भारत में संघवाद क्या है और भारत में संघीय व्यवस्था कैसे चलती है?

संघवाद क्या है?

लैटिन शब्द ‘Foedus’से संघवाद शब्द बना है. जिसका अर्थ होता है एक प्रकार का समझौता. संघवाद सरकार का एक वह रूप होता है. जिसमें देश के अंदर सरकार के दो स्तर मौजूद होते हैं. जिसमें पहला केंद्रीय स्तर पर और दूसरा स्थानीय या राज्यीय स्तर पर. प्रस्तुत लेख में हम संघवाद क्या है?, संघीय व्यवस्था और भारत में विकेन्द्रीकरण पर बात करने जा रहे है.

संघीय व्यवस्था में दो स्तर पर सरकारें होती है. जिसमें एक सरकार तो पूरे देश के लिए होती है. जो राष्ट्रीय महत्व के विषय को देखती हैं. फिर राज्य या प्रान्तों के स्तर की सरकारें होती हैं जो शासन के दैनदिन कामकाज को देखती है. ये दोनों अपने स्तर पर स्वतंत्र होकर काम करती है.

संघीय व्यवस्था की कुछ महत्वपूर्ण विशेषताएँ

1. इसमें दो या अधिक स्तरों वाली सरकार होती है.
2. यह सरकारें जो कि अलग अलग होती हैं.वह नागरिक समूह पर शासन करती है. वह कानून बना सकती है, कर वसूल सकती है प्रशासन का उनका अपना अधिकार क्षेत्र होता है.
3. सरकार के हर स्तर के अस्तित्व और प्राधिकार की सुरक्षा की गारंटी संविधान देती है.
4. संविधान के मौलिक प्रावधानों को कोई एक सरकार नहीं बदल सकती. इसके लिए दोनों स्तर की सरकारों की सहमति जरुरी हैं.
5. संविधान और विभिन्न स्तर की सरकारों के अधिकारों की व्याख्या करने का अधिकार अदालतों को है.
6. वित्तीय स्वायतता के लिए सरकारों के लिए राजस्व के अलग अलग स्रोत निर्धारित किए हैं.
7. इस व्यवस्था का उदेश्य – देश की एकता की सुरक्षा करना है साथ ही उसे बढ़ावा देना भी है और इसके क्षेत्रीय विविधताओं का पूरा सम्मान करना भी है.

भारत में संघीय व्यवस्था

तीन स्तरीय शासन व्यवस्था
1. संघ सरकार या केंद्र सरकार
2. राज्य सरकार
3. पंचायत और नगरपालिका

प्रतिरक्षा, विदेशी मामलें, बैंकिंग, संचार और मुद्रा जैसे राष्ट्रीय महत्व के विषय को संघ सूची में डाला गया है. वहीं राज्य सरकार द्वारा पुलिस, व्यापार, वाणिज्य, कृषि और सिंचाई जैसे प्रांतीय और स्थानीय महत्व के विषयों कानून बना सकती है.

समवर्ती सूची में शिक्षा, वन, मजदूर, संघ, विवाह, गोद लेना और उतराधिकारी जैसे वे विषयों पर कानून बनाने का अधिकार केंद्र व राज्य सरकारों का होता है. इनके अलावा बचे हुये विषय पर कानून बनाने का अधिकार केवल केंद्र सरकार के पास होता है.शक्तियों के बँटवारे के संबंध में कोई विवाद होने की हालत में फैसला उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के पास हीं होता है.

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संघवाद क्या है और संघीय व्यवस्था कैसे चलती है?

1. भारत में संघीय व्यवस्था के सफल होने का श्रेय यहाँ की लोकतान्त्रिक राजनीति के चरित्र को जाता है.
2. भाषा के आधार पर राज्यों का गठन हुआ. यह उस समय देश का बहुत ही कठिन फैसला था. इसमें देश के विभिन्न क्षेत्रों को राज्यों में बांटा गया. जिसके कारण पुराने प्रांत गायब हो गए और नए प्रांत उभर कर सामने आए.
3. राजभाषा किसे माना जाए इसे लेकर बहुत ही परेशानी थी.क्योंकि हिन्दी भाषा को मानने वाले 40% लोग थे. इसीलिए हिन्दी के साथ अन्य 21 भाषाओं को अनुसूचित भाषा का दर्जा दिया. जिसके अनुसार उम्मीदवार इन भाषाओं में किसी भी भाषा को अपना विकल्प चुन सकता था.
4. सत्ता की साझेदारी लागू होने से पहले से इसकी तुलना ज्यादा ही प्रभावशाली है.

भारत में विकेंद्रीकरण

भारत देश में दो स्तर की शासन व्यवस्था से देश नहीं चल सकता था. जिसके लिए देश में विकेंद्रीकरण जरूरी हो गया था. फिर कुछ समय बाद स्थानीय सरकार जिसे ही तीसरा स्तर कहा गया है उसे लाया गया. जैसे पंचायत जो गाँवों की अच्छे से देखभाल करा सके.

इसमें जब केंद्र और राज्य सरकार से शक्तियाँ लेकर स्थानीय सरकारों यानि पंचायत को दी जाती है. तो इसको सत्ता का विकेंद्रीकरण कहा जाता हैं.इन विकेंद्रीकरण का यह पायदा हुआ कि इससे मुद्दों औक समस्याओं का निपटारा करने में आसानी हो गई. सभी राज्यों में गाँव के स्तर पर ग्राम पंचायत और शहरों में नगरपालिकाओं की स्थापना की गयी.यह बड़ा कदम था.चुनावों में अब पिछड़े जाति के लोगों के लिए सीटें आरक्षित होती है वहीं एक-तिहाई पद महिलाओं के लिए आरक्षित होते है.सत्ता में भागीदारी की प्रवृति हर राज्य में अलग-अलग है. आशा करते है कि संघवाद क्या है? पर हमारा यह लेख आपको पसंद आया होगा ऐसे ही लेख और न्यूज पढ़ने के लिए कृपया हमारा ट्विटर फॉलो करें.

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