पंजाब को BJP के हवाले करेगा सिद्धू का सलाहकार मुस्तफा

जनसभा में मुस्तफा ने हिन्दुओं को दी मारने की धमकी!

धर्मनिरपेक्षता का बिगुल बजाने वाली काँग्रेस ने हमेशा राजनीति के नाम पर तुष्टिकरण करने की कोशिश की है। यही कारण है कि इनको 2014 में सत्ता से बहार करके भाजपा को सत्ता की कमान सौंपी गई। यह कोई छिपा हुआ तथ्य नहीं है कि मुसलमानों का वोट पाने के लिए काँग्रेस किस स्तर तक सकती है।

कुछ तो काँग्रेसी नेता ऐसे हैं जिन्होंने खुलेआम पाकिस्तान का समर्थन किया है। नवजोत सिंह सिद्धू वैसे ही एक नेता है जिनके हृदय में पाकिस्तान के लिए अटूट प्रेम है। अब उसी सिद्धू के सलाहकार ने जो कांड किया है, उससे पूरे देश में बवाल मच गया है।

काँग्रेस का छद्म धर्मनिरपेक्षता तब सामने आ गया तब सिद्धू के सलाहकार ने कल हिंदुओ के खिलाफ जहर उगला। सिद्धू के सलाहकार का नाम है मुहम्मद मुस्तफा। मोहम्मद मुस्तफा आगामी पंजाब चुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी के मलेरकोटला उम्मीदवार रजिया सुल्ताना के पति हैं। वह एक राज्य मंत्री और वर्तमान मलेरकोटला विधायक हैं। मोहम्मद मुस्तफा एक सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी है और पंजाब कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू के सलाहकार हैं।

हिन्दुओ के खिलाफ उगला जहर-

गुरुवार रात मलेरकोटला में एक जनसभा चल रही थी। जनसभा में मोहम्मद मुस्तफा से पास में चल रही आम आदमी पार्टी (आप) की जनसभा के बारे में पूछा गया। उन्होंने यह कहते हुए जवाब दिया, “मैं उनके [आप] की तरह आरएसएस का एजेंट नहीं हूं। अगर मेरे पास अपना विकल्प हो तो मैं उन्हें एक भी सार्वजनिक सभा आयोजित करने की अनुमति नहीं दूंगा। मैं कौम का एक सैनिक हूं और कौम के लिए संघर्ष करना जारी रखूंगा।”

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार और विपक्षी नेताओं को यह ध्यान रखना चाहिए कि अगर वह “अशांत हो जाते हैं, तो कोई भी उन्हें नियंत्रित नहीं कर पाएगा।”

मुस्तफा का जहर यहीं पर नहीं रुका, उन्होंने आगे कहा, “अगर (हिंदुओ) ने दोबारा ऐसी हरकत की तो खुदा की कसम इनके घर में घुस कर मारुंगा। आज में सिरफ वॉर्निंग (चेतावनी) दे रहा हूं। मैं वोटो के लिए नहीं लड़ रहा हूँ। मैं कौम के लिए लड़ रहा हूं। मैं जिला पुलिस और जिला प्रशासन को भी बताना चाहता हूं कि अगर दोबारा ऐसी हरकत हुई और मेरे जलसे के बराबर में अगर हिंदुओं को इजाज़त दी गई, तो ऐसी हालत कर दूंगा की संभालना मुश्किल हो जाएगा।”

भाजपा ने किया पलटवार

भाजपा ने भी घटना की आलोचना और निंदा की है।  कथित वीडियो क्लिप को बीजेपी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में चलाया जिसमें मुस्तफा को 20 जनवरी को मलेरकोटला में एक जनसभा में यह कहते हुए सुना गया, “मैं अल्लाह की कसम खाता हूं कि मैं उन्हें कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं करने दूंगा। मैं कौमी फौजी (समुदाय का सिपाही) हूँ। मैं आरएसएस का एजेंट नहीं हूं जो डर के मारे घर में छिप जाए।अगर वे फिर से ऐसा करने की कोशिश करते हैं, तो मैं अल्लाह की कसम खाता हूं, मैं उन्हें उनके घरों में मार दूंगा।”

मोहम्मद मुस्तफा के कथित बयानों पर प्रतिक्रिया देते हुए, भाजपा नेता शाजिया इल्मी ने कहा कि पार्टी चुनाव आयोग से उनकी पत्नी रजिया सुल्ताना का टिकट रद्द करने के लिए कहेगी। शाजिया इल्मी ने कहा, “क्या वे सांप्रदायिक भावनाएं भड़का सकते हैं और वोट हासिल कर सकते हैं? न केवल मुस्तफा और उनकी पत्नी, बल्कि कांग्रेस और राहुल गांधी और अन्य – आप अल्लाह को क्यों ला रहे हैं? यह बहुत शर्म की बात है और धर्मनिरपेक्षता की बात करने वाली कांग्रेस पार्टी के पाखंड को दर्शाता है। यह संविधान विरोधी है और हमारे हिंदू भाइयों को डराने की कोशिश है।”

पंजाब बीजेपी नेता सुभाष शर्मा ने भी मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “मोहम्मद मुस्तफा की मानसिकता सिद्धू जैसी ही है। वह पाकिस्तान के उन नेताओं को गले लगाते हैं जो हर दिन [भारत को] ड्रग्स और हथियार भेजते हैं।”

भाजपा ने यह भी आरोप लगाया है कि उसके कार्यकर्ता अमन थापर को मोहम्मद मुस्तफा द्वारा धमकी दी गई थी क्योंकि उनके द्वारा कथित भड़काऊ भाषण का वीडियो दूसरों को दिखाया गया था और दुनिया के सामने शेयर किया गया था।

मुस्तफा ने खुद को बचाने के लिए बोला झूठ-

मलेरकोटला पंजाब का मुस्लिम बहुल जिला है। वहां लाखों मुसलमान हैं। खैर, मामलें के तूल पकड़ने पर मुस्तफा ने कहा कि वह हिंदुओ के लिए कुछ नहीं बोल रहे थे।

मुस्तफा ने “हिंदुओं” का उपयोग करने से इनकार किया और कहा कि उन्होंने केवल आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया था। मुस्तफा के अनुसार, उनमें से कुछ ने कथित तौर पर उनका पीछा किया और उनके साथ मारपीट करने की कोशिश की थी।

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पंजाब में दिया गया भाषण ऐसा प्रतीत हो रहा था कि जैसे वह लाहौर में दिया जा रहा हो। खैर, सिद्धू पंजाब को लाहौर ही समझते हैं।

लेकिन यह मुद्दा इससे बढ़कर है। मुस्तफा आईपीएस अधिकारी रह चुके हैं। उन्होंने देश के संविधान की शपथ ली है और राज्य के डीजीपी के रूप में काम किया है। यह स्पष्ट रूप से घृणित और असंवैधानिक भाषा है। यब सोचकर ही डर कगत है कि इतनी नफर्टी लेकर मुस्तफा कैसे IPS पद पर काम किये होंगे। यह शर्मनाक है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था के नाम पर इस तरह का बात किया जा रहा है और यह सब हो रहा है काँग्रेस के शह पर!

 

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