कबीरदास जी की साखियाँ और शबद
कबीरदास जी ने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज में फैली तमाम तरह की कुरोतियों को भी दूर करने की कोशिश की है. कबीरदास जी हिन्दी साहित्य के एक प्रकंडविद्धान, महान कवि एवं एक अच्छे समाज सुधारक थे. कबीर दास द्वारा लिखी गई ज्यादातर किताबें दोहा और गीतों का विशाल भंड़ार है. जिसकी संख्या 72 है. उनकी कुछ प्रसिद्ध रचनाओं में कबीर बीजक, सुखनिधन, होली अगम, शब्द, वसंत, साखी और रक्त शामिल हैं. कबीर दास जी की रचनाएं समाज पर गहरा प्रभाव आज भी डाल रही है और आने वाले कई वर्षों तक इनका प्रभाव जनमानस पर पड़ता रहेगा और प्रस्तुत लेख में हम आपको उन्हीं रचनाओं के बारें में बताने जा रहे है.
कबीरदास जी ने अपनी रचनाओं में न सिर्फ मानव जीवन के मूल्यों की व्याख्या की है बल्कि भारतीय संस्कृति, धर्म, भाषा आदि का भी बेहद अच्छे तरीके से वर्णन किया है. कबीरदास जी ने अपनी रचनाओं को बेहद सरल और आसान भाषा में लिखा है.
कबीर दास जी की मुख्य रचनाएं
कबीरदास अनपढ़ थे. उनके समस्त विचारों में राम-नाम की महिमा का ही बोध होता था. वे सबका एक ही ईश्वर हैष यह मानते थे.वहीं कबीर जी कर्मकाण्ड के घोर विरोधी थे. वह अवतार, मूर्त्ति, रोज़ा, ईद, मस्जिद, मंदिर आदि को वे नहीं मानते थे.कबीर की वाणी का संग्रह `बीजक’ के नाम से प्रसिद्ध है. इसके तीन भाग हैं-
1. रमैनी
2. सबद
3. साखी
– कबीर की साखियाँ – कबीर दास जी की शिक्षाओं और सिद्धांतों का ही इसमें उल्लेख मिलता है.
– सबद – यह कबीर दास जी की सर्वोत्तम रचनाओं में से एक है. इसमें उन्होंने अपने प्रेम और अंतरंग साधाना का वर्णन बड़ी ही अच्छी खूबसूरती से किया है.
– रमैनी- इसमें कबीरदास जी ने अपने कुछ दार्शनिक एवं रहस्यवादी विचारों की व्याख्या की है. वहीं उन्होंने अपनी इस रचना को चौपाई छंद में लिखा है.
कबीर दास जी की रचनाएं – भाग 1
• साधो, देखो जग बौराना – कबीर
• कथनी-करणी का अंग -कबीर
• करम गति टारैनाहिंटरी – कबीर
• चांणक का अंग – कबीर
• नैया पड़ी मंझधार गुरु बिन कैसे लागे पार – कबीर
• मोको कहां – कबीर
• रहना नहिंदेसबिराना है – कबीर
• दिवाने मन, भजन बिना दुख पैहौ – कबीर
• राम बिनु तन को ताप न जाई – कबीर
• हाँ रे! नसरलहटिया उसरी गेलै रे दइवा – कबीर
• हंसा चललससुररिया रे, नैहरवाडोलम डोल – कबीर
• अबिनासीदुलहा कब मिलिहौ, भक्तन के रछपाल – कबीर
• सहज मिले अविनासी – कबीर
कबीर दास जी की रचनाएं – भाग 2
• सोना ऐसनदेहिया हो संतो भइया – कबीर
• बीत गये दिन भजन बिना रे – कबीर
• चेत करु जोगी, बिलैयामारै मटकी – कबीर
• अवधूतायुगनयुगन हम योगी – कबीर
• रहली मैं कुबुद्ध संग रहली – कबीर
• कबीर की साखियाँ – कबीर
• बहुरिनहिंआवना या देस – कबीर
• समरथाई का अंग – कबीर
• पाँच ही तत्त के लागलहटिया – कबीर
• बड़ी रे विपतिया रे हंसा, नहिरागँवाइल रे – कबीर
• अंखियां तो झाईं परी – कबीर
• कबीर के पद – कबीर
• जीवन-मृतक का अंग – कबीर
• नैया पड़ी मंझधार गुरु बिन कैसे लागे पार – कबीर
• धोबिया हो बैराग – कबीर
• तोर हीरा हिराइल बा किचड़े में – कबीर
• घर पिछुआरीलोहरवा भैया हो मितवा – कबीर
कबीर दास जी की रचनाएं – भाग 3
• सुगवापिंजरवाछोरि भागा – कबीर
• ननदी गे तैं विषम सोहागिनि – कबीर
• भेष का अंग – कबीर
• सम्रथाई का अंग – कबीर
• मधि का अंग – कबीर
• सतगुर के सँग क्यों न गई री – कबीर
• उपदेश का अंग – कबीर
• करम गति टारैनाहिंटरी – कबीर
• भ्रम-बिधोंसवा का अंग – कबीर
• पतिव्रता का अंग – कबीर
• मोको कहां ढूँढे रे बन्दे – कबीर
• चितावणी का अंग – कबीर
• कामी का अंग – कबीर
• मन का अंग – कबीर
• जर्णा का अंग – कबीर
• निरंजन धन तुम्हरो दरबार – कबीर
कबीर दास जी की रचनाएं – भाग 4
• माया का अंग – कबीर
• काहे री नलिनी तू कुमिलानी – कबीर
• गुरुदेव का अंग – कबीर
• नीति के दोहे – कबीर
• बेसास का अंग – कबीर
• सुमिरण का अंग – कबीर
• केहिसमुझावौ सब जग अन्धा – कबीर
• मन ना रँगाए, रँगाए जोगी कपड़ा – कबीर
• भजो रे भैया राम गोविंद हरी – कबीर
• का लैजैबौ, ससुर घर ऐबौ – कबीर
• सुपने में सांइ मिले – कबीर
• मन मस्त हुआ तब क्यों बोलै – कबीर
• तूने रात गँवायी सोय के दिवस गँवाया खाय के – कबीर
• मन मस्त हुआ तब क्यों बोलै – कबीर
• साध-असाध का अंग – कबीर
• दिवाने मन, भजन बिना दुख पैहौ – कबीर
• माया महा ठगनी हम जानी – कबीर
कबीर दास जी की रचनाएं – भाग 5
• कौन ठगवा नगरियालूटल हो – कबीर
• रस का अंग – कबीर
• संगति का अंग – कबीर
• झीनी झीनी बीनी चदरिया – कबीर
• रहना नहिंदेसबिराना है – कबीर
• साधो ये मुरदों का गांव – कबीर
• विरह का अंग – कबीर
• रे दिल गाफिल गफलत मत कर – कबीर
• सुमिरण का अंग – कबीर
• मन लाग्योमेरो यार फ़कीरी में – कबीर
• राम बिनु तन को ताप न जाई – कबीर
• तेरा मेरा मनुवां – कबीर
• भ्रम-बिधोंसवा का अंग – कबीर
• साध का अंग – कबीर
और पढ़े : कबीरदास जी, रहीमदास जी और तुलसीदास जी के 12 नीति के दोहे- व्याख्या
कबीर दास जी की रचनाएं – भाग 6
• घूँघट के पट – कबीर
• हमन है इश्क मस्ताना – कबीर
• सांच का अंग – कबीर
• सूरातन का अंग – कबीर
• हमन है इश्क मस्ताना – कबीर
• रहना नहिंदेसबिराना है – कबीर
• मेरी चुनरी में परिगयो दाग पिया – कबीर
• कबीर की साखियाँ – कबीर
• मुनियाँपिंजड़ेवाली ना, तेरो सतगुरु है बेपारी – कबीर
• अँधियरवा में ठाढ़ गोरी का करलू – कबीर
• अंखियां तो छाई परी – कबीर
• ऋतु फागुन नियरानी हो – कबीर
• घूँघट के पट – कबीर
• साधु बाबा हो बिषयबिलरवा, दहियाखैलकै मोर – कबीर
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