प्रेमचंद का जीवन परिचय – जन्म, शिक्षा, विवाह, उपन्यास और मृत्यु

प्रेमचंद का जीवन परिचय

प्रेमचंद का जीवन परिचय

प्रस्तुत लेख प्रेमचंद का जीवन परिचय है और इसमें आपको उनके जन्म, शिक्षा, विवाह, कहानियां, उपन्यास और मृत्यु से संबंधित जानकारी दी गई है. प्रेमचंद हिन्दी के महानतम भारतीय लेखकों में से एक थे. उनका मूल नाम धनपत राय श्रीवास्तव था. प्रेमचंद को नवाब राय और मुंशी प्रेमचंद के नाम से भी जाना जाता है. बंगाल के विख्यात उपन्यासकार शरतचंद्रचट्टोपाध्याय ने उपन्यास के क्षेत्र में उनके योगदान को देखकर प्रेमचंद को उपन्यास सम्राट कहकर संबोधित किया था. प्रेमचंद ने हिन्दी कहानी और उपन्यास की एक ऐसी परंपरा का विकास किया जिसने पूरी सदी के साहित्य का मार्गदर्शन किया. उनका लेखन हिन्दी साहित्य की एक ऐसी विरासत है जिसके बिना हिन्दी के विकास का अध्ययन अधूरा होगा.

वे एक संवेदनशील लेखक, सचेत नागरिक, कुशल वक्ता तथा सुधी (विद्वान) संपादक थे. बीसवीं शती के पूर्वार्द्ध में, जब हिन्दी में तकनीकी सुविधाओं का अभाव था,उनका योगदान अतुलनीय है. प्रेमचंद के बाद जिन लोगों ने साहित्य को सामाजिक सरोकारों और प्रगतिशील मूल्यों के साथ आगे बढ़ाने का काम किया, उनमें यशपाल से लेकर मुक्तिबोध तक शामिल हैं. उनके पुत्र हिन्दी के प्रसिद्ध साहित्यकार अमृतराय हैं जिन्होंने इन्हें कलम का सिपाही नाम दिया था.

प्रेमचंद का जन्म

मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय पढ़ने से पूर्व उनके जन्म के बारें में जान लेना आवश्यक है. मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को लमही वाराणसी के पास एक गांव में हुआ था. प्रेमचंद के पिता का नाम अजायब राय तथा माता का नाम आनंदी देवी था.उनके पिता जी अजायब राय एक पोस्ट ऑफिस में क्लर्क का काम करते थे तथा आनंदी देवी गृहणी थी. प्रेमचंद का बचपन गाँव में ही बीता था. उन्हें मिठाई का बड़ा शौक़ था. विशेष रूप से गुड़ से उन्हें बहुत प्रेम था.एक बार एक रुपया चुराने पर ‘बचपन’ में उन पर बुरी तरह मार पड़ी थी.

प्रेमचंद अपनी माता आनंदी देवी के व्यक्तित्व से बहुत ज्यादि प्रभावित हुए. इसीलिए उन्होंने अपनी बड़े घर की बेटी कहानी में मुख्य पात्र आनंदी देवी को बनाया जिसे देखकर ऐसा लगता है कि संभवत: उन्होंने अपनी माता के संदर्भ में यह कहानी लिखी थी.

शिक्षा

बचपन में उनकी शिक्षा-दीक्षा लमही में हुई थी.जहां अन्होने एक मौलवी साहब से उर्दू और फ़ारसी पढ़ना सीखा. वक्त के साथ ग़रीबी से लड़ते हुए प्रेमचन्द ने अपनी पढ़ाई मैट्रिक तक पहुँचाई. शिक्षा लेने के लिए नंगे पाव उन्हें गाँव से दूर वाराणसी पढ़ने के लिए जाना पड़ता था. वह वकील बनना चाहते थे. मगर ग़रीबी ने इन्हें तोड़ दिया था. इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी साहित्य, पर्शियन (फ़ारसी) और इतिहास विषयों से स्नातक की उपाधि द्वितीय श्रेणी में प्राप्त की थी. इंटरमीडिएट कक्षा में भी उन्होंने अंग्रेज़ी साहित्य एक विषय के रूप में पढा था.

