फिल्म बनाना अपने आप में खाना पकाने के समान एक जटिल कला है, जिसमें सभी निपुण नहीं होते। हर चीज़ का मिश्रण उपयुक्त होना चाहिए। इसी विषय पर मलयाली फिल्म ‘मेप्पडियन’ चर्चा में चल रही है, मेप्पडियन की आलोचना में वामपंथी कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। मेप्पडियन एक ऐसे व्यक्ति के बारे में है, जो समाजसेवा में विश्वास रखता है, परंतु ऐसा भी क्या है इस फिल्म में जिसके पीछे इस फिल्म को वामपंथियों के उलाहने सुनने को मिल रहे हैं?
इसका कारण बताते हुए Indu Makkal Katchi नामक ट्विटर यूजर ने बताया-
In Kerala, Proud Hindu actor UnniMukundan’s latest movie is being severely criticised by the Abrahamic/Commie lot for being communal…
Reasons given are as follows..👇🏼
1. An ambulance shown in one of the scenes was from Seva Bharathi, pic.twitter.com/5McHQNw3md
— Indu Makkal Katchi (Offl) 🇮🇳Modi Ka Parivar (@Indumakalktchi) January 17, 2022
“उन्नी मुकुन्दन अभिनीत ‘मेप्पडियन’ को हाल ही में अब्रहमिक/ कौमी बिरादरी द्वारा इसलिए आलोचना के घेरे में लाया जा रहा है, क्योंकि एक दृश्य में एम्बुलेंस सेवा भारती की है [जो RSS से संबंधित एनजीओ है]l इसका मुख्य अभिनेता एक धर्मनिष्ठ हिन्दू है, और किसी भी दृश्य में सनातनियों और उनकी संस्कृति का अपमान नहीं किया गया है। खलनायक हिन्दू नहीं है। यह एक ऐसी फिल्म है, जिसपर सब गर्व कर सकें!” –
स्वयं उन्नी मुकुन्दन ने इस संबंध में वार्तालाप करते हुए बताया कि उन्हे नहीं समझ में आता कि आखिर किस बात की आपत्ति लोगों को ‘सेवा भारती’ से हो सकती है। उन्नी के अनुसार, “यह संगठन सेवा के लिए प्रसिद्ध है, और उनके एम्बुलेंस का उपयोग हमने अपनी फिल्म के लिए किया। हर चीज़ को राजनीति से जोड़ना नहीं चाहिए।” उन्होंने आगे ये भी कहा कि अगर किसी को उनके भगवान हनुमान जी की मूर्ति के साथ फोटो खिंचवाने से आपत्ति है तो हुआ करे, वो उनके आराध्य हैं और वो उन्हे शक्ति प्रदान करते हैंl
लेकिन यह शुभ रीति केवल मलयालम फिल्मों तक ही सीमित नहीं है। कुछ ही माह पूर्व तेलुगु में सुपरस्टार नंदमुरी बालकृष्ण ने ‘अखंडा’ को प्रदर्शित किया, जिसने बॉक्स ऑफिस पर 125 करोड़ से भी अधिक की कमाई की। इसने न केवल भगवान शिव को नमन किया, अपितु सनातन संस्कृति का भी सम्मान किया।
और पढ़ें : रुद्र तांडवम – ईसाई माफिया को एक्सपोज करने वाली इस फिल्म ने वामपंथियों की नींद उड़ा कर रख दी है
ठीक इसी भांति तमिल उद्योग में मोहन जी क्षत्रियन द्वारा निर्देशित ‘रुद्र तांडवम’ में ईसाई माफिया और तमिलनाडु PCR एक्ट के दुरुपयोग पर प्रकाश डाला गया । ऋषि रिचर्ड और गौतम वासुदेव मेनन प्रमुख भूमिकाओं में थे, और इस फिल्म ने प्रदर्शित होने के साथ ही वामपंथियों और ईसाई माफिया के रातों की नींद भी उड़ा दी। असल में ‘रुद्र तांडवम’ का मूल विषय है तमिलनाडु PCR एक्ट यानि नागरिक सुरक्षा अधिकार अधिनियम का दुरुपयोग, जिसके अंतर्गत उच्च जातियों के विरुद्ध कई दशकों से पक्षपाती निर्णय लिए गए हैं।
यह अपने आप में एससी/ एसटी एक्ट का राजकीय वर्जन है, जिसका फायदा ईसाई धर्मांतरण माफिया ने काफी उठाया है, पर इसके दुरुपयोग पर कोई भी प्रकाश नहीं डालता। ‘रुद्र तांडवम’ ने न केवल इस विषय पर प्रकाश डाला है, अपितु ईसाई धर्मांतरण माफिया को कठघरे में खड़ा भी किया है। यही नहीं, ‘रुद्र तांडवम’ ने ईसाई माफिया द्वारा प्रायोजित ड्रग माफ़िया पर भी उंगली उठाई है। यूं समझ लीजिए तमिल प्रोपगैंडा मूवी ‘जय भीम’ का उचित एंटीडोट थी ‘रुद्र तांडवम’, जिसे जनता का भरपूर प्रेम मिला।
ऐसे में मलयाली फिल्म ‘मेप्पडियन’ को मिल रहा जनता का समर्थन ये स्पष्ट दर्शाता है कि हवा का रुख अब बदल रहा है, और अब वामपंथी चाहकर भी हिन्दू विरोधी नहीं हो सकते। अगर अब भी नहीं चेते, तो जल्द ही उनकी पकड़, जो पहले ही सिनेमा पर ढीली पड़ रही थी, खत्म हो जाएगी, और वामपंथी भारतीय सिनेमा के लिए इतिहास हो जाएंगे।