न्यूयॉर्क टाइम्स एक बार फिर से भारत विरोधी अफवाह खुले में बेच रहा है, और उसपर देश का एक बड़ा वर्ग विश्वास भी कर रहा है लेकिन अब उसको भी असली ज्ञान दे दिया गया है। इस बार इस मामले पर NYT की एक रिपोर्ट इतनी घिनौनी निकली कि इसकी निंदा किसी और ने नहीं बल्कि पूर्व राजनयिक सैयद अकबरुद्दीन ने की है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के पूर्व स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा की है बस बकवास है।
क्या है NYT की रिपोर्ट?
NYT की रिपोर्ट में कहा गया है कि, ‘जुलाई 2017 में, भारतीय प्रधानमंत्री इज़राइल की यात्रा करने वाले पहले राष्ट्राध्यक्ष बने। एक लंबे समय तक भारत ने “फिलिस्तीनी कारणों के प्रति प्रतिबद्धता” की नीति को बनाए रखा था और इज़राइल के साथ संबंध ठंडे रखे थे। भारतीय प्रधानमंत्री की यात्रा, विशेष रूप से सौहार्दपूर्ण थी, जो उनके और तत्कालीन इजरायली प्रधान मंत्री नेतन्याहू के एक स्थानीय समुद्र तट पर नंगे पांव चलने के साथ पूरी दुनिया को दिखी भी।”
रिपोर्ट के अनुसार, दोनों देश लगभग 2 बिलियन अमरीकी डालर के परिष्कृत हथियारों और खुफिया गियर के पैकेज की बिक्री पर सहमत हुए थे और इसके केंद्र में पेगासस और एक मिसाइल प्रणाली केंद्र था। महीनों बाद नेतन्याहू ने भारत की राजकीय यात्रा भी की और जून 2019 में, भारत ने संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक और सामाजिक परिषद में इजरायल के समर्थन में एक फिलिस्तीनी मानवाधिकार संगठन को पर्यवेक्षक का दर्जा देने से इनकार करने के लिए मतदान किया, जो भारत द्वारा पहली बार किया गया था ।
NYT ने यह भी लिखा है कि, “अपने लाभ के लिए इज़राइल की खोज और मुनाफे के लिए NSO के अभियान के संयोजन ने भी शक्तिशाली जासूसी उपकरण को दुनिया भर में राष्ट्रवादी नेताओं की एक नई पीढ़ी के हाथों में रख दिया है। मानव अधिकारों पर संदिग्ध रिकॉर्ड के बावजूद, पेगासस को पोलैंड, हंगरी और भारत को बेच दिया गया है।”
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट पर एक ही वर्ग खुश दिखा, बाकी यह कितनी निराधार था, यह आप खुद सैयद अकबरुद्दीन से सुनिए।
सैयद अकबरुद्दीन ने बताया ‘बकवास’
संयुक्त राष्ट्र में भारत के पूर्व स्थायी प्रतिनिधि, सैयद अकबरुद्दीन ने शनिवार को न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट को “पूरी तरह बकवास” बता, उनके दावों को रद्द कर दिया। NYT की रिपोर्ट पर एक ट्वीट को टैग करते हुए अकबरुद्दीन ने कहा, “भारत के संयुक्त राष्ट्र के वोट के बारे में छापा यह लेख पूरी तरह से बकवास है”
The insinuation about India’s UN vote is utter rubbish… https://t.co/lTdRWJ5e3c
— Syed Akbaruddin (@AkbaruddinIndia) January 29, 2022
Insinuation about India’s UN vote is erroneous… pic.twitter.com/QJ1zIA9hjm
— Syed Akbaruddin (@AkbaruddinIndia) January 30, 2022
NYT की रिपोर्ट का दावा है कि मोदी सरकार 2017 में NSO का Pegasus स्पाइवेयर खरीदा था। NDTV पर अकबरुद्दीन ने कहा कि $ 2 बिलियन के भारत-इज़राइल सौदे के बीच कोई संबंध नहीं था, NYT का दावा है कि इस सौदे में पेगासस स्पाइवेयर और संयुक्त राष्ट्र में भारत का वोट शामिल है।
