अपनी राजनीति चमकाने के लिए केजरीवाल ने खालिस्तान को खाद-पानी से सींचा

खालिस्तान का इरादा खत्म हो चुका था, 'आप' ने उसे वापस जिंदा किया​

2017 में हुए पंजाब चुनाव में आम आदमी पार्टी ने अपने लिए निर्धारित लक्ष्य से खराब प्रदर्शन करते हुए मात्र 17 सीट जीती। इस बार आम आदमी पार्टी पंजाब में जीत के इरादे से उतर रही है लेकिन पंजाब की राजनीति में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए आप खालिस्तान समर्थक तत्वों को साथ लेकर चल रही है। हालांकि, आप की यह नीति वोट के ध्रुवीकरण को ही बढ़ावा देगी जिससे आम आदमी पार्टी और कांग्रेस दोनों को आगे चलकर नुकसान होगा। किंतु उससे बड़ा नुकसान देश को होगा।

आम आदमी पार्टी देशद्रोहियों का साथ देने के मामले में देश की किसी सेकुलरवादी पार्टी से पीछे नहीं है। बल्कि ताहिर हुसैन से लेकर उमर खालिद और शरजील इमाम से लेकर कन्हैया कुमार तक हर उस व्यक्ति को आम आदमी पार्टी ने समर्थन दिया है जिसने देश के विरुद्ध साजिश रची है। शाहीन बाग से लेकर किसान आंदोलन तक केजरीवाल की पार्टी ने हर देश विरोधी आंदोलन का बढ़ चढ़कर समर्थन किया है। ऐसे में आम आदमी पार्टी राजनीति में एक पायदान और नीचे गिर कर खालिस्तान के विचार को समर्थन दे रही है तो यह आश्चर्यजनक नहीं है।

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ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है जब आप ने अपने चुनावी फायदे के लिए खालिस्तान समर्थक लोगों का साथ लिया हो। TFI ने 2018 में अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि 2017 विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने प्रतिबंधित संगठन ‛दल खालसा’ के नेता गुरु चरण सिंह का सहयोग लिया था।

एक टीवी डिबेट के दौरान जब रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी ने गुरुचरण सिंह से यह पूछा था कि क्या उनके संगठन ने आम आदमी पार्टी को फंडिंग की है अथवा नहीं तो गुरुचरण सिंह ने उत्तर दिया था

“आम आदमी पार्टी सिर्फ एक साधन थी।  यह एक अर्थहीन उपकरण था।  यह अप्रासंगिक पार्टी है।  आम आदमी पार्टी पंजाब में एक बदमाश द्वारा लाई गई अप्रासंगिक पार्टी है। हमने आप को राजनीतिक व्यवस्था और चुनावी मशीनों को बेनकाब करने के लिए एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया।….. हमने उन्हें राज्य में चुनावी प्रणाली के साथ धोखाधड़ी का पर्दाफाश करने के लिए एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया।”

 

2017 के विधानसभा चुनाव में प्रचार के दौरान अरविंद केजरीवाल खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट से जुड़े नेता गुरविंदर सिंह के घर रात भर रुके थे। गुरविंदर सिंह खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट का पूर्व प्रमुख रहा है और उस पर पंजाब में खालिस्तानी आतंकवाद के दौर में हिंदू सिख दंगे करवाने का गंभीर आरोप है। वह हत्या एवं अन्य गंभीर आरोपों में जेल भी जा चुका है।

2018 में TFI मीडिया समूह ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि आम आदमी पार्टी की ओर से पटियाला से सांसद धर्मवीर गांधी ने खालिस्तान रेफरेंडम अर्थात खाली स्थान के मुद्दे पर जनमत संग्रह कराने के विचार का समर्थन किया थाl अपने विवादास्पद बयान के दौरान धर्मवीर गांधी ने कहा था कि लोगों के पास अलग देश की मांग करने का वैधानिक और लोकतांत्रिक अधिकार है।

पंजाब के आम आदमी पार्टी के एक अन्य नेता सुखपाल खैरा ने भी खालिस्तान रेफरेंडम के विचार का समर्थन किया था। उसने कहा था कि मैं खालिस्तान रेफरेंडम 2020 का समर्थन करता हूं क्योंकि सिखों के पास अपने विरुद्ध हुए अत्याचारों के विरुद्ध न्याय मांगने का पूरा अधिकार है।

जब किसानों के नाम पर खालिस्तान समर्थक तत्वों द्वारा दिल्ली को बंधक बना लिया गया था तब भी दिल्ली सरकार उनकी खिदमत में लगी रही। दिल्ली सरकार द्वारा इन लोगों के लिए भोजन, पानी और रहने की व्यवस्था की गई थी। इस कार्य में दिल्लीवासियों के टैक्स का कितना पैसा बर्बाद हुआ इसका कोई हिसाब नहीं है। इसके अतिरिक्त इस आंदोलन के कारण दिल्लीवासियों को आवाजाही में कितनी असुविधा हुई तथा किसानों द्वारा धरना क्षेत्र के आसपास के लोगों को कितना डराया धमकाया गया, कितनी लड़कियों का बलात्कार हुआ, यह सब जग जाहिर बातें हैं।

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जब पंजाब के फिरोजपुर दौरे के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काफिले को रोककर उन पर हमला करने की योजना बनाई गई, प्रधानमंत्री के काफिले को फ्लाईओवर पर रखा गया, उसके बाद भी आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल द्वारा कोई बयान नहीं दिया गया। यह हाल तब है जब केजरीवाल आए दिन ट्विटर के माध्यम से बयान देते रहते हैं। किंतु देश के प्रधानमंत्री पर पंजाब की भूमि में हमले की योजना बनाई गई फिर भी केजरीवाल चुप रहे।

पंजाब ने लंबे समय तक आतंकवाद का दंश झेला। 1980 के दशक में पंजाब में हुए दंगों, स्वर्ण मंदिर पर खालिस्तानीओं का कब्जा, ऑपरेशन ब्लू स्टार, श्रीमती गांधी की हत्या और उसके बाद हुए दिल्ली दंगे भारतीय इतिहास का काला अध्याय है। 1984 से 1989 तक पंजाब को मार्शल लॉ का सामना करना पड़ा। निश्चित रूप से भारतीय गणराज्य की शक्ति ने खालिस्तानियों के फन को भारतीय फौज के बूट से कुचल दिया, किंतु इसकी एक बड़ी कीमत भारत को चुकानी पड़ी। आम आदमी पार्टी की चुनावी लालसा पंजाब को पुनः उस दौर में न ले जाए, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

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