10 रूपये की RTI और लाखों का चूना: साकेत गोखले ने गजब खेल रचा है भैया!

मोदी का विरोध कर गोखले ने अपने समर्थकों को ही ठग लिया!

भारत एक ऐसा लोकतांत्रिक देश है, जहां एक सफल लोकतंत्र की स्थापना के लिए सफल विपक्ष की भूमिका पर जोर दिया जाता है। विपक्ष अपनी भूमिका का पालन करते हुए पूरी तरह से सत्ता पर काबिज सरकार का विरोध करता है किन्तु जब विपक्ष का ही कोई नेता या व्यक्ति अपने ही खेमे में खामियां निकालने लगे तो समझ जाइये कि विपक्ष एक कमजोर परिस्थिति का शिकार हो चुका है। दरअसल, महाराष्ट्र के RTI कार्यकर्त्ता और पूर्व पत्रकार साकेत गोखले पिछले दो-तीन सालों से क्राउडफंडिंग की मांग कर रहे हैं। वह लोगों से उनकी सक्रियता हेतु दान करने के लिए कहते हैं, ताकि वह सत्ता में बैठे लोगों को रोक सकें किन्तु अब गोखले स्वयं वामपंथियों के लिए काल बन गए हैं।

विरोधी-विरोधी बने धुर-विरोधी

अपने मोदी विरोध को लेकर चर्चा में रहे साकेत गोखले पहले कांग्रेस और फिर तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए। परंतु जल्द ही इनके काले कारनामों का कच्चा- चिठा सामने आने लगा। इसका प्रारंभ तब हुआ जब हुसैन हैदरी ने ट्वीट कर साकेत गोखले पर घपलेबाज़ी का आरोप लगाया और उन्हें अपने बिरादरी [वामपंथियों / अल्पसंख्यकों] से विश्वासघात करने का आरोप लगाया था। ट्वीट में लिखा गया है कि “साकेत गोखले की विश्वसनीयता तो देखिए जब फंड्स इकट्ठा करना हो तो मैं हर रुपये का हिसाब देने को तैयार हूँ। जब हर रुपये का हिसाब देने की बात आए तो – मैंने तो ऐसा कोई वादा ही नहीं किया था।”

और पढ़ें : साकेत गोखले को दिल्ली HC ने दिया झटका, लक्ष्मी पुरी के विरुद्ध लिखा ट्वीट डिलीट करने का दिया आदेश

हालांकि, साकेत गोखले ने ट्वीट कर अपना स्पष्टीकरण जारी किया कि वे अपने RTI से संबंधित कार्यवाही के लिए आवश्यक चन्दा इकट्ठा करने हेतु पैसा इकट्ठा करते थे, न कि महीने के निजी खर्चों का हिसाब सार्वजनिक करने के लिए, तो हुसैन हैदरी ने इनकी पोल खोलते हुए ट्वीट किया, “साकेत गोखले लोगों से इकट्ठा किये गए हर रुपये का हिसाब देने से पीछा छुड़ाना चाहते हैं। फरवरी 2020 में ही इन्होंने 22 लाख से अधिक इकट्ठा किये थे और इसके बाद का हिसाब तो अब तक सार्वजनिक नहीं है।” इनके शब्दों में, “मैंने इसे अपने ऊपर खर्च किया, तो भाड़ में जाओ दान करने वालों!”

लिबरलों को चूना लगा दिया

वहीं, अगर ख़बरों की माने तो साकेत गोखले अपने तिकड़मों के बल पर लगभग करोड़ रुपये ऐंठ चुका है, जिसमें से कुछ हिस्सा तो केवल RTI के नाम पर इकट्ठा किया गया था। प्रत्याशा रथ ने अपने एक ट्वीट में कहा है कि “क्रांतिकारियों ने साकेत गोखले के लाइफस्टाइल को बढ़ावा दिया और अब उन्हे इस बात से आपत्ति है कि इससे क्रांति नहीं आई! कुछ भी कहिए, पर दाद देनी होगी इस व्यक्ति की, जिसने इन ‘क्रांतिकारियों’ को 48 लाख का चूना लगाया और सेलेब्रिटी भी बन गया। आज वामपंथियों की किरांति के लिए बेहद दुखद दिन है!”

वहीं दूसरी ओर Monica नामक ट्विटर यूजर ने वास्तविकता को स्पष्ट करते हुए ट्वीट किया, “जो लोग द वायर को बेहिसाब डोनेशन देते हैं, उन्हे साकेत गोखले प्रकरण से कुछ सीख लेनी चाहिए। आप अपनी मूलभूत आवश्यकताओं को ताक पर रख उन्हे डोनेट करते हैं और वे इससे अपने लिए एक सुविधापूर्ण जीवन का खाका बुनते हैं”

और पढ़ें : Fake News फैलाने में माहिर साकेत गोखले ने छोड़ा काँग्रेस का ‘हाथ’, TMC से जोड़े तार

ऐसे में, साकेत गोखले ने जिस तरह से वामपंथियों से चन्दा इकट्ठा कर अपने जीवन को सफल बनाया है, उससे दो बातें स्पष्ट होती हैं। एक तो ये कि कोई किसी का सगा नहीं होता और दूसरा कि प्रकृति के दो ही शाश्वत सत्य हैं – सूर्य का पूर्व से उदय होना एवं बाप बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रुपैया और साकेत गोखले ने इसी पद्वति पर खेलते हुए लिबरलों की खाट खड़ी कर दी है।

Exit mobile version