मुख्य बिंदु
- नीति आयोग ने सरकार को दिया परामर्श, सरकार RBI से इलेक्ट्रिक वाहन संबंधी उद्यम को प्राथमिकत स्तर पर उधार देने का निवेदन करे
- RBI ने कई राष्ट्रीय प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के लिए औपचारिक ऋण की आपूर्ति में सुधार कर देश को उबारा है
- यदि RBI बैंकों को EV गाड़ियों हेतु ऋण व्यवस्था सुगम और लाभकारी बनाता है तो EV की मांग बढ़ेगी
भारतीय रिजर्व बैंक सरकार द्वारा संचालित कल्याणकारी परियोजनाओं को वित्तपोषित करने हेतु बैंकों को दिशानिर्देश जारी करता है। वहीं, नीति आयोग सरकार की योजना विभाग है, जो सरकार को यह सुझाती है कि कहां कितने पैसे खर्च करने है। खबर यह है कि नीति आयोग ने सरकार को परामर्श दिया है कि सरकार भारतीय रिजर्व बैंक से इलेक्ट्रिक वाहन संबंधी उद्यम को प्राथमिकत स्तर पर उधार देने का निवेदन करे। यह कदम इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए खुदरा ऋण प्राप्त करने का मार्ग आसान कर देगा।
इसी क्रम में नीति आयोग ने बीते शुक्रवार को जारी रॉकी माउंटेन इंस्टीट्यूट (RMI) और RMI इंडिया के साथ Electric Vehicle पर जारी अपनी रिपोर्ट में कहा, “भारत में बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) के पास एक इलेक्ट्रिक वाहन (EV) के नव उद्यम को वित्तपोषित करने की क्षमता है, जिससे EV का यह उद्यम 2025 तक 40,000 करोड़ रुपये और 2030 तक 3.7 लाख करोड़ रुपये के बाजार का आकार ले लेगा।” इसका तात्पर्य है कि भारत का EV उद्यम पूर्णतः स्वदेशी होगा और इसमें निचले तबके की भी भागीदार रहेगी। हालांकि, इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि इस उद्यम के लिए खुदरा वित्त लेने का ट्रेंड धीमा रहा है।
EV को प्राथमिकता-क्षेत्र उधार दिशानिर्देश में रखे RBI
नीति आयोग के CEO अमिताभ कांत ने कहा, “भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने में तेजी लाने और सड़क परिवहन को कार्बन मुक्त करने में वित्तीय संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका है। RBI ने कई राष्ट्रीय प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के लिए औपचारिक ऋण की आपूर्ति में सुधार कर देश को उबारा है। यह बैंकों और NBFC जैसी गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं को EV उद्यम की आर्थिक सहायता हेतु एक मजबूत नियामक प्रोत्साहन प्रदान कर सकता है।” बता दें कि प्राथमिक और राष्ट्रहित संबंधी क्षेत्रो को उधार देने का उद्देश्य बाजार में वित्तीय पहुंच का विस्तार करना और रोजगार के अवसरों का समर्थन करना है।
इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए आयोग ने रिपोर्ट द्वारा सरकार को सुझाव दिया है कि RBI उधार देने के संबंध में विभिन्न EV सेगमेंट पर विचार कर सकता है। वहीं, इन पांच मानकों (सामाजिक-आर्थिक क्षमता, आजीविका सृजन क्षमता, मापनीयता, तकनीकी-आर्थिक व्यवहार्यता और हितधारक स्वीकार्यता) के आधार पर सरकार RBI को उधार संबंधी निर्देश देने के लिए मना सकती है। ।
RMI के प्रबंध निदेशक क्ले स्ट्रेंजर ने कहा, “EV के खरीदारों को कम ब्याज दरों और लंबी अवधि वाला ऋण मिल पाना असम्भव के बराबर हैं क्योंकि बैंक पुनर्विक्रय मूल्य और उत्पाद की गुणवत्ता के बारे में सोचने लगते हैं, जिससे ग्राहकों की EV गाड़ियों को खरीदने में रुचि घटती है। अगर RBI बैंकों को EV गाड़ियों हेतु ऋण व्यवस्था सुगम और लाभकारी बनाने का दिशानिर्देश जारी करे तो बाजार में EV की मांग बढ़ेगी, जिससे इसके उद्यमियों को प्रोत्साहन मिलेगा। इसके साथ-साथ इलेक्ट्रिक वाहन हमारे 2070 तक के जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने में भी मदद करेगा।”
देश में जल्द ही है EV क्रांति की उम्मीद
नीति आयोग ने रिपोर्ट में सुझाव दिया है कि इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स, थ्री-व्हीलर्स और कमर्शियल फोर-व्हीलर्स को ऋण देने की प्राथमिकता श्रेणी में सबसे ऊपर रखा जाए। इसके अलावा यह रिपोर्ट वित्त मंत्रालय द्वारा Electronic वाहन उद्यम को एक बुनियादी आधारभूत संरचना के उप-क्षेत्र के रूप में मान्यता देने और RBI के तहत इसे एक अलग रिपोर्टिंग श्रेणी के रूप में शामिल करने का सुझाव देती है। बताते चलें कि ग्रीन एनर्जी पर इसी फोकस के कारण उम्मीद है कि टाटा के बाद अब अडानी समूह भी इलेक्ट्रिक वाहन के इस उद्यम में शामिल होंगे। हाल के वर्षों में पूरे भारत में बहुत सारे EV Startup सामने आए हैं और देश में जल्द ही EV क्रांति की उम्मीद है। EV बैटरी के स्वदेशी उत्पादन के साथ आने वाले वर्षों में इलेक्ट्रिक वाहनों के ऑटोमोबाइल मुख्यधारा में शामिल होने की उम्मीद है।
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यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि अडानी समूह ने EV ऑटो क्षेत्र में अपने नाम से ट्रेडमार्क प्राप्त कर लिया है। 2015 और 2020 में भी इसी तरह के ट्रेडमार्क पारिवारिक ट्रस्ट द्वारा पंजीकृत किए गए थे । EV के उत्पादन में प्रयुक्त होने वाले सेमीकंडक्टर के उत्पादन को भी भारत सरकार ने आर्थिक प्राथमिकता में सबसे ऊपर रखते हुए PLI स्कीम के तहत रखा है। इसके साथ-साथ ताइवान के साथ इनके संयुक्त उत्पादन पर भी सहमति बनी है। ऐसे में, इस तरह के कई समाधान न केवल Electric वाहनों के व्यवसायों के लिए बल्कि वित्तीय क्षेत्र और भारत के 2070 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य के प्राप्ति के लिए भी आवश्यक हैं। वहीं, Electric वाहन उद्यम के पर्यावरणीय और अक्षय ऊर्जा संबंधी प्रभाव को अधिकतम करने हेतु ऋण प्रदान करने की प्रक्रिया और व्यवस्था संबंधी एक स्पष्ट उप-लक्ष्य और दंड तंत्र की सिफारिश भी की गई है।