दशकों से काबुल और इस्लामाबाद के बीच संबंध तनावपूर्ण रहे हैं। अब अफगानिस्तान में जब से तालिबान का शासन आया है, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच विवाद एक बार फिर से शुरू हो गया है। ध्यान देने वाली बात है कि पाकिस्तान दुनिया का वो देश रहा है, जो शुरु से ही तालिबान का खुल कर समर्थन करते आ रहा है। लेकिन मौजूदा परिदृश्य में तालिबान द्वारा पाकिस्तान को आंखे दिखाना इस बात की तरफ संकेत देता है कि तालिबान अब पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर नुकसान पहुंचाने में जुट गया है।
इसी बीच खबर है कि तालिबानी लड़ाकों ने पाकिस्तानी सेना को दोनों देशों के बीच सीमा पर सुरक्षा बाड़ा बनाने से रोक दिया है। हालांकि, पाकिस्तान ने अफगानिस्तान की सरकार के विरोध के बावजूद 2,600 किलोमीटर की सीमा के अधिकांश हिस्से पर घेराबंदी कर ली है। जिस क्षेत्र में पाकिस्तान ने घेराबंदी की है, उस क्षेत्र में पहले भी ब्रिटिश काल के दौरान सीमांकन को चुनौती दी गई थी।
दरअसल, नया तालिबान शासन पाकिस्तान द्वारा अफगानिस्तान के साथ साझा की गई 2,600 किलोमीटर लंबी सीमा पर बाड़ लगाने पर आपत्ति जताता रहा है। तालिबान ने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया था कि वह डूरंड रेखा को नहीं मानता है। सितंबर में तालिबान के मुख्य प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने अफगानिस्तान में तालिबान की कार्यवाहक सरकार के गठन के बाद इस बात पर जोर दिया था। दूसरी ओर पाकिस्तान ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए अफगानिस्तान को धमकाया है। पाकिस्तान ने धमकी दी है कि अगर तालिबान सरकार ने डूरंड लाइन पर बाड़ लगाने पर आपत्ति जताई, तो वह डूरंड लाइन के पार अफगानों के पारगमन को रोक देगा।
और पढ़ें: Delhi Dialogue Effect: चीन प्रायोजित पाकिस्तानी पोर्ट को ठेंगा दिखाकर तालिबान ने थामा चाबहार का हाथ!
अफगान सरकार ने कभी भी डूरंड रेखा को नहीं दी है मान्यता
वर्तमान तालिबान शासन सहित किसी भी अफगान सरकार ने कभी भी डूरंड रेखा की वैधता को मान्यता नहीं दी है, जो पहाड़ी इलाकों से होकर गुजरती है और काफी हद तक अराजक है। गौरतलब है कि डूरंड रेखा पश्तूनों को विभाजित करती है और अफगानिस्तान काफी पहले से ही इसके समर्थन में नहीं रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान वर्ष 2017 से अफगानिस्तान के साथ 2600 किलोमीटर लंबी सीमा पर बाड़ लगा रहा है, ताकि पड़ोसी देश के कड़े विरोध के बावजूद आतंकवादी घुसपैठ और तस्करी को समाप्त किया जा सके।
पाकिस्तान द्वारा बाड़ के निर्माण के अलावा, इस परियोजना में सीमा चौकियों और किलों का निर्माण तथा सीमा की रक्षा करने वाले अर्धसैनिक बल, फ्रंटियर कॉर्प्स के नए विंग का निर्माण भी शामिल है। बाड़ का एक बड़ा हिस्सा दुर्गम इलाकों में और कुछ जगहों पर बहुत अधिक ऊंचाई पर बनाया गया है। लगभग 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर की लागत से बाड़ लगाने का काम पूरा होने की उम्मीद है।
और पढ़ें: पाकिस्तान की टेरर लैब में जन्मा तालिबान अब पाकिस्तान को ही दे रहा है झटका
अपने किए पर पछता रहा है पाकिस्तान
बताते चलें कि पाकिस्तान-अफगानिस्तान संबंधों में बाड़ लगाना एक विवादास्पद मुद्दा रहा है, क्योंकि अफगान औपनिवेशिक काल के दौरान किए गए सीमा निर्धारण को सही नहीं ठहराते। हालांकि, पाकिस्तान इस बात पर जोर देता है कि दोनों देशों को अलग करने वाली रेखा, जिसे डूरंड रेखा भी कहा जाता है, वो एक वैध अंतरराष्ट्रीय सीमा है। सीमा की स्थिति पर मतभेद इतने तीव्र रहे हैं कि अतीत में दोनों देशों के सैनिकों के बीच कई घातक संघर्ष हुए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि बाड़ लगाने वाली पाकिस्तानी निर्माण टीमों ने कई मौकों पर आतंकवादियों द्वारा सीमा पार से हमलों का सामना किया है।
इस्लामाबाद को हमेशा से उम्मीद थी कि अफगानिस्तान कब्जाने वाला तालिबान पुराने मामले को सुलझाने में मदद करेगा, लेकिन फिलहाल तो ऐसा कुछ भी होता दिखाई नहीं दे रहा है। पाकिस्तान अपने बुरे कर्म के लिए अब पछ्ता रहा है और अफगानिस्तान का यह बर्ताव उसके लिए गले में फंसी हड्डी के समान हो गया है। तालिबान, पाकिस्तान की आतंकी प्रयोगशालाओं की देन है, लेकिन अब इस्लामाबाद के लिए यह एक गंभीर खतरा बनता जा रहा है।