मुख्य बिंदु
- Android और IOS की तरह अब भारत भी बनाएगा ऑपरेटिंग सिस्टम
- वर्ष 2021 तक 73 प्रतिशत से अधिक मोबाइल उपयोगकर्ता Android ऑपरेटिंग सिस्टम का करते हैं उपयोग
- ऑपरेटिंग सिस्टम में दुनिया का सबसे बड़ा बाजार बन सकता है भारत
Android और IOS जैसे स्मार्टफोन ऑपरेटिंग सिस्टम के तकनीकी एकाधिकार को तोड़ने के प्रयास में नरेंद्र मोदी सरकार एक नीति विकसित करने की योजना बना रही है, जो एक स्वदेशी ऑपरेटिंग सिस्टम बनाने के लिए पारिस्थितिक तंत्र की सुविधा प्रदान करेगी। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने दो अमेरिकी तकनीकी कंपनियों की प्रमुखता पर ध्यान देते हुए कहा, “अभी कोई भी तीसरा ऑपरेटिंग सिस्टम नहीं है। ऐसे में केंद्र सरकार के पास यह सुनहरा मौका है कि हम एक हैंडसेट ऑपरेटिंग सिस्टम तैयार करवाने में मदद करें। हम लोगों से बात कर रहे हैं। हम इसके लिए नीति भी बना सकते हैं।”
भारत भी बनाएगा ऑपरेटिंग सिस्टम
दरअसल, ऑपरेटिंग सिस्टम एक स्मार्टफोन के संचालन का आधार होता है, जो फोन के हार्डवेयर और सॉफ़्टवेयर संसाधनों का प्रबंधन करता है। एक भारतीय ऑपरेटिंग सिस्टम ब्रांड को बढ़ाने के बारे में बात करते हुए केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने आगे कहा, “यदि कुछ वास्तविक क्षमता है, तो हम उस क्षेत्र को विकसित करने में बहुत रुचि रखते हैं क्योंकि इससे IOS और Android का विकल्प तैयार होगा।” आपको बता दें कि वर्तमान में स्मार्टफोन बाजार तेजी से Android की ओर झुका हुआ है। एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2021 तक 73 प्रतिशत से अधिक मोबाइल उपयोगकर्ता Android ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोग कर रहे थे। वहीं, दूसरा स्थान Apple का है, जो अपने ऑपरेटिंग सिस्टम का योगदान दुनिया भर में लगभग 26 प्रतिशत स्मार्टफोन बेचता है।
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गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार ने भारत के आधुनिकीकरण को तेज करने पर ध्यान केंद्रित किया है। उनके दूरदर्शी दृष्टिकोण से भारत में डिजिटल इंडिया अभियान की शुरुआत हुई है। वर्तमान में, भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात 15 अरब अमेरिकी डॉलर है। इस मामले में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि “यह प्रधानमंत्री और इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालय और आईटी मंत्रालय की इच्छा है कि भारत प्रत्येक अग्रणी उत्पाद श्रेणियों में निर्माता बने।”
ऑपरेटिंग सिस्टम में बड़ा बाजार बन सकता है भारत
उन्होंने कहा कि “प्रधानमंत्री ने भारत में वित्तीय बाजार को खोल दिया है और भारत विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के साथ-साथ इक्विटी के सबसे बड़े प्राप्तकर्ताओं में से एक बन गया है। भारत में विदेशी बैंकों की संख्या में वृद्धि हुई है। पहली बार, शेयर बाजार और सार्वजनिक बाजार प्रौद्योगिकी स्टार्ट-अप और कंपनियों में वित्त पोषण और निवेश कर रहे हैं।”
बताते चलें कि उन्होंने संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव के साथ उद्योग निकाय ICEA (इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन) द्वारा तैयार इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण पर दृष्टिकोण पत्र का दूसरा हिस्सा भी जारी किया। संगठन के सदस्यों में Apple, Lava, Foxconn, Dixon आदि शामिल हैं। वहीं, इस प्रयास से देश में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण को 75 अरब डॉलर के मौजूदा स्तर से 2026 तक 300 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंचाने को लेकर रूपरेखा का वर्णन किया गया है।
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राजीव चंद्रशेखर ने यह भी कहा कि, ‘‘यह रिपोर्ट बहुत सटीक है, जो बताती है कि 300 अरब डॉलर कहां से आएंगे, उद्योग को क्या करना है और सरकार को क्या करना है? यह एक उदाहरण है कि कैसे उद्योग और सरकार को देश के लिए लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए। उत्पादन 300 अरब डॉलर और निर्यात 120 अरब डॉलर का होगा। यह अब सरकार का उद्देश्य है।’’ ऐसे में, यदि भारत एक मजबूत और प्रतिस्पर्धी OS विकसित करने का प्रबंधन करता है, तो यह आने वाले समय में दुनिया का सबसे बड़ा बाजार बन सकता है। हालांकि, अभी Google और Apple का OS पर पूर्णतः एकाधिकार है, जिससे इस लक्ष्य को प्राप्त करना आसान नहीं होगा।