“कुछ दशकों पहले, मैंने उम्मीद नहीं की थी कि एक दिन हमें अपने देश में इतने सारे बेहतरीन तेज गेंदबाज देखने को मिलेंगे। यह शानदार है। हमारे खेलने के दिनों में तेज गेंदबाज बहुत नये थे लेकिन अब हमारे पास काफी अच्छी ‘बेंच स्ट्रेंथ’ है, अगर शीर्ष गेंदबाज उपलब्ध नहीं हैं तो हमारे पास मैचों में जीत दिलाने के लिये काफी तेज गेंदबाज मौजूद हैं।”-कपिल देव (अप्रैल,2021)
भारतीय क्रिकेट टीम ने चैंपियंस ट्रॉफी (2017) और टी-20 विश्वकप (2021) में हार के बाद हाल ही में दक्षिण अफ्रीका का अपमानजनक दौरा समाप्त किया है। एबी डिविलियर्स, डुप्लेसिस, डेल स्टेन, हाशिम अमला जैसे दिग्गज खिलाड़ियों की अनुपस्थिति के बावजूद दोयम दर्जे की दक्षिण अफ्रीकी टीम के खिलाफ हमारी टीम एकदिवसीय मैचों में 3-0 और टेस्ट में 2-1 से हार गई। आखिर ऐसा क्या कारण है कि विदेशी धरती, बड़े मंचों और मजबूत प्रतिद्वंदियों के खिलाफ भारत हार जाता है? वो भी तब जब नंबर 1, 2, 3 के बल्लेबाज, गेंदबाज और क्षेत्ररक्षकों से सजी भारतीय टीम हाल के वर्षों में दुनिया की सबसे भरोसेमंद बल्लेबाजी और गेंदबाजी के लिए प्रसिद्ध है। जो भी हो पर इस अप्रत्याशित नुकसान ने भारत की कथित रूप से मजबूत बेंच स्ट्रेंथ पर बहुत सारे सवाल खड़े कर दिए हैं ।
भारतीय टीम की बेंच-स्ट्रेंथ की तारीफ
जनवरी 2021 में, भारत ने ब्रिस्बेन में मजबूत ऑस्ट्रेलियाई पक्ष पर ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। इसमें गाबा की ऐतिहासिक जीत भी शामिल थी। उस जीत के बारे में उल्लेखनीय अवलोकन भारत की बेंच स्ट्रेंथ की श्रेष्ठता थी। भारत बल्लेबाजी क्रम विराट कोहली और रोहित शर्मा के बिना खेल रही थी। इसी तरह भारतीय गेंदबाजी लाइन अप भी इतिहास में सबसे अनुभवहीन गेंदबाजी क्रम में से एक थी। मैच में खेलने वाले सभी 5 गेंदबाज पहली बार ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर थे।
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हालांकि, टीम ने हमेशा विश्वसनीय पैट कमिंस, मिशेल स्टार्क और जोश हेज़लवुड जैसे गेंदबाजों से बने कंगारू चक्रव्यूह को तोड़ दिया। ऑस्ट्रेलियाई कोच जस्टिन लैंगर ने इस अविश्वसनीय जीत पर टिप्पणी करते हुए कहा कि भारतीयों को कभी कम मत समझो, अगर आपको 1.5 अरब भारतीयों में से प्लेइंग इलेवन में चुना जाता है, तो आपको वास्तव में श्रेष्ठतम होना होगा। तो उस जीत के एक साल के अंतराल में वास्तव में क्या हुआ? क्या भारत की बेंच स्ट्रेंथ कम हो गई है? या वास्तव में भारत के पास बेंच स्ट्रेंथ थी ही नहीं?
क्या कहते हैं बेंच स्ट्रेंथ के घरेलू रिकॉर्ड?
वर्तमान में, भारतीय प्लेइंग इलेवन में चुने जाने वाले बहुत कम खिलाड़ियों ने ही भारत के घरेलू सर्किट में कुछ हद तक शानदार प्रदर्शन किया हैं। IPL के इस दौर में रणजी ट्रॉफी, विजय हजारे ट्रॉफी और अन्य घरेलू क्रिकेट टूर्नामेंट खेलने की परंपरा जैसे खत्म ही हो गई है। IPL ने ऐसी लत लगाई है कि खिलाड़ी अब क्रिकेट खेलकर पैसे बनाना एवं जल्द ही प्रसिद्धि भी पाना चाहते हैं। इससे क्रिकेट के प्रति उनकी समर्पण और कठोर श्रम की भावना समाप्त हो गई है और IPL ही चयन का आधार बन गया है।
जसप्रीत बुमराह, के एल राहुल, ऋषभ पंत जैसे खिलाड़ियों के पास अपने चयन का समर्थन करने के लिए प्रथम श्रेणी (First Class) रिकॉर्ड है। पर, दुर्भाग्य से भारत की बेंच स्ट्रेंथ लाइन-अप में सभी के बारे यह नहीं कहा जा सकता है। सूर्यकुमार यादव और श्रेयस अय्यर के चयन के पीछे उनका असाधारण प्रथम श्रेणी (Extraordinary First Class) रिकॉर्ड है परन्तु, यजुवेंद्र चहल और प्रसिद्ध कृष्ण जैसे अन्य खिलाड़ियों का घरेलू क्रिकेट में या तो खराब रिकॉर्ड है या वे केवल अनुभवहीन हैं।
ख़राब रिकॉर्ड के बावजूद खिलाड़ियों को क्यों चुना जाता है?
