केजरीवाल की इलेक्ट्रिक बस योजना जबरदस्त है, चल जाए ‘बस’

कैसे कर लेते हो ये सब!

दिल्ली इलेक्ट्रिक बस

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सबसे महान मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में हेमंत सोरेन और उद्धव ठाकरे को कांटे की टक्कर देने वाले विश्व के सबसे ईमानदार नेता अरविंद केजरीवाल के शासन में दिल्ली को पहली इलेक्ट्रिक बस मिल गई है! अब राजधानी दिल्ली की सड़कों पर दिल्ली परिवहन निगम की इलेक्ट्रिक बस दौड़ती दिखेगी। केजरीवाल ने 17 जनवरी को डीटीसी की पहली AC युक्त इलेक्ट्रिक बस का उद्घाटन किया। यह बस रूट संख्या E-44 पर आईपी डिपो से सर्कुलर सेवा के रूप में चलेगी। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इन्द्रप्रस्थ डिपो से इलेक्ट्रिक बस को हरी झंडी दिखा कर रवाना किया। साथ ही उन्होंने अगले 2 महीने में ऐसी 300 बस और चलाने का वादा किया है। ध्यान देने वाली बात है कि ऐसा ही वादा केजरीवाल ने वर्ष 2018 में भी किया था।

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तब केजरीवाल ने ट्वीट करते हुए लिखा था कि ‘पूरे देश में इलेक्ट्रिक बस के 440 आर्डर हैं, जबकि दिल्ली में 1000 इलेक्ट्रिक बस चलने वाली है, जिससे प्रदूषण बहुत कम हो जाएगा।’ गौर करने वाली बात है कि 1000 बस तो चल नहीं सकी और पहली बस चलाने में भी दिल्ली सरकार को लगभग 4 साल का वक्त लग गया। अब 4 साल बाद प्रोटोटाइप बस चला कर केजरीवाल ने दिल्ली वासियों को बधाई दी है, जिसे लेकर जमकर बवाल भी मचा है।

वर्ष 2018 में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मीडिया से कहा था कि दिल्ली सरकार ने इलेक्ट्रिक बस चलाने के फैसले को मंजूरी दे दी है और अगले वर्ष तक दिल्ली की सड़कों पर इलेक्ट्रिक बस चलने लगेगी। उन्होंने 1 साल में बस चलाने का पूरा रोडमैप भी बता दिया था कि 3 महीने इसकी स्टडी में लगेंगे, 9 महीने में प्रोडक्शन शुरू हो जाएगा। तब दिल्ली सरकार की योजना वैसी ही थी, जैसी फिर हेरा फेरी में अक्षय कुमार की 25 दिन में पैसा डबल करने की योजना!

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भाजपा ने भी उठाए सवाल

इम मामले को लेकर सोशल मीडिया पर तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं। भाजपा ने आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार पर अपने पिछले सात वर्षों के शासन के दौरान सिर्फ एक बस खरीदने के लिए कटाक्ष किया है। बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने मंगलवार को केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा कि “आम आदमी पार्टी का विजन दिखाना और बताना बहुत जरूरी हो गया है। 7 साल बाद एक इलेक्ट्रिक बस विज्ञापन के लिए लाया गया। काश दिल्ली में 11 हजार इलेक्ट्रिक बस होती, तो आज दिल्ली के लोगों को इस तरह से जहरीली हवा में सांस नहीं लेना पड़ता। यही होता है जब एक डिपार्टमेंट लेस आदमी विजन लेस सरकार चलाता है।”

यूपी में चल रही है 700 इलेक्ट्रिक बसें

गौरतलब है कि केवल हवाई वादों से योजनाएं समय पर पूर्ण नहीं होती, बल्कि उसके लिए जमीन पर ठोस कार्य करना पड़ता है। जिस समय मनीष सिसोदिया प्रेस कॉन्फ्रेंस कर हवाई पुल बांध रहे थे, उस समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहले इलेक्ट्रिक बस के पहले प्रोटोटाइप के परीक्षण को हरी झंडी दिखा रहे थे। इलेक्ट्रिक बस के संचालन के लिए देश-विदेश के बड़े इलेक्ट्रिक बस निर्माता कंपनियों को उत्तर प्रदेश में निवेश के लिए आमंत्रित किया गया।

दक्षिण कोरिया की इलेक्ट्रिक गाड़ियों की निर्माता कंपनी एडिसन ने उत्तर प्रदेश में 5000 करोड़ का निवेश किया है। भारत की JBM ऑटो नाम की कंपनी के उत्तर प्रदेश स्थित प्लांट में न केवल उत्तर प्रदेश के लिए, बल्कि अन्य राज्यों के लिए भी इलेक्ट्रिक बस का निर्माण हो रहा है। जिस उत्तर प्रदेश को गुंडाराज के लिए जाना जाता था, वहां बनी इलेक्ट्रिक बसों को बेंगलुरु जैसे आईटी हब में भी चलाया जा रहा है।

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जिस समय केजरीवाल कथित तौर पर शाहीन बाग में बिरयानी बटवा रहे थे, उत्तर प्रदेश में इलेक्ट्रिक बस के संचालन हेतु चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए टेंडर आवंटन हो रहा था! यही कारण है कि दिल्ली अभी अपनी पहली इलेक्ट्रिक बस को देख रही है, जबकि उत्तर प्रदेश में 700 इलेक्ट्रिक बसें चल रही है। दिल्ली और उत्तर प्रदेश के आकार में कितना अंतर है, यह बताने की आवश्यकता नहीं है।

भारत का दुर्भाग्य है कि जो लोग जनता के पैसों का प्रचार में प्रयोग करते हैं, झूठे वादे करते हैं, वे मीडिया के चहेते हैं। जबकि योगी आदित्यनाथ जैसे लीक से हटकर चलने वाले नेता मीडिया को पसंद नहीं आते, उनके लिए PR एजेंसी नहीं है। जो सुप्रीम कोर्ट हर दिवाली पर पटाखे प्रतिबंधित करने की सुनवाई करता है, उसने कभी दिल्ली सरकार से यह नहीं पूछा कि इलेक्ट्रिक बस चलाने में इतना विलंब क्यों हो रहा है! जो एक्टिविस्ट पटाखों पर प्रतिबंध के लिए कोर्ट दौड़ते हैं, उन्होंने भी सवाल नहीं उठाए। इसलिए क्योंकि सब एक ही नेक्सस का हिस्सा हैं!

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