मुख्य बिंदु
- जम्मू-कश्मीर को विकास के पथ पर अग्रसर करने हेतु जम्मू-कश्मीर में होगा कुल 50,000 करोड़ रूपये का निवेश
- इस निवेश से पैदा होंगे जम्मू-कश्मीर के युवाओं के लिए रोजगार
- गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि एक ही वर्ष में ₹12,000 करोड़ के निवेश के लिए समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए
जम्मू-कश्मीर को भारत का मुकुट कहा जाता है। वर्ष 2019 से पहले जम्मू-कश्मीर धारा 370 और 35-ए की बेड़ियों में जकड़ा हुआ था, जिसे मोदी सरकार ने निरस्त कर दिया। वहीं, गुपकार गैंग से लेकर अन्य सभी कश्मीर को अपनी बपौती समझने वाले तथाकथित नेता आज जम्मू-कश्मीर में आ रही विकास की बयार को देखकर निश्चित ही रुदाली राग गा रहे होंगे। देश के गृह मंत्री अमित शाह ने बीते शनिवार को कहा कि “विकास की ओर अग्रसर जम्मू-कश्मीर में कुल 50,000 करोड़ रूपये का निवेश होगा, जिसमें 12000 करोड़ रूपये के समझौते को स्वीकृत भी मिल चुकी है और उनपर काम जारी है। इस पूरे निवेश से रोज़गार बढ़ेगा और पांच लाख युवाओं को रोज़गार मिलेगा।”
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जम्मू-कश्मीर में होगा 50,000 करोड़ रुपए का निवेश
निस्संदेह, घाटी के लोगों को बरगलाकर अब तक वोट की राजनीति के परिणामस्वररूप न तो जम्मू-कश्मीर का उद्धार हुआ और न ही कल्याण। बीते शनिवार को गृह मंत्री ने जिस निवेश की बात की, वो जम्मू-कश्मीर की तकदीर को बदलने का माद्दा रखता है। जम्मू-कश्मीर में जिला सुशासन सूचकांक (DGGI) का शुभारंभ करते हुए उन्होंने आगे कहा कि सभी निवेश एक साथ पांच लाख युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करेंगे।
उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर के लिए अब तक की सबसे अच्छी औद्योगिक नीति बनाई है, जिसके तहत जम्मू-कश्मीर में करीब 50,000 करोड़ रुपए का निवेश आने वाला है और इससे पांच लाख युवाओं को रोजगार मिलेगा।” उन्होंने आगे कहा, ‘‘हर क्षेत्र में, जम्मू-कश्मीर ने दो साल में लाभार्थियों को सीधा लाभ देने का प्रयास किया है और यह स्वाभाविक है कि बिचौलिए नाराज होंगे, लेकिन हम उनकी नाराजगी से डरते नहीं हैं।’’
यह दुखद बाद है कि पूर्व में जो इतिहास जम्मू-कश्मीर का रहा, आंकड़ों के अनुसार वो शर्मसार है। पूर्व की सरकारों ने अपने विकास के बजाय यदि जम्मू-कश्मीर के विकास पर ध्यान दिया होता तो पिछले 70 साल में जम्मू-कश्मीर की स्थिति बदल चुकी होती। यदि पूर्व की सरकारों ने काम किया होता तो न ही घाटी में पत्थरबाज जैसी परिस्थिति उत्पन्न होती और न ही वहां के युवाओं में अपने देश के प्रति भीतर हीन भावना आती।
निवेश से होगा जम्मू-कश्मीर का कायाकल्प
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि एक ही वर्ष में ₹12,000 करोड़ के निवेश के लिए समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए हैं और ₹ 2,000 करोड़ के भूमि पूजन समारोह भी हुए हैं। उन्होंने कहा, “आज मैं एक बार फिर अपने युवा मित्रों, खासकर घाटी के युवा मित्रों से कहना चाहता हूं कि आप पीएम मोदी के बताए विकास के पथ पर चलें। जम्मू-कश्मीर को देश का सबसे विकसित क्षेत्र बनने से कोई नहीं रोक सकता।” गृह मंत्री ने घाटी के युवाओं से केंद्र शासित प्रदेश में शुरू की गई विकास पहलों पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया और कहा कि उन्हें विकास प्रक्रिया, राजनीतिक प्रक्रिया और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेना चाहिए और अपना भविष्य उज्ज्वल बनाना चाहिए।
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DGGI के परिणामों का जिक्र करते हुए शाह ने कहा कि “जम्मू-कश्मीर की उपलब्धियां हर राज्य तक पहुंचेंगी और इससे देश के हर जिले में सुशासन की स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा।” इन सभी बातों को तथ्यात्मक रूप से नकारा नहीं जा सकता क्योंकि यदि वास्तव में जम्मू-कश्मीर में योजनागत रूप से विकास किया गया होता तो उसकी स्थिति इतनी लचर नहीं होती। ऐसे में, यह निवेश जम्मू-कश्मीर की काया पलटने के लिए बहुत बड़ा कदम है, जिसके बाद जम्म-कश्मीर पूरे देश से जुड़ाव महसूस करेगा जो अबतक नामुमकिन जान पड़ता था।