आज के जमाने में भारतीय टीम का चयन रणजी ट्रॉफी से ज्यादा IPL के प्रदर्शन के आधार पर किया जाता है। माना जा रहा है कि अगर किसी खिलाड़ी ने IPL में खेलने वाले दिग्गजों के सामने अच्छा प्रदर्शन किया है तो उन्हें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से तालमेल बिठाने में कोई दिक्कत नहीं होगी। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट इतना आसान नहीं है। यह कौशल और दक्षता की सबसे कठिन कसौटी है। जब आप घरेलू क्रिकेट खेलते हैं, तो आपको अलग-अलग परिस्थितियों में खेलने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। वहीं, चार दिवसीय क्रिकेट खिलाड़ियों के अंदर असीम कौशल विकसित करता है। जब एक घरेलू रूप से सिद्ध और अनुभवी खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में खेलने जाता है तो वह जल्दी से इसके अनुकूल हो जाता हैं और लंबे समय में एक बेहतर खिलाड़ी बनकर उभरता है। माइकल हसी ऐसे ही एक उदाहरण हैं।
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में एक फास्टट्रैक खिलाड़ी के लिए अच्छा प्रदर्शन करना अपेक्षाकृत आसान होता है। इससे कुछ समय के लिए उसकी ग्रोथ तेज होती है। इसके अलावा इनमें से अधिकांश खिलाड़ी विभिन्न प्रकार की विविधताएँ और गैर-परंपरागत क्रिकेटिंग शॉट लाते हैं, जिससे विपक्ष के लिए उन्हें कुछ समय के लिए डिकोड करना कठिन हो जाता है। लेकिन, जैसे ही वे एक निश्चित सीमा को पार करते हैं, उनके खेलशैली का रहस्य नहीं छिपता। जिससे विपक्ष को उनका अनुमान और आंकलन मिल जाता है तथा ये खिलाड़ी सामान्य पड़ाव पर आ जाते हैं। यजुवेंद्र चहल, वरुण चक्रवर्ती और कुलदीप यादव जैसे खिलाड़ियों के पतन का कारण यही है। हमारे ‘मिस्ट्री स्पिनर्स’ में कोई ‘मिस्ट्री’ बची ही नहीं। दोनों का अंतरराष्ट्रीय रिकॉर्ड शानदार है, लेकिन प्रथम श्रेणी क्रिकेट (First Class Cricket) में वे बस औसत से सर्वश्रेष्ठ हैं।
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सर्वांगीण कौशल के लिए अहम है फर्स्ट क्लास क्रिकेट
भारतीय टीम में कोहली-शास्त्री का पिछला प्रबंधन भी भारत की अस्थिर बेंच स्ट्रेंथ के लिए कुछ हद तक दोषी है। वे सिर्फ उन्हें चुनते रहे जो IPL में खेल चुके हैं या जो खिलाड़ी उनके लिए IPL में खेलें। वो भूल गए की वो अपने IPL फ्रेंचाइजी टीम के अलावा पूरे भारतीय टीम के कोच और कप्तान हैं। अगर तिहरा शतक बनाने के बाद करुण नायर को बाहर किया जा सकता है, तो यह हमारे घरेलू सेट अप के बारे में बहुत कुछ बताता है।
रणजी ने के एल राहुल, रोहित शर्मा, मुरली विजय जैसे खिलाड़ियों को दिया है और तब जाकर उन्होंने शीर्ष टीम में काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। अन्य खिलाड़ियों को भी इसी तरह के ट्रैक का पालन करने की जरूरत है। ऐसे में, IPL केवल एक निश्चित प्रकार का ही बेंच स्ट्रेंथ बना सकता है पर सर्वांगीण कौशल प्रथम श्रेणी क्रिकेट (First Class Cricket) की कठोरता से ही आते हैं, जिसमें खिलाड़ी पैसे और प्रसिद्धि के लिए नहीं बल्कि टीम के लिए खेलता है।