सार्थक शब्द – Sarthak Shabd
हिन्दी व्याकरण में प्रत्येक शब्द किसी न किसी व्याकरण के पद या महत्वपूर्ण परिभाषा से जुड़ा होता है. इसलिए आज हम आपकों इस आर्टिकल के माध्यन से सार्थक शब्द क्या होता है. इसके बारे में समझाएंगे.
सार्थक शब्द की परिभाषा Sarthak Shabd ki Paribhasha
“वे शब्द जो किसी निश्चित अर्थ का बोध करवाते है ऐसे शब्दों को सार्थक शब्द (Sarthak Shabd) कहा जाता है अर्थात “वर्णों का ऐसा संयोग जिसका कोई अर्थ हो सार्थक शब्द कहलाते है”
उदाहरण – Sarthak Shabd ke udharan
जैसे: पानी, आकाश, रास्ता, हवा आदि
सार्थक शब्द के भेद
सार्थक शब्दों के आठ भेद होते हैं- जिसमें से प्रथम चार प्रकार के शब्द- संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया विकारी होते हैं. क्योंकि ये शब्द लिंग, वचन, कारक आदि से विकृत हो जाते हैं.
संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, क्रियाविशेषण, सम्बन्धबोधक, समुच्यबोधक, विस्मयादिबोधक
संज्ञा-
किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान या जाती के नाम को संज्ञा कहते है.
जैसे:- यह, वह, इस, उस, इसका, उसका, जिसे, किसे, आदि
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सर्वनाम –
जो शब्द संज्ञा के स्थान पर प्रयोग में आते हैं, उन्हें ‘सर्वनाम’ कहते हैं.
जैसे- मैं, तुम ,हम, वह, आप, उसका, उसकी आदि
विशेषण:-
विशेषण उन शब्दों को कहा जाता है जो संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं.
जैसे:- राम महान है| इस वाक्य में राम संज्ञा है और महान विशेषण है जो राम की महानता को व्यक्त करती है|
जैसे: काला, पीला, गोरा, छोटा, अच्छा, गन्दा आदि
क्रिया:-
वे शब्द जो किसी कार्य के होने या कार्य करने को व्यक्त करते है उन्हें क्रिया शब्द कहा जाता है|
जैसे: अगर में लिखता हूँ तो “लिखता” है एक क्रिया शब्द है जो लिखने के कार्य को बता रहा है.
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क्रियाविशेषण:-
जिस प्रकार विशेषण शब्द , संज्ञा और सर्वनाम की विशेषता का बोध करवाते है उसी प्रकार क्रिया विशेषण शब्द क्रिया की विशेषता बताते है.
जैसे:- मोहन जल्दी-जल्दी बोलता है| इस वाक्य में “बोलता” एक क्रिया है और “जल्दी-जल्दी” एक क्रिया विशेषण शब्द है|
सम्बन्धबोधक सार्थक शब्द:-
वे शब्द जो एक संज्ञा या सर्वनाम का दूसरी संज्ञा या सर्वनाम से संबंध को दर्शाते है या संबंध का बोध करवाते है उन्हें सम्बन्धबोधक शब्द कहा जाता है|
जैसे:- विघालय के सामने बगीचा है. (‘विघालय’ का ‘बगीचा’ के साथ संबंध- ‘के सामने’)
जैसे: के निचे, के पास, के अनुसार, की जगह, के साथ, आदि.
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समुच्यबोधक सार्थक शब्द:-
ये वे शब्द होते है जो दो वाक्यों खंड़ो को जोड़ने का कार्य करते है. समुच्यबोधक कहलाते हैं.
जैसे:- आपने मेहनत की लेकिन आपको सफलता नही मिली.
यहाँ पर “लेकिन” शब्द दो वाक्यों को आपस में जोड़ रहा है. जो एक समुच्यबोधक शब्द है.
जैसे: और, वरना, लेकिन, बल्कि, यहाँ तक की, ताकि, इसलिये, किन्तु आदि.
विस्मयादिबोधक सार्थक शब्द:-
जिस शब्दों में हर्ष, शोक, आश्चर्य, घृणा, क्रोध, तिरस्कार आदि भावों का बोध हो, उन्हें विस्मयादिबोधक कहते हैं.
जैसे: बाप रे बाप !, हे भगवान !, आह ! , हा !, हट ! , धिक् ! , धत !, जी हाँ ! , बहुत अच्छा !, ओहो !, सच !, हैलो !, काश ! , कदाचित् !
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