्शित होने को तैयार थी।

‘KGF’ ने अपेक्षाओं के विपरीत न केवल ‘ज़ीरो’ की नैया डुबाई अपितु 250 करोड़ से अधिक कमाकर एक अलग पहचान भी बनाई और आज दर्शक KGF के दूसरे संस्करण के लिए बॉलीवुड के बड़े से बड़े फिल्म से भी अधिक प्रतीक्षारत हैं। इसे संयोग कहिए या KGF के निर्माताओं की सोची समझी नीति परंतु KGF का दूसरा संस्करण भी एक महत्वपूर्ण फिल्म के साथ क्लैश कर रहा है, जो आमिर खान की बहुप्रतीक्षित ‘लाल सिंह चड्ढा’ है। यह फिल्म प्रसिद्ध ‘Forrest Gump’ का भारतीय संस्करण है।

अल्लु अर्जुन का कमाल!

असल में अल्लू अर्जुन तेलुगु उद्योग के मंझे हुए खिलाड़ी हैं, जिनकी केवल डब की गई फिल्मों के ही भारत भर में करोड़ों दीवाने है। ‘आर्या’ से लेकर ‘आला वैकुंठपुरामलू’ [Ala Vaikunthapurramloo] तक अनेकों फिल्मों के माध्यम से उन्होंने सिद्ध किया है कि जब बात मनोरंजन की हो, तो उनका कोई तोड़ नहीं है। हो सकता है कि ‘Pushpa’ बहुतो के लिए एक मास्टरपीस न हो, लेकिन जब बात मनोरंजन की आए, तो निस्संदेह 10 में से इसके 9 नंबर तो बनते हैं, जिसमें 7-8 नंबर केवल अल्लू अर्जुन के प्रभावशाली अभिनय से ही सिद्ध होता है।

ऐसे में “Pushpa” के अप्रत्याशित प्रदर्शन से दो बातें स्पष्ट हैं – एक तो यह कि अखिल भारतीय फिल्मों का वर्चस्व अब कोई नहीं रोक जाता, और दूसरा यह कि अल्लू अर्जुन का प्रभुत्व अपने आप में अनोखा है, जिसका तोड़ स्वयं अल्लू अर्जुन के पास है। जो व्यक्ति अपने अभिनय और मनोरंजन के बल पर तेलुगु भाषी राज्य तक सीमित न रहकर पूरे भारत में छा जाए, तो बात तो होगी उनमें।

Exit mobile version