सैयद अकबरुद्दीन ने यह भी कहा कि 2019 में मतदान के समय इज़राइल या फिलिस्तीन में से किसी ने भी भारतीय मिशन से संपर्क नहीं किया था। उन्होने आगे कहा, “हमारे (भारत और इज़राइल) संबंधों में सुधार हुआ था। इस बारे में कोई संदेह नहीं है। यह संयुक्त राष्ट्र में सभी के लिए दृश्यमान था। मैंने अपनी किताब में लिखा है कि इजराइल ने ICJ (इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस) में एक भारतीय जज का समर्थन किया था। यह 2017 की बात है। यह सबको मालूम था कि हमारे संबंध प्रगाढ़ हो रहे थे। जहां हित मेल खाते हैं, वहाँ निश्चित रूप से राष्ट्र मिलकर काम करेंगे। मुझे नहीं लगता कि इसमें छिपाने के लिए कुछ है… मुझे नहीं लगता कि इसमें कोई संबंध है। मुझे कहना होगा कि द न्यूयॉर्क टाइम्स ने इस चीज़ को गलत समझ लिया है।”
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उन्होंने आगे कहा, “यह एक फिलीस्तीनी एनजीओ का एक सामान्य मामला था… और शुरू में सभी को इससे कोई समस्या नहीं थी। उस समय, कई देश सामने आए और कहा कि उन्हें कुछ ऐसे संबंध मिले हैं जिन्हें NGO ने प्रारंभिक प्रस्तुति के दौरान उजागर नहीं किया था।” अकबरुद्दीन ने तंज कसते हुए कहा, “मैं थोड़ा हैरान हूं कि द न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक छोटे से NGO पर एक वोट का मुद्दा उठाया है और इसे एक बड़ी कहानी से जोड़ा है। मेरे पास इस कहानी के बारे में कोई जानकारी नहीं है। मैं न्यूयॉर्क में स्थायी प्रतिनिधि था।”
विपक्ष ने बताया ‘राजद्रोह’
एक ओर न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि भारत ने 2017 में इज़राइल के साथ 2 बिलियन अमरीकी डालर के रक्षा सौदे के हिस्से के रूप में पेगासस स्पाइवेयर खरीदा था, वही दूसरी ओर शनिवार को विपक्ष एक बड़ा विवाद लेकर खड़ा हो गया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सरकार अवैध जासूसी में शामिल है जो “राजद्रोह” है।
विपक्षी दलों ने संकेत दिया कि वे सोमवार से शुरू हो रहे संसद के बजट सत्र में इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाएंगे, वहीं दूसरी ओर भारत के केंद्रीय मंत्री जनरल वी के सिंह ने द न्यूयॉर्क टाइम्स को “सुपारी मीडिया” कहा। एक सरकारी सूत्र ने कहा कि पेगासस सॉफ्टवेयर से जुड़े मामले की निगरानी सुप्रीम कोर्ट के तहत एक समिति कर रही है – जिसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश आर वी रवींद्रन कर रहे हैं और इसकी रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।
कांग्रेस ने सरकार पर संसद को धोखा देने, सर्वोच्च न्यायालय को धोखा देने, लोकतंत्र का अपहरण करने और देशद्रोह में शामिल होने का आरोप लगाते हुए चौतरफा हमला किया। वहीं, राहुल गांधी ने ट्विटर पर कहा, “मोदी सरकार ने हमारे प्राथमिक लोकतांत्रिक संस्थानों, राजनेताओं और जनता की जासूसी करने के लिए पेगासस को खरीदा। सरकारी अधिकारी, विपक्षी नेता, सशस्त्र बल, न्यायपालिका सभी को इन फोन टैपिंग से निशाना बनाया गया। यह देशद्रोह है।” उन्होंने आरोप लगाया कि, “मोदी सरकार ने देशद्रोह किया है।”
कांग्रेस ने कहा कि वह इस मुद्दे को बजट सत्र में उठाना चाहती है और संसद के पटल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा सरकार से जवाबदेही की मांग करना चाहती है।
NYT ने ‘द बैटल फॉर द वर्ल्ड्स मोस्ट पावरफुल साइबरवेपन’ शीर्षक से अपनी रिपोर्ट में कहा कि इजरायली फर्म NSO ग्रुप लगभग एक दशक से “अपने निगरानी सॉफ्टवेयर को दुनिया भर में कानून-प्रवर्तन और खुफिया एजेंसियों को सदस्यता के आधार पर बेच रहा था। आपको बताते चलें कि पिछले साल, एक अंतरराष्ट्रीय जांच संघ ने दावा किया था कि कई भारतीय मंत्रियों, राजनेताओं, कार्यकर्ताओं, व्यापारियों और पत्रकारों को संभावित रूप से सॉफ्टवेयर द्वारा लक्षित किया गया था, जो कि अबतक कहीं सिद्ध नहीं हो पाया है। यह उसी मशीन की तरह है, जिसमें आलू डालने लर सोना निकलता है। इस कथित सौदे का कोई प्रमाण नहीं है, बस कोरी बातें हैं।