केजरीवाल की धर्मांतरण विरोधी अपील, केवल हिंदुओं का वोट पाने की चाल है

हिंदुओं को लुभाने में लगे पड़े हैं केजरीवाल!

पंजाब चुनाव में धर्मांतरण का मुद्दा गरम है ऐसे में दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) सुप्रीमों अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को कहा कि धर्म परिवर्तन के खिलाफ कानून बनना चाहिए लेकिन किसी को गलत तरीके से परेशान नहीं किया जाना चाहिए। केजरीवाल ने पंजाब के जालंधर में कहा कि, “धर्म एक निजी मामला है। हर किसी को भगवान की पूजा करने का अधिकार है। धर्म परिवर्तन के खिलाफ कानून जरूर बनाया जाना चाहिए लेकिन किसी को भी इसके जरिए गलत तरीके से परेशान नहीं किया जाना चाहिए। उन्हें डराकर उनका धर्म परिवर्तन करना गलत है।”

उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश सहित कई भाजपा शासित राज्यों ने पिछले कुछ वर्षों में जबरन धर्मांतरण को नियंत्रित करने के लिए कानून लाया गया हैं। हरियाणा और असम सहित कई अन्य भाजपा शासित राज्य भी इस तरह के धर्मांतरण को रोकने के लिए एक समान कानून लाने पर विचार कर रहे हैं।

पिछले साल, केंद्र सरकार ने लोकसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा था कि देश में अंतर-धार्मिक विवाहों को रोकने के लिए केंद्रीय धर्मांतरण विरोधी कानून बनाने की उसकी कोई योजना नहीं है। गृह मंत्रालय (MHA) इस मामले पर पहले भी कह चुका है कि धर्मांतरण से संबंधित अपराधों की रोकथाम, अन्वेषण, पंजीकरण, जांच और अभियोजन मुख्य रूप से राज्य सरकारों की चिंता है।

हिंदू मतों की महत्ता

आपको बता दें की पंजाब में एक चरण में 20 फरवरी को मतदान होगा और मतों की गिनती 10 मार्च को होगी। ऐसे में यह माना जा रहा है कि केजरीवाल ने भी यह बयान पंजाब के आगामी विधानसभा चुनावों में हिंदुओं को लुभाने के लिए दिया है।

पंजाब विधानसभा चुनाव को देखते हुए वहां के तमाम राजनीतिक दल अब हिंदुओं को अपने पक्ष में करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। इसी सिलसिले में पंजाब के नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी भी पिछले महीने केदारनाथ धाम के दर्शन करने गए थे। शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने भी हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध शक्तिपीठ चिंतपूर्णी मंदिर का दौरा किया।

वहीं आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने भी अक्टूबर में जालंधर के तालाब देवी मंदिर में दर्शन किए थे। दरअसल, मंदिरों का चक्कर लगाने वाले राजनेताओं की नजर पंजाब में 38.5 फीसदी हिंदू वोटरों पर है, जो पंजाब में जिस पार्टी को वोट देते हैं, एकमुश्त देते है और अंततः वहीं पार्टी जीत जाती हैं। अरविंद केजरीवाल भी इन मतों का महत्व समझते हैं।

धर्मांतरण है पंजाब में मुद्दा

पंजाब का सिख समुदाय हमेशा से धर्मांतरण के प्रति संवेदनशील रहा है। वे ना सिर्फ पंजाब में ईसाइयों द्वारा किए जा रहें धर्मांतरण के प्रति संवेदनशील है बल्कि पाकिस्तान में इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा किए जानेवाले जबरन धर्मांतरण से भी वो व्यथित होते हैं। पंजाब राज्य में एक शीर्ष सिख धार्मिक संस्था ने कथित तौर पर सिखों को लुभाने वाले ईसाई मिशनरियों के खिलाफ एक अभियान शुरू किया है।

सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने ईसाई मिशनरियों के दबाव के खिलाफ सिख बहुल पंजाब राज्य में घर-घर जाकर अभियान शुरू किया है। ऐसे में आगामी चुनाव में ये मुद्दा काफी अहम है और हिंदुओं को लुभाने के लिए केजरीवाल ने जबरन धर्मांतरण को प्रतिबंधित करने की चाल चली है।

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हिंदुओं को खुश करने की केजरीवाल की नाकाम कोशिश

न केवल पंजाब में, बल्कि केजरीवाल ने यूपी के प्रमुख शहरों जैसे नोएडा, अयोध्या, लखनऊ और आगरा में भी तिरंगा यात्राएं आयोजित करके यूपी में हिंदुओं को अपने पाले में लाने की कोशिश की थी। इतना ही नहीं, कभी राम मंदिर के खिलाफ बोलने वाले केजरीवाल ने अयोध्या में रामलला से मिलने और उनकी पूजा करने की भी इच्छा जताई है। जब यूपी के लोगों ने देखा कि केजरीवाल ने दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया है और वह केवल अपने राजनीतिक अवसरवाद के लिए राम-भक्त हैं, तो उन्होंने विपक्षी दलों को खुश करना शुरू कर दिया, जिन्हें कई लोग हिंदू-विरोधी मानते हैं। बहराल, जनता जानती है कि केजरीवाल का धर्मांतरण पर बोलना भी एक चुनावी स्टंट है।

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