प्रेमचंद का पारिवारिक जीवन परिचय

प्रेमचंद का कुल दरिद्र कायस्थों का था. उनके पास क़रीब छह बीघे ज़मीन थी. छह महीने की बीमारी के बाद प्रेमचंद की माँ की मृत्यु हो गई. तब उनकी उम्र सात वर्ष की थी. दो वर्ष के बाद उनके पिता ने फिर विवाह कर लिया. चौदह वर्ष की अवस्था में पिता का देहान्त हो जाने के कारण उनका प्रारंभिक जीवन संघर्षमय रहा.

विवाह

15 वर्ष की उम्र में उनका विवाह हो गया था. उनका विवाह उनके सौतेले नाना ने तय किया था. उस समय के विवरण से पता लगता है कि लड़की न तो देखने में सुंदर थी और न ही वह स्वभाव से शीलवती थी. वह बहुत अधिक झगड़ालू थी. प्रेमचंद की यह शादी ज्यादा दिनों तक नहीं टिक पाई और उनका विवाह का टूट गया. इसके बाद प्रेमचंद ने निश्चय किया कि अपना दूसरा विवाह वे किसी विधवा कन्या से करेंगे. यह निश्चय उनके उच्च विचारों और आदर्शों के ही अनुरूप था.

सन 1905 के अन्तिम दिनों में आपने शिवरानी देवी से शादी कर ली. शिवरानी देवी बाल-विधवा थीं. उनके पिता फ़तेहपुर के पास के इलाक़े में एक साहसी ज़मीदार थे. दूसरी शादी के पश्चात् इनके जीवन में परिस्थितियाँ कुछ बदलीं और आय की आर्थिक तंगी कम हुई. इनके लेखन में अधिक सजगता आई. प्रेमचन्द की पदोन्नति हुई तथा यह स्कूलों के डिप्टी इन्सपेक्टर बना दिये गए.

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प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानियां

प्रेमचंद की द्वारा लिखी गई सभी कहानियाँ प्रसिद्ध हुई. उनकी कहानियों सरल शब्दों में थी. जो हर कोई समझ सकती था. उनकी कहानियां मनोरंजन, भाव से भरी होती है. वहीं अंत में एक शिक्षाप्रद संदेश देती है. दो बैलों की कथा ,बड़े घर की बेटी ,पंच परमेश्वर ,बूढ़ी काकी, कफन, ईदगाह ,जुलूस ,आखिरी मंजिल ,ज्वालामुखी आदि.

प्रेमचंद के प्रसिद्ध उपन्यास

प्रेमचंद मा एक बहुत बड़े उपन्यासकार भी थे. उनके द्वारा रचित उपन्यास बहुत प्रसिद्ध हुए हैं. जैसे-
गोदान ,गबन ,सेवासदन ,रंगभूमि ,कर्मभूमि ,प्रतिज्ञा ,कायाकल्प ,वरदान ,मंगलसूत्र

प्रेमचंद की मृत्यु

प्रेमचंद ने अध्यापन कार्य छोडने के बाद 18 मार्च 1921 को वह बनारस चले आए. यहां उन्होंने सिर्फ साहित्य कार्य पर ध्यान दिया. जॉब छोड़ने के बाद उनकी आर्थिक स्थिति भी खराब होने लग गई. उन्होंने भारत के असहयोग आंदोलन में साथ देने के लिए महात्मा गांधी के कहने पर ब्रिटिश सरकार की जॉब छोड़ दी.8 अक्टूबर 1936 को मुंशी प्रेमचंद की बनारस में मृत्यु हो गई. उनकी मृत्यु के बाद उनकी पत्नी ने भी उन पर एक पुस्तक लिखी जिसका नाम था – प्रेमचंद घर में. प्रेमचंद का विस्तृत जीवन परिचय पढ़ने के इच्छुक है तो आप प्रेमचंद के घर में पुस्तक भी पढ़ सकते है. आशा करते है कि प्रेमचंद का संक्षिप्त जीवन परिचय आपको पसंद आया होगा एवं ऐसे ही लेख और न्यूज पढ़ने के लिए कृपया हमारा ट्विटर पेज फॉलो करें.

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