राहुल गांधी को अपनी ही पार्टी का समर्थन नहीं मिल रहा, फिर भी भारत पर राज करने का सपना देख रहे हैं

राहुल की नीति डुबाएगी कांग्रेस की नैया!

राहुल गांधी पंजाब
स्वत: ते घर संभालो सकत नाहींजा ते जग जीत आहला!”, यानी अपना घर तो संभालता नहीं, दुनिया पर राज करेंगे!”

ये कहावत कांग्रेस की जीती जागती वास्तविकता है। राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस, विशेषकर पंजाब कांग्रेस की हालत इतनी खस्ता हो चुकी है कि खुद स्थानीय नेतृत्व तक उनपर विश्वास करने को तैयार नहीं। हाल ही में, राहुल गांधी पंजाब यात्रा पर निकले। राहुल गांधी पंजाब में कांग्रेस पार्टी के चुनाव प्रचार अभियान का हिस्सा बनेंगे एवं 14 फरवरी को होने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए जनता से वोट की अपील करेंगे। वहीं, पंजाब कांग्रेस नेतृत्व में बदलाव के बाद यह राहुल गांधी का पहला दौरा है। पंजाब वो एकमात्र राज्य है, जहां पर कांग्रेस का तनिक भी अस्तित्व बचा हुआ है।

राहुल गांधी का पंजाब दौरा और पंजाब कांग्रेस में फूट

दरअसल, राहुल गांधी के पंजाब पहुंचने के बाद पंजाब से पांच कांग्रेसी सांसदों ने उनके अमृतसर स्थित कार्यक्रम का सार्वजनिक बहिष्कार किया। इनमें मनीष तिवारी, रवनीत सिंह बिट्टू, प्रणीत कौर जैसे कई प्रमुख नाम शामिल थे। इसमें मनीष तिवारी और प्रणीत कौर का नाम इसलिए भी प्रमुखता से लिया जाता है, क्योंकि मनीष तिवारी के कपिल सिब्बल और गुलाम नबी आजाद जैसे नेताओं के साथ निकटता के कारण कांग्रेस नेतृत्व के साथ मधुर संबंध नहीं है और प्रणीत कौर कैप्टन अमरिंदर सिंह की धर्मपत्नी हैं, जिन्हें अपमानित कर कांग्रेस से निकलवाने में राहुल गांधी और उसके चाटुकारों ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी। वहीं, राहुल गांधी ने अपने एक भाषण में कहा था कि “पहले के 15 साल मैं उत्तर भारत से सांसद था। मुझे वहां दूसरी तरह की राजनीति का सामना करना पड़ता था। केरल आना मेरे लिए ताजगी भरा रहा, क्योंकि यहां के लोग मुद्दों की राजनीति करते हैं और सिर्फ सतही नहीं, बल्कि मुद्दों की तह तक जाते हैं।” इस बयान के बाद कांग्रेस के खेमे (कांग्रेस और जी-23 कांग्रेस) में भी बहसबाजी शुरू हो गई। जी-23 कांग्रेस नेताओं ने राहुल गांधी के इस बयान पर हमला बोला था।

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पंजाब कांग्रेस में इस प्रकार की फूट इस बात का स्पष्ट संदेश देती है कि पंजाब कांग्रेस में स्थिति बद से बदतर है। लेकिन हमारे कांग्रेस के अनौपचारिक अध्यक्ष (राहुल गांधी) क्या कर रहे हैं? महोदय ट्विटर को पत्र लिख रहे हैं कि उनके फॉलोवर पीएम मोदी से कम क्यों है और उनकी आवाज को दबाया क्यों जा रहा है? इन्हीं कारनामों के कारण कांग्रेस का जनाधार और उनका नेतृत्व दोनों उनके हाथ से रेत की भांति फिसलता जा रहा है।

2014 से छत्तीसगढ़ और पंजाब को छोड़कर इस पार्टी ने कहीं भी अपने दम पर सरकार नहीं बनाई है। महाराष्ट्र और झारखंड में वह केवल सहयोगी पार्टी है, न की प्रमुख गठबंधन पार्टी नहीं है। एक समय था जब कांग्रेस के बिना भारतीय राजनीति में एक पत्ता नहीं हिलता था किंतु आज कांग्रेस की राजनैतिक साख धीरे- धीरे समाप्त होती जा रही है, जिसका कारण सिर्फ एक है, स्वयं राहुल गांधी।

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राहुल की नीति कांग्रेस को डुबाएगी

राहुल गांधी की सबसे बड़ी कमी यही है कि वह वास्तविकता को स्वीकारना ही नहीं चाहते। वो सम्पूर्ण भारत पर राज करने का स्वप्न देख रहे हैं। वहीं, हिमंता बिस्वा सरमा और ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे नेता तो छोड़िए, अब तो जितिन प्रसाद और आरपीएन सिंह जैसे विश्वासपात्र भी कांग्रेस त्यागकर भाजपा का दामन थाम चुके हैं। स्वयं कैप्टन अमरिंदर सिंह की पंजाब लोक कांग्रेस NDA में शामिल हो चुकी है। फिलहाल सचिन पायलट कांग्रेस में अडिग हैं, लेकिन यदि भविष्य में उनका भी मन डोले, तो चकित मत होइएगा! वहीं, अगर राहुल गांधी की माने तो उनके लिए जो वे सोचे, वही सही, जो बाकी सोचे, सब गलत। यह नीति उन्हें बहुत बुरा डुबाएगी लेकिन जिसे खुद डूबने का शौक हो, उसे सहारा देकर कोई व्यर्थ में अपने आप को जोखिम में भला क्यों डालेगा?

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