सुनील छेत्री वो खिलाड़ी हैं जिनके फुटबॉल खेलने की क्षमता का पूरा विश्व कायल है। बाइचुंग भूटिया के बाद सुनील छेत्री ही वो भारतीय हैं जिनको देख अनेकों बच्चों ने फुटबॉल को अपना पेशा बनाने का प्रण लिया और आज वे सभी इस दिशा में अभ्यासरत हैं। वो सभी छात्र आज अभ्यास कर रहे हैं कि एक न एक दिन वो भी छेत्री की तरह विश्व पटल पर अपना और अपने देश का नाम रोशन करेंगे। लेकिन इतना प्रतिभाववान खिलाड़ी होने के बावजूद, एक प्रेरणापुंज कहलाने के अतिरिक्त आज भी कई देश उन्हें विश्व के सफलतम खिलाड़ियों में नहीं गिनते हैं और इसी स्वीकार्यता से सुनील छेत्री को आजतक वंचित रखा हुआ है। कारण स्पष्ट है कि आज भी एक सफल फुटबॉल खिलाड़ी होने की परिभाषा यही है कि खिलाड़ी बड़े यूरोपीय क्लबों से खेलने वाला है तो वो सफल है वरना कितने आए और कितने गए।
निस्संदेह, बाइचुंग भूटिया के संन्यास लेने के बाद से सुनील छेत्री ही एक ऐसे खिलाड़ी रहे हैं जिन्हें भारतीय फुटबॉल का स्तंभ कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। वह हमारे देश के शीर्ष तीन अंतरराष्ट्रीय गोल करने वालों में से हैं, फिर भी उन्हें सामाजिक रूप से यथोचित सम्मान नहीं मिल पाया है जितना एक क्रिकेट खिलाड़ी को मिल जाता है, छेत्री तो फिर भी फुटबॉल टीम के कप्तान हैं।
सुनील छेत्री जो टीम में फॉरवर्ड खेलते हैं और इंडियन सुपर लीग क्लब बेंगलुरु और भारत की राष्ट्रीय टीम दोनों की कप्तानी करते हैं, वह दुनिया के महानतम फुटबॉलरों में से एक हैंl उनकी कप्तानी का कोई सानी नहीं है। यूं तो फुटबॉल खेल जगत में मेस्सी और रोनाल्डो को बहुत बड़ा नाम माना जाता रहा है वहीं, सुनील छेत्री ने अपने कौशल से इन दो बड़े खिलाडियों के सामने अपनी छवि और स्थान को कुछ ऐसा मजबूत किया कि आज छेत्री लियोनेल मेसी के इतने समीप आ गए कि सबसे ज्यादा अंतरराष्ट्रीय गोल मारने की सूची में दूसरे पायदान पर आ पहुंचे। इस उपलब्धि को तब हासिल करना, जब न सुनील छेत्री किसी बड़े यूरोपीय क्लब से खेले,ये अपने आप में बड़ी बात हैl
16 अक्टूबर 2021 तक, छेत्री ने न केवल सक्रिय खिलाड़ियों में लियोनेल मेस्सी के साथ स्थान प्राप्त किया बल्कि क्रिस्टियानो रोनाल्डो के बाद दूसरे नंबर पर आ खड़े हुए। छेत्री, अब तक के पाँचवे सबसे अधिक गोल करने वाले और दूसरा संयुक्त-उच्चतम अंतरराष्ट्रीय गोल करने वाले खिलाड़ी हैं। वह भारत से खेले जाने वाले सर्वाधिक कैप्ड खिलाड़ी और अब तक के भारतीय इतिहास में सर्वाधिक गोल करने वाले खिलाड़ी हैं।
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ज्ञात हो कि सुनील छेत्री को बीते वर्ष 2021 में 14 नवंबर को मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार मिला था, इससे पूर्व उन्हें 2019 में पद्मश्री और 2011 में खेल के क्षेत्र में दिए जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार अर्जुन अवार्ड मिल चुका है। ऐसी उपलब्धियां हासिल करने वाले ज्यादातर खिलाड़ी काफी लोकप्रियता हासिल करते हैंl हालांकि, सुनील छेत्री के परिवेश में मामला उलट है। यह भी सर्वविदित है कि सुनील छेत्री को इतनी एड-पीआर उपस्थिति भी नहीं मिली है इसलिए, यह तो परिभाषित हो रहा है कि उनकी उपलब्धियों को देखते हुए उन्हें अबतक कम आंका गया है, जो कि आगामी भविष्य में आने वाले नवीनतम खिलाडियों के उत्साहवर्धन में गिरावट ला सकता है। सौ बात की एक बात यह भी है कि फुटबॉल खेल में सक्रिय और प्रसिद्ध खिलाडियों में सुनील छेत्री एकमात्र खिलाड़ी हैं जिन्होंने वैश्विक पटल में व्यक्तिगत रूप से सबसे अधिक गोल किए हैं। वह विश्व के फुटबॉल खिलाड़ियों के मामले में टॉप 10 में आते हैं, वो भी फीफा- वर्ल्डकप खेले बिना ऐसा करने वाले एकमात्र खिलाड़ी हैं।
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इतने प्रतिभावान होने के बावजूद, सुनील छेत्री वह फुटबॉल खिलाड़ी बनकर रह गए जिनका नाम गुंजयमान तो है पर अब भी उन्हें वैश्विक स्तर पर वो सम्मान और मान्यता नहीं मिलती है जिसके वो वास्तव में हक़दार हैं। कारण यही है कि वो भारतीय होने के कारण अपने मूल को न भूलते हुए भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए खेलते रहे हैं, इसलिए जो सम्मान अन्य खिलाडियों को वैश्विक रूप से मिलता है उससे अबतक सुनील छेत्री को वंचित रखा गया है। निस्संदेह यह उन वैश्विक संस्थानों के लिए शर्म की बात है जिनके चयनितकर्ता देश और जगह देखकर सम्मान देते हैं।