भारत के पास अपना वर्चस्व स्थापित करने का सुनहरा मौका, दक्षिण-पूर्व एशिया में स्थानांतरित हो रहा है अंतरराष्ट्रीय व्यापार

आर्थिक महाशक्ति बनने के लिए प्रतिबद्ध है भारत!

भारत निर्यात लक्ष्य

Source- TFIPOST

भारत की आर्थिक स्थिति कोरोना महामारी में स्थिर रही, पर एक बड़े आर्थिक जानकर के मुताबिक वैश्विक महामारी कोरोना ने भारत को विश्व व्यापार के संदर्भ  में एक बार पुनः सोचने का अवसर दिया है। भारत ने अगले वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 500 अरब डॉलर के निर्यात का लक्ष्य (India export target for next fiscal) रखा है। बीते दिन शुक्रवार को अतिरिक्त विदेश व्यापार महानिदेशक (DGFT) आमिया चंद्रा ने यह बात कही।

उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी ने देश को विश्व व्यापार के बारे में नए सिरे से सोचने का ‘सबक’ सिखाया है। चंद्रा ने कहा कि “अंतरराष्ट्रीय व्यापार का आधार यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका से दक्षिण-पूर्व एशिया में स्थानांतरित हो गया है।” निश्चित तौर पर यह भारत के लिए आपदा के बाद बड़े स्वर्णिम अवसर के रूप में परिवर्तित हो सकता है, जिसका अंदेशा स्वयं अतिरिक्त विदेश व्यापार महानिदेशक (DGFT) आमिया चंद्रा ने जताया है।

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भारत ने वित्त वर्ष 2022-23 के वित्तीय वर्ष के लिए 500 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निर्यात का लक्ष्य रखा है और यह तभी पूर्ण होगा, जब नए सिरे से पुनर्विचार के द्वार स्वयं वित्त विभागों और संबंधित मंत्रालयों द्वारा खोले जाएं। आमिया चंद्रा ने कहा, “चालू वित्त वर्ष में हम 400 अरब डॉलर का निर्यात लक्ष्य छूने को तैयार हैं। पहले नौ माह में देश का निर्यात 301.38 अरब डॉलर रहा है।”

उन्होंने कहा कि भारत 2027 तक 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के निर्यात का लक्ष्य बना रहा है। निश्चित रूप से कोरोना के बाद भारत को यदि आर्थिक पक्ष को सुदृढ़ करने के लक्ष्य को प्राप्त करना है, तो जिस प्रकार अब अंतरराष्ट्रीय व्यापार का केंद्र यूरोप और अमेरिका से दक्षिण-पूर्व एशिया आ चुका है, भारत को इसका पूर्ण रूप से लाभ उठाने में लेश मात्र भी देरी नहीं करनी चाहिए।

6 FTA को लेकर नई दिशा में काम कर रहा है देश

बंगाल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा आयोजित वेबिनार को संबोधित करते हुए चंद्रा ने आगे कहा कि भविष्य में व्यापार से जुड़े मामलों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और प्रौद्योगिकी के अन्य रूप महत्वपूर्ण हो जाएंगे। उन्होंने कहा, बहुत जल्द MSMEs के लिए अलग से पोर्टल शुरू की जाएगी। गौरतलब है कि भारत 6 FTA अर्थात् 6 नए फ्री ट्रेड अग्रीमेंट को लेकर नई दिशा में अपने कदम बढ़ा रहा है। यह सर्वविदित है कि आने वाला भविष्य AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) पर ही निर्भर होने वाला है और यह खुशकिस्मती की बात है कि भारत पहले से ही AI पक्ष मजबूत करने में प्रयासरत है।

ध्यान देने वाली बात है कि अप्रैल से दिसंबर 2021-22 के बीच निर्यात 49.66 फीसदी बढ़कर 301.38 अरब डॉलर हो गया। आंकड़ों के मुताबिक इस अवधि के दौरान आयात 68.91 फीसदी बढ़कर 443.82 अरब डॉलर हो गया, जिससे व्यापार घाटा 142.44 अरब डॉलर हो गया। वाणिज्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘दिसंबर 2021 में व्यापारिक निर्यात 37.