‘मेक इन इंडिया’ की बदौलत भारत का हथियार उद्योग रॉकेट की गति से आगे बढ़ रहा है

आत्मनिर्भर भारत का आत्मनिर्भर रक्षा उद्योग!

PM Modi

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मोदी सरकार देश को आत्मनिर्भर बनाने हेतु कई योजनाओं पर लगातार काम कर रही है। देसी कंपनियों को बढ़ावा देने और घरेलू विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाने के उद्देश्य से सरकार की ओर से कई तरह के कदम उठाए गए हैं, जिसका परिणाम भी अब देखने को मिल रहा है। खबरों के मुताबिक अब केंद्र सरकार ने सतह से हवा में मार करने वाली कम दूरी की मिसाइलों की खरीद और भारतीय तटरक्षक बल के लिए 14 हेलिकॉप्टरों की खरीद से संबंधित कई सौदों को रद्द कर दिया है। इस फैसले को घरेलू रक्षा क्षेत्र के लिए आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ाए गए एक बड़े कदम के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि, फ्रांस से हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल खरीदने और रूसी हेलीकॉप्टरों को ओवरहाल के सौदे पर आगे बढ़ने की अनुमति दी गई है ।

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शुरु हुई बाय ग्लोबल आयात सौदों की समीक्षा 

दरअसल, ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार के जोर के अनुरूप, रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को कम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल और 14 हेलीकॉप्टर खरीदने से संबंधित सौदों के लिए निविदा वापस लेने का फैसला किया। साथ ही रक्षा मंत्रालय ने ‘बाय ग्लोबल’ (Buy  Global) श्रेणी के तहत उन आयात सौदों की समीक्षा शुरू कर दी है, जो पूरी तरह से विदेशी विक्रेताओं से खरीदे जाते हैं। रक्षा मंत्रालय (MoD) की बैठक के दौरान इस संबंध में एक बड़ा निर्णय शुक्रवार को नई दिल्ली में लिया गया। यह बैठक विदेशी विक्रेताओं के साथ आयात सौदों की समीक्षा के लिए आयोजित की गई थी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘मेक इन इंडिया’ पहल को आगे बढ़ाने के लिए रक्षा मंत्रालय की बैठकों की श्रृंखला में यह पहली बैठक थी। सरकार बड़ी संख्या में रक्षा आयात सौदों की पहले ही समीक्षा कर चुकी है और अब विदेशी रक्षा संसाधनों की जगह स्वदेशी हथियार और आपूर्तिकर्ताओं को टेंडर दिए जायेंगे। फोरक्लोजर और डिफरमेंट लिस्ट में वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम्स, टोड आर्टिलरी गन, वर्टिकली लॉन्च की गई सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल, शिपबोर्न अनमैन्ड एरियल सिस्टम, मिग -29 कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के साथ अतिरिक्त P-8I सर्विलांस एयरक्राफ्ट जैसे सौदे शामिल हैं। विदेशी सैन्य बिक्री मार्ग के तहत सामान्य प्रयोजन के लिए उपयोग की जानेवाली मशीन गन जैसे सौदे भी इस सूची में हैं। इसके साथ साथ एक मिसाइल सौदे की भी जांच की जा रही है।

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आत्मनिर्भर भारत की सफलता के रुप में दिखने लगा है सरकार का प्रयास

इसके अलावा रूस के साथ अरबों डॉलर के कामोव-226 हेलीकॉप्टर सौदे को भी सूची में रखा गया है। कामोव-31 शिपबोर्न हेलिकॉप्टरों के साथ-साथ क्लब क्लास एंटी-शिप मिसाइल भी सूची में हैं। कई अतिगोपनीय परियोजनाएं भी इस सूची में शामिल हैं, जिन पर चर्चा की जाएगी। यह पहल तब हुई जब पीएम मोदी ने पिछले साल रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की थी। तत्कालीन चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत ने भी उस बैठक में हिस्सा लिया था।

पिछले साल बैठक में भाग लेने वाले अधिकारियों ने महसूस किया कि यह सुनिश्चित करने हेतु कड़े कदम उठाने की जरूरत है कि देश रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत की ओर मजबूती से आगे बढ़े। बैठक के बाद रक्षा मंत्रालय में एक अतिरिक्त सचिव-रैंक के अधिकारी ने एक नोट के जरिए स्पष्ट किया कि “सभी हितधारक को सैद्धांतिक रूप से मंत्रालय द्वारा सूचित किया जाता हैं कि समीक्षा की गई रक्षा वस्तुओं का कोई आयात आगे नहीं बढ़े।

आपको बता दें कि सरकार के प्रयासों के फल आत्मनिर्भर भारत के सफलता के रूप में दिखने लगे हैं। फिलीपींस ने बीते शुक्रवार को ही ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड को अपनी नौसेना के लिए शोर-आधारित एंटी-शिप मिसाइल सिस्टम अधिग्रहण परियोजना की आपूर्ति करने का टेंडर दिया है। यह प्रस्ताव 374.9 मिलियन डॉलर का है। फिलीपींस के राष्ट्रीय रक्षा विभाग द्वारा ब्रह्मोस के अधिकारियों को यह स्वीकारोक्ति सूचना भेजी गई। प्रधानमंत्री व्यक्तिगत रूप से रक्षा क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ पहल की प्रगति की समीक्षा कर रहे हैं और समय-समय पर दोनों सेवाओं और रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए और कदम उठाए जाएं।

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