NCC कैडेटों द्वारा ‘स्वामी शरणम अयप्पा’ के उद्घोष से बिलबिला रहा है PFI का स्टूडेंट विंग

उग्रवाद इनके रग रग में रहेगा...

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जमाना बदल सकता है, असम्भव भी संभव हो सकता है, पर अगर कुछ नहीं बदल सकता है, तो वो है वामपंथियों और कट्टरपंथियों का स्वभाव। वो आज भी अपनी कुत्सित मानसिकता और अपनी विकृत कुंठाओं के सहारे जी रहे हैं। देश विरोध इनमें कूट-कूट कर भरा है! ये हर वो काम करते है, जिससे देश की आस्था और अखंडता पर चोट पहुंचे और उसके लिए ये किसी भी स्तर तक जाने को तैयार हो जाते हैं। इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ है। केरल में कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI) के बैनर तले लगभग 100 प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने भड़काऊ नारा लगाते हुए, कुंबलाथु संकुपिल्लई मेमोरियल देवस्वम बोर्ड कॉलेज में प्रवेश करने की कोशिश की। CFI भारत के कट्टरपंथी लोकप्रिय मोर्चे PFI का छात्र विंग है।

दरअसल, कोल्लम जिले में केएसएम डीबी कॉलेज ने हाल ही में 26 दिसंबर से 1 जनवरी तक मावेलिककारा नेशनल कैडेट कोर (NCC) के 8वें केरल बटालियन कैंप की मेजबानी की थी। अंतिम दिन के दृश्यों ने अधिकांश केरलवासियों को गर्व से भर दिया, क्योंकि युवा महिला कैडेटों को ‘स्वामी शरणम अयप्पा’ का मंत्रोच्चार के साथ मार्च करते देखा गया था। आपको बता दें कि ‘स्वामी शरणम अयप्पा’ भगवान अयप्पा भक्तों का पवित्र मंत्र है, साथ ही साथ भारतीय सेना की ब्रह्मोस मिसाइल रेजिमेंट का सिंहनाद (War Cry) भी है। इस मुद्दे पर PFI के स्टूडेंट विंग सीएफआई के कट्टरपंथियों ने स्थानीय पुलिस के रोकने के बावजूद जमकर उधम मचाया। स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस द्वारा पास के एक मंदिर के चारों ओर बैरिकेड्स लगाने के बाद भी आपराधिक भीड़ ने हमला किया।

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नए साल के दिन घटित हुई थी ये घटना

गौरतलब है कि मूल घटना नए साल के दिन हुई थी, जिसकी वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुई थी। इसके बाद कॉलेज प्रबंधन के खिलाफ ‘विरोध’ शुरू हो गया। कम्युनिस्ट ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (AISF) कुन्नाथूर निर्वाचन क्षेत्र समिति के अजय कृष्ण ने आरोप लगाया कि यह घटना ‘धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक’ मूल्यों के खिलाफ थी। ध्यान देने वाली बात है कि AISF वही छात्र संगठन है, जिसका नेतृत्व कभी जेएनयू के ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे, इंशाल्लाह’ फेम कन्हैया कुमार कर रहे थे। ऐसे में सवाल यह उठता है कि किसी भी प्रकार के मूल्यों की बात करने वाला AISF तब कहां था, जब जेएनयूएसयू अध्यक्ष आइशी घोष के नेतृत्व में उसके कैडर और अन्य वामपंथी कट्टरपंथियों ने दिल्ली विश्वविद्यालय के अंदर ABVP के छात्रों पर हमला किया था।

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छात्रों ने स्वेच्छा से किया वॉर क्राई का इस्तेमाल

इस घटना के बाद यह आरोप लगा है कि शिविर के अधिकारियों ने युवा कैडेटों को घटना का खुलासा न करने की चेतावनी दी। इस मामले में कॉलेज के अधिकारियों ने शीर्ष अधिकारियों को सूचित किया, लेकिन वे घटना पर टिप्पणी करने के लिए तैयार नहीं थे। शिविर के प्रभारी सूबेदार मेजर विजयमोहन ने कहा, वास्तव में जो हुआ वह बिल्कुल विपरीत है। उन्होंने कहा कि इस शिविर में छात्रों ने परेड की और उन्होंने स्वेच्छा से वॉर क्राई का इस्तेमाल किया, किसी ने उन्हें मजबूर नहीं किया। उन्होंने सभी को याद दिलाया कि यह वही वॉर क्राई है, जिसका इस्तेमाल भारतीय सेना की मिसाइल रेजीमेंट 861 करती है। यह राजपथ पर गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान उनकी ब्रह्मोस मिसाइलों के प्रदर्शन के साथ सुना जाता है। उन्होंने आगे कहा कि NCC कैंप उस तरह के सीक्रेट कार्यक्रम नहीं करता हैं, जैसे PFI करता है।

उन्होंने आगे कहा कि NCC प्रशिक्षण शिविर सप्ताह भर चलने वाले कार्यक्रम हैं, जहां छात्र बड़ी संख्या में देश के लिए अनुशासन, शारीरिक फिटनेस और समाज सेवा के मूल्यों को विकसित करने के लिए इकट्ठा होते हैं। माता-पिता अपने देशभक्तों को एक साथ मार्च करते हुए देखने के लिए इकट्ठा होते हैं। इस मामलें में पर्यवेक्षकों को संदेह है कि हमेशा की तरह, केरल पुलिस चुप रहेगी या दंगाइयों पर मामूली अपराध करने और उन्हें जमानत पर रिहा करने जैसी कुछ सांकेतिक कार्रवाई करेगी। ये अक्सर देखने  को मिलता है कि हिंदू नागरिकों के प्रति केरल पुलिस का रवैया कैसा रहता है! वहीं, दूसरी ओर PFI और वामपंथियों के खिलाफ उनकी आवाज तक नहीं निकलती, जैसा कि हमने सबरीमाला विरोध के दौरान देखा था।

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