वैश्विक निवेश का केंद्र बन रहा कर्नाटक, FDI के रूप में प्राप्त किया 1.02 लाख करोड़

राजनीतिक स्थिरता सबसे बड़ा कारण!

fdi

source- Google

कर्नाटक पिछले कुछ वर्षों से व्यापार और निवेश के लिए सबसे प्रमुख स्थान रहा है। कर्नाटक आज FDI के मामले में अव्वल साबित हो रहा है।वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी एफडीआई रिपोर्ट के अनुसार, राज्य को चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में अब तक 1.6 लाख करोड़ रुपये और 1.02 लाख करोड़ रुपये क्रमश: प्राप्त हुए हैं। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कर्नाटक द्वारा प्राप्त FDI देश में कुल FDI का 42 प्रतिशत था, लेकिन दूसरी तिमाही में यह कुल का 48 प्रतिशत तक पहुंच गया। दरअसल, सितंबर 2021 के अंत तक, कर्नाटक को एफडीआई में 1.02 लाख करोड़ रुपये से अधिक प्राप्त हुए थे। कर्नाटक में भारी निवेश से पता चलता है कि किसी भी राज्य में सुशासन और सत्ताधारी पार्टी द्वारा प्रदान किए जाने वाले अनुकूल वातावरण निवेशकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। यहां तक कि निजी इक्विटी के मामले में भी, बेंगलुरु दिल्ली NCR के बाद दूसरा सबसे बड़ा गंतव्य है।

इस मुद्दे को लेकर कर्नाटक के बड़े और मध्यम उद्योग मंत्री मुरुगेश निरानी का कहना है कि “वित्तीय वर्ष 2021-2022 की लगातार दो तिमाहियों के लिए, कर्नाटक ने देश में सबसे अधिक एफडीआई आकर्षित किया है।” उन्होंने कहा, कर्नाटक इस वित्तीय वर्ष में महाराष्ट्र, गुजरात और दिल्ली को भारत में नंबर एक निवेश गंतव्य के रूप में पछाड़कर इतिहास रच सकता है। पिछली बार वर्ष 2008-2009 में महाराष्ट्र ने भारत में कुल एफडीआई में 45 प्रतिशत से अधिक का योगदान दिया था। निवेश को आकर्षित करने में कर्नाटक की सफलता का श्रेय सरकार की दूरदर्शिता और निवेशक-अनुकूल नीतियों, स्थानीय फर्मों की उत्कृष्टता के साथ-साथ एक विकास समर्थक नौकरशाही आदि को जाता है।

और पढ़े: रक्षा क्षेत्र में भारत के ‘आत्मनिर्भर भारत ‘ अभियान में कर्नाटक का योगदान उत्कृष्ट एवं अतुलनीय है

एयरोस्पेस निर्यात में कर्नाटक की 65 फीसदी हिस्सेदारी

कर्नाटक के उद्योग मंत्री मुरुगेश निरानी ने कहा, “कर्नाटक में एफडीआई का सबसे बड़ा प्रवाह एयरोस्पेस और रक्षा निर्माण, एग्रोटेक, फिनटेक, बायोटेक, नैनो टेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रॉनिक्स, ड्रोन टेक्नोलॉजी, हॉस्पिटैलिटी, फूड प्रोसेसिंग, हार्डवेयर और इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम डिजाइन एंड मैन्युफैक्चरिंग की ओर रहा है।” ध्यान देने वाली बात है कि कर्नाटक भारत में सबसे बड़ा सॉफ्टवेयर निर्यातक है, निरानी का मानना है कि निवेश के सबसे बड़े अवसर एयरोस्पेस, रक्षा निर्माण, इलेक्ट्रिक वाहन, सेमीकंडक्टर निर्माण और ईएसडीएम क्षेत्र में हैं। वर्तमान में भारत के कुल एयरोस्पेस निर्यात का अनुमानित 65 प्रतिशत कर्नाटक से जाता है।

उन्होंने आगे कहा, “हमने एक दशक से भी अधिक समय पहले एयरोस्पेस और रक्षा पार्क स्थापित किए थे। मंजूरी समितियों को सुव्यवस्थित करना, देरी से बचने के लिए एक भूमि बैंक बनाना और हमारे उद्योगपतियों, जैसे कि इंफोसिस और विप्रो के संस्थापकों को कर्नाटक के ब्रांड एंबेसडर के रूप में शामिल करना, हमें अधिक निवेशकों तक पहुंचने में मदद कर रहा है। हमारी घरेलू कंपनियां विदेशों में कर्नाटक के लिए विज्ञापन दे रही हैं।”

वहीं, दूसरी ओर इस मुद्दे पर कर्नाटक के पूर्व मुख्य सचिव के. रत्ना प्रभा ने कहा, “कर्नाटक के लिए पहले बड़े निवेशकों में से एक ऑटोमोबाइल के लिए टोयोटा और एयरोस्पेस के लिए बोइंग थे।” उन्होंने कहा, “हम देवनहल्ली में ताइवान औद्योगिक पार्क तुमकुरु में जापान औद्योगिक टाउनशिप जैसे देश-विशिष्ट औद्योगिक पार्क स्थापित करने की ओर बढ़े। हमने उद्योगों को बेंगलुरु से बाहर निकालने के लिए टियर-2 शहरों में अधिक प्रोत्साहन की पेशकश की। कई प्रतिनिधिमंडलों की मेजबानी करना, निवेश के लिए आमंत्रित करने के लिए कई देशों का दौरा करना आदि अब परिणाम दे रहा है।”

और पढ़े: ‘जबरन धर्मांतरण’ रोकने के लिए कर्नाटका करेगा ‘चर्चों का सर्वेक्षण’, अवैध मिशनरियों पर गिरेगी गाज

राजनीतिक स्थिरता सबसे बड़ा कारण

आपको बता दें कि वर्ष 2020-2021 में गुजरात एफडीआई प्रवाह के लिए राज्यों की सूची में सबसे ऊपर है, जो भारत के कुल एफडीआई का 37 प्रतिशत है, इसके बाद महाराष्ट्र (27 प्रतिशत) और कर्नाटक (13 प्रतिशत) का स्थान है। Institute for Social and Economic Change के पूर्व निदेशक तथा कर्नाटक और भारत की सरकारों के नीति सलाहकार देशपांडे ने दि प्रिंट को बताया कि “कर्नाटक के विभिन्न क्षेत्रों में हमारी कंपनियां विदेशों में निवेशकों को अपनी सफलता दिखा रही हैं और अधिक निवेश आकर्षित कर रही हैं।” उन्होंने आगे कहा कि राजनीतिक स्थिरता व्यापार करने में आसानी के अलावा एफडीआई आकर्षण का एक स्पष्ट निर्धारक है।

वहीं, फेडरेशन ऑफ कर्नाटक चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष I.S. Prasad का कहना है किभूमि, श्रम और शक्ति किसी भी उद्योग की कुंजी हैं। हमारे पास बहुत श्रम है, लेकिन कर्नाटक में जमीन महंगी है। हाल के सुधारों, जैसे वाणिज्यिक करों में कमी, बिजली सब्सिडी, भूमि बिक्री आदि के पहल ने अधिक निवेश लाने में मदद की है। प्रत्येक जिले के लिए विशिष्ट क्लस्टर निर्माण को बढ़ावा देने की राज्य की नीति निवेश के दायरे का विस्तार कर रही है।”

और पढ़े: कर्नाटक के CM बोम्मई अब राज्य के ब्राह्मणों को वो समर्थन दे रहे हैं, जिसके वे हकदार हैं

कर्नाटक को संवार रही है भाजपा

बताते चलें कि कर्नाटक के इस प्रदर्शन के पीछे कर्नाटक सरकार की उद्योग समर्थक नीतियां रही हैं। कर्नाटक सरकार ने लक्ष्य रखा है कि वह 2025 तक भारत के तीसरे सबसे बड़े निर्यातक राज्य के रूप में कर्नाटक को स्थापित कर सके। इसके लिए कर्नाटक सरकार ने प्रतिवर्ष 10% की इंडस्ट्रियल ग्रोथ रेट का लक्ष्य रखा है तथा अगले 5 वर्षों में औद्योगिक विकास के द्वारा 20 लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा करने का लक्ष्य रखा है। साथ ही कर्नाटक में इन 5 वर्षों में 5 लाख करोड़ रुपए का एफडीआई निवेश आकर्षित करने का लक्ष्य रखा गया है। राज्य की पिछली कांग्रेस समर्थित कुमारस्वामी सरकार जहां लोकप्रियता के फेर में इंडस्ट्री की उपेक्षा कर रही थी, वहीं दूसरी ओर भाजपा सरकार में कर्नाटक के सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करने का काम किया है और यह दिन प्रतिदिन दिख भी रहा है।

Exit mobile version