Foxconn के बंद होने के पीछे है चीन का हाथ, अब भारत को भी करनी चाहिए जवाबी कार्रवाई

अब चीन को सबक सिखाना जरूरी हो गया है!

फॉक्सकॉन

Source- TFIPOST

पिछले कुछ वर्षों में चीन ने ताइवान पर अत्यधिक सैन्य दबाव बनाना शुरू किया, जिसका नतीजा यह हुआ कि ताइवान को अमेरिका के अतिरिक्त अन्य सहयोगियों की तलाश शुरू करनी पड़ी। भारत उसका सबसे उपयुक्त साथी है। ताइवान और भारत के मजबूत होते संबंधों के कारण फॉक्सकॉन जैसी ताइवान की बड़ी कंपनी ने भारत में निवेश किया। फॉक्सकॉन एप्पल की प्रमुख सप्लायर है। फॉक्सकॉन की तरह ताइवान की कई अन्य कंपनियों ने भी भारत में निवेश किया, जिससे चीन की चिंताएं बढ़ गई।

फॉक्सकॉन पहले से ही तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदुर में एक आईफोन और एप्पल गैजेट असेंबली फैसिलिटी चलाती है। ऐसा लगता है कि फॉक्सकॉन फैक्ट्री चीनियों के लिए एक लक्ष्य बन गई है। बड़ा सवाल है कि यह फैक्ट्री बंद क्यों है? यह फैक्ट्री 18 दिसंबर से बंद है और 7 जनवरी तक इसके खुलने की संभावना नहीं है। फॉक्सकॉन कंपनी में कार्यरत 17,000 लोग और चीन के बीच एक कड़ी जुड़ती नजर आ रही है।

फॉक्सकॉन फैक्ट्री के बंद होने का कारण, महिला कर्मियों के लिए बनाए गए हॉस्टल के खाने में हुई फूड पॉइजनिंग की घटना है। श्रीपेरंबुदुर फैक्ट्री की महिला कर्मियों ने अचानक फैले डायरिया रोग के कारण उनके सहकर्मियों के बड़ी संख्या में अस्पताल में भर्ती होने के बाद विरोध शुरू किया था। एप्पल के प्रवक्ता ने बताया कि इस घटना की जांच के लिए स्वतंत्र पर्यवेक्षकों को श्रीपेरंबुदुर फैक्ट्री भेजा गया है। फैक्ट्री पर तब तक कोई नया ऑर्डर नहीं लिया जाएगा, जब तक मामला सुलझ नहीं जाता।

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चीन के पेट में हो रहा मरोड़

The Week में छपी एक रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन द्वारा समर्थित वामपंथी समूह, कर्मचारियों में सक्रिय है और इन्हीं वामपंथी श्रमिक संगठनों ने इस हड़ताल को आयोजित किया है। रिपोर्ट में बताया गया है कैंटीन के भोजन के कारण हुई किसी बीमारी के बाद, कुछ कर्मियों के अस्पताल में भर्ती होने और उसके बाद विरोध प्रदर्शन शुरू होने का यह पैटर्न विरोध प्रदर्शन कराने का एक अंतरराष्ट्रीय तरीका है। ऐसे तरीके प्रायः किसी देश के औद्योगिक प्रतिष्ठानों को अस्थिर करने के लिए प्रयोग किए जाते हैं। रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि यह कोई गुप्त रहस्य नहीं है कि चीन, भारत में एप्पल आईफोन की मैन्युफैक्चरिंग को लेकर चिंतित है, क्योंकि इससे पहले एप्पल आईफोन का 48 फीसदी हिस्सा चीन में बनाया जाता था।

रिपोर्ट में खुफिया सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि इस प्रकार के प्रदर्शन कई अन्य फैक्ट्रियों में भी हो सकते हैं। विशेष रूप से उन फैक्ट्रियों में, जिन्हें बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा संचालित किया जा रहा है। रिपोर्ट ने Sanmina, फोर्ड, पीपीजी एशियन पेंट्स, एनफील्ड इंडिया लिमिटेड जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों में प्रदर्शन के समान पैटर्न की ओर इशारा किया है। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने इस घटना के बाद अपनी खुशी जाहिर करते हुए एक रिपोर्ट के माध्यम से बताया कि किस प्रकार भारत में एप्पल प्लांट बंद होने के कारण, अब एप्पल को पुनः चीन में अधिक वेतन और बोनस के साथ कर्मचारियों को रखना पड़ रहा है।

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कॉपर प्लांट बंद कराने में थी चीन की भूमिका

बताते चलें कि चीन द्वारा भारत की फैक्ट्रियों को बंद कराने का इतिहास कोई नया नहीं है। भारत की सबसे बड़ी कॉपर प्लांट कंपनी चीन के कारण ही बन्द हुई थी। तमिलनाडु के तूतूकुड़ी जिले में Sterlite प्लांट वर्ष 2018 में स्थानीय आदिवासियों के विरोध के कारण बंद हो गया था। इस विरोध में कम्युनिस्ट दलों की प्रमुख भूमिका थी। यह प्लांट भारत के 40% कॉपर उत्पादन के लिए उत्तरदायी था। इस प्लांट के बंद होने के बाद भारत कॉपर निर्यातक से कॉपर आयातक देश बन गया। महत्वपूर्ण बात यह रही कि इस घटना के बाद भारत को कॉपर आयात भी चीनी कंपनियों से ही करना पड़ा।

भारत की कॉपर प्लांट के बंद होने के कारण भारत की अर्थव्यवस्था पर बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ा। कॉपर से बनने वाले सभी उत्पादों के लिए हम चीन पर निर्भर हो गए। कॉपर उत्पादन से मिलने वाले सल्फ्यूरिक एसिड की भारत में कमी हो गई, जिसका प्रयोग फ़र्टिलाइज़र में होता था। इसी प्रकार कॉपर के कई अन्य बायप्रोडक्ट के लिए हम चीन पर निर्भर हो गए।

गौरतलब है कि चीन के लिए भारत को अस्थिर करना बहुत आसान है, क्योंकि भारत एक लोकतांत्रिक देश है, जहां स्वतंत्र मीडिया और स्वतंत्र राजनीतिक गतिविधियां किसी भी आंदोलन को भड़का सकती है। यदि भारत को वैश्विक स्तर पर स्वयं को स्थापित करना है, तो हमें उच्च स्तर पर इंटेलिजेंस और प्रशासनिक सख्ती बरतनी होगी। अमेरिका ने शीतयुद्ध के दौरान, रूस से बचाव के लिए जो तरीके अपनाए, भारत को भी चीन का मुकाबला करने के लिए वैसे ही तरीके अपनाने होंगे।

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