प्रत्यक्ष कारणों से अपनी दुर्गति के लिए PM मोदी को दोषी ठहराती है पाक की पहली राष्ट्रीय सुरक्षा नीति

भारत के आगे पाक हुआ नतमस्तक!

पाकिस्तान राष्ट्रीय सुरक्षा नीति
मुख्य बिंदु

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने बीते शुक्रवार को पाकिस्तान की पहली राष्ट्रीय सुरक्षा नीति पेश की, जो एक नागरिक-केंद्रित ढांचे को स्पष्ट करते हुए आर्थिक सुरक्षा को अपने मूल में रखती है। इसमें सेना पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है। इस नीति को पिछले महीने राष्ट्रीय सुरक्षा समिति और कैबिनेट द्वारा अलग से समर्थन दिया गया था। नीति के सार्वजनिक संस्करण का अनावरण करते हुए प्रधानमंत्री खान ने कहा कि पिछली सरकारें पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में विफल रही थीं। 100 पृष्ठों के दस्तावेज़ में राष्ट्रीय सुरक्षा को स्पष्ट रूप से समझाया गया है। वहीं, इस नीति में भारत के साथ व्‍यापार और ब‍िजनस को बढ़ाने पर जोर दिया गया है। खान ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद से ही पाकिस्तान की एक आयामी (one  dimensional) सुरक्षा नीति रही है, जिसमें सिर्फ सेना पर ध्यान केंद्रित किया गया था।

पाकिस्तान की नई सुरक्षा नीति

दरअसल, यह पहली बार है जब राष्ट्रीय सुरक्षा प्रभाग ने राष्ट्रीय सुरक्षा को उचित तरीके से परिभाषित किया है। पाकिस्तानी सेना ने अपने 70 से अधिक वर्षों तक पाकिस्तान पर शासन किया है। सेना ने अब तक सुरक्षा और विदेश नीति के मामलों में काफी शक्ति का प्रयोग किया है। पर, 2022-26 के बीच की अवधि को कवर करने वाला यह नीतिगत दस्तावेज अपनी तरह का पहला रणनीति पत्र है, जो सुरक्षा लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा दृष्टि और दिशानिर्देशों को स्पष्ट करता है। मालूम हो कि पाकिस्तान की इमरान सरकार ने अपने करीबी दोस्त चीन को इस राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर प्रोजेक्ट की सफलता हेतु अहम बताया है।

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वहीं, इस सन्दर्भ में इमरान खान ने कहा, “हमें यह महसूस करने की जरूरत है कि हमारी सबसे बड़ी सुरक्षा तब है जब लोग हितधारक बनें और देश के लिए खड़े हों। यह स्थिति सिर्फ समावेशी विकास के माध्यम से हासिल की जा सकती है। हमें एक राष्ट्र के रूप में विकसित होने की जरूरत है, न कि वर्गों में।” बता दें कि नीति का मूल संस्करण गुप्त रहेगा। पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा नीति के मुख्य विषय राष्ट्रीय एकता, आर्थिक भविष्य की सुरक्षा, रक्षा और क्षेत्रीय अखंडता, आंतरिक सुरक्षा, बदलती दुनिया में विदेश नीति और मानव सुरक्षा है।

इससे पहले, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद युसूफ ने कहा था कि पाकिस्तान, नई नीति के तहत, पाकिस्तान के नागरिकों की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक व्यापक राष्ट्रीय सुरक्षा ढांचे को अपनाएगा। उन्होंने कहा, “नीति आर्थिक सुरक्षा को मूल में रखती है। एक मजबूत अर्थव्यवस्था अतिरिक्त संसाधनों का निर्माण करेगी, जिसे बाद में सैन्य और मानव सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए वितरित किया जाएगा।”

भारत से भयभीत है पाकिस्तान 

वहीं, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पाकिस्तान को लेकर निर्धारित की जाने वाली नीतियों से पाक भयभीत है। विदेशी मोर्चे पर इस नई नीति में भारत से प्रमुख खतरों के रूप में दुष्प्रचार, हिंदुत्व और घरेलू राजनीतिक लाभ के लिए आक्रामकता के उपयोग पर प्रकाश डाला गया है। यूसुफ के हवाले से एक रिपोर्ट में कहा गया है कि यह नीति जम्मू-कश्मीर मुद्दे को द्विपक्षीय संबंधों के मूल के रूप में रखती है। यूसुफ ने कहा, “यह नीति भारत को सही काम करने और हमारे लोगों के उत्थान के लिए क्षेत्रीय कनेक्टिविटी से लाभ उठाने पर जोर देती है। यह भारत से यह भी कहती है कि यदि आप सही काम नहीं करना चाहते हैं, तो इससे पूरे क्षेत्र के लिए नुकसान होगा न की केवल भारत का।

इस सप्ताह की शुरुआत में, एक अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान नई सुरक्षा नीति के तहत भारत सहित सभी पड़ोसियों के साथ शांति स्थापित को तैयार है। यह नीति कश्मीर मुद्दे के समाधान के बिना भी नई दिल्ली के साथ व्यापार के लिए दरवाजे खोलती है, बशर्ते द्विपक्षीय वार्ता में प्रगति हो। सौ पन्नों का यह दस्तावेज शांति की मांग करता है, जिसमें कथित तौर पर कश्मीर मुद्दे के अंतिम समाधान के बिना भी भारत के साथ अधिक व्यापार शामिल है।

पाक की नीति और भारत की कूटनीतिक जीत

बताते चलें कि नई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में पड़ोसियों के साथ शांति और आर्थिक कूटनीति पाकिस्तान की विदेश नीति का केंद्रीय विषय होगा। एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “हम अगले 100 वर्षों तक भारत के साथ दुश्मनी नहीं चाहते हैं। नई नीति तत्काल पड़ोसियों के साथ शांति चाहती है। अगर बातचीत और प्रगति होती है तो भारत के साथ व्यापार और वाणिज्यिक संबंधों को सामान्य बनाने की संभावना होगी जैसा कि पहले हुआ था।”

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पाकिस्तान के नादान जनरलों की हालत मोदी सरकार ने ‘आगे कुआं पीछे खाई’ वाली कर दी है। पाकिस्तान ने गला फाड़ कर विश्व समुदाय से कश्मीर मुद्दे पर मदद मांग ली। पाकिस्तान ये समझ गया है कि भारत के सामर्थ्य के आगे कोई उसकी इस अनुचित मांग का समर्थन नहीं करेगा। ऊपर से अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में पाकिस्तान की बेइज्जती अलग होती है। आर्थिक सर्जिकल स्ट्राइक से पाकिस्तान कमर टूट गई है। ऐसे में, अपनी नई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति के आधार पर पाकिस्तान अब कश्मीर मुद्दे को साइड में रखकर भारत से शांति, स्थिरता और व्यापारिक संबंध चाहता है, जोकि भारत की एक कूटनीतिक जीत है।

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