2030 तक जापान को पछाड़ आगे आएगा भारत, अब चीन है अगला लक्ष्य

असंभव संसार में कुछ भी नहीं!

भारत की GDP

भारत दुनिया की आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभरने के लिए तैयार है। भारत की जनसँख्या को आर्थिक प्रगति में बाधा मानाने वालों इस तथ्य को नहीं नकार सकते कि भारत की कुल आबादी का 64 फीसदी हिस्सा युवाओं का है। इन युवाओं ने देश को तरक्की की रह पर ले जाने का जिम्मा उठाया है। दरअसल, बीते शुक्रवार को IHS Markit ने एक रिपोर्ट में कहा कि भारत 2030 तक एशिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में जापान से आगे निकल सकता है और उस समय तक भारत की GDP जर्मनी और यूनाइटेड किंगडम को पीछे छोड़ कर दुनिया में तीसरे स्थान पर पहुंच जाएगी। वर्तमान में, भारत संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, जापान, जर्मनी और यूनाइटेड किंगडम के बाद दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।

भारत बनेगा एशिया की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था

अपनी रिपोर्ट में IHS मार्किट लिमिटेड ने कहा- “अमेरिकी डॉलर के आधार पर मापी गई भारत की GDP के 2021 में 2.7 ट्रिलियन डॉलर से बढ़कर 2030 तक 8.4 ट्रिलियन डॉलर होने का अनुमान है। तेजी से आर्थिक विकास के परिणामस्वरूप भारत की GDP जापान की GDP से अधिक हो जाएगी और गणितीय गणना के अनुसार 2030 तक, भारत एशिया-प्रशांत क्षेत्र में दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना जायेगा। 2030 तक, भारतीय अर्थव्यवस्था जर्मनी, फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम जैसी सबसे बड़ी पश्चिमी यूरोपीय अर्थव्यवस्थाओं से भी बड़ी हो जाएगी।”

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कुल मिलाकर, भारत के अगले दशक में  भी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक बने रहने की उम्मीद है। भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए दीर्घकालिक दृष्टिकोण को कई प्रमुख विकास चालकों और सरकार समर्थित कल्याणकारी योजनाओं का समर्थन प्राप्त है। IHS Markit ने कहा, “भारत के लिए एक महत्वपूर्ण सकारात्मक कारक इसका बड़ा और तेजी से बढ़ता मध्यम वर्ग है, जो उपभोक्ता खर्च को बढ़ाने में मदद कर रहा है। 2020 में राष्ट्रीय उपभोक्ता खर्च 1.5 ट्रिलियन डॉलर था। 2030 तक इसे दोगुना बढ़ोतरी के साथ 3 ट्रिलियन डॉलर होने का अनुमान है।”

वहीं, 2021-22 वित्तीय वर्ष (अप्रैल 2021 से मार्च 2022) के लिए भारत की वास्तविक GDP वृद्धि 8.2% होने का अनुमान है, जो 2020-21 में 7.3% साल-दर-साल की औसत से उबर रही है। तेजी से बढ़ते घरेलू उपभोक्ता बाजार और इसके बड़े औद्योगिक क्षेत्र भारत को कई क्षेत्रों में बहुराष्ट्रीय कंपनियों की विस्तृत श्रृंखला के लिए एक महत्वपूर्ण निवेश गंतव्य बनाते हैं। यह विनिर्माण, बुनियादी ढांचे और सेवाओं का एक आकर्षक बाजार और आपूर्तिकर्ता दोनों बन चुका है।

बहुराष्ट्रीय कंपनियां हो रही हैं भारत की ओर आकर्षित

भारत में चल रहे डिजिटल परिवर्तन से ई-कॉमर्स के विकास में तेजी आने और अगले दशक में खुदरा उपभोक्ता बाजार के लिए दृष्टिकोण को बदलने की उम्मीद है। बता दें कि रिपोर्ट के अनुसार, “भारतीय बाजार प्रौद्योगिकी और ई-कॉमर्स के क्षेत्र में दुनिया की अग्रणी बहुराष्ट्रीय कंपनियों को आकर्षित कर रहा है। 2030 तक, 1.1 बिलियन भारतीयों की इंटरनेट तक पहुंच होगी, जो 2020 में अनुमानित 500 मिलियन इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के दोगुने से भी अधिक है।” तेजी से ई-कॉमर्स विकास, 4G और 5G स्मार्टफोन प्रौद्योगिकियों के लिए ऑनलाइन ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, मेन्स ब्रांड्स, लॉजिस्टिक्स स्टार्टअप और तेजी से बढ़ते ऑनलाइन किराना स्टोर जैसे व्यापार घरेलू यूनिकॉर्न द्वारा समर्थित है। आत्मनिर्भर भारत और महामारी पैकेज के दौरान यह घटने के बजाए और भी बढ़ गया है।

साथ ही, भारत में FDI प्रवाह में उल्लेखनीय वृद्धि 2020 और 2021 में तेज़ी से हो रही है। इसमें पिछले पांच सालों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। इसे वैश्विक प्रौद्योगिकी की बहुराष्ट्रीय कंपनियों जैसे कि Google और फेसबुक से बड़े पैमाने पर निवेश से बढ़ावा मिला है, जो भारत के बड़े घरेलू उपभोक्ता बाजार की ओर आकर्षित हुई हैं।

भारत की अर्थव्यवस्था और चीन के लिए बड़ी चुनौती 

गौरतलब है कि 2020 के आकड़ों के अनुसार, भारत का कुल GDP 2.623ट्रिलियन USD है जबकि चीन की GDP 14.72 ट्रिलियन USD है। अपनी भू-राजनीतिक ताकतों के आधार पर चीन भारत के लिए आर्थिक मामलों में एशिया का सबसे बड़ा विरोधी रहा है। चीन ने विश्व में अपनी सत्ता और भू-राजनीतिक दृष्टिकोण के जरिये ही आर्थिक प्रगति की है। ऐसे में, जब भारत 2030 तक एशिया में दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाकर उभरे, उससे पहले ही चीन की बौखलाहट प्रतीत होने लगेगी। चीन को हर मोर्चे पर भारत चुनौती दे रहा है और यह अबतक की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है।

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ऐसे में, दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक होने के नाते, भारत उद्योगों की एक विस्तृत श्रृंखला में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण सहयोगी और बाजार दोनों है, जिसमें ऑटोमोटिव, इलेक्ट्रॉनिक्स और रसायन जैसे विनिर्माण एवं बैंकिंग और बीमा जैसे सेवा उद्योग शामिल हैं। वहीं, भारत जल्द ही स्वास्थ्य देखभाल और सूचना प्रौद्योगिकी के बढ़ते बाजारों में से भी एक होगा। आनेवाले समय में भारत की अर्थव्यवस्था न सिर्फ विश्व को संभालेगी बल्कि उसी संपन्नता की नई ऊंचाइयों पर भी ले जायेगी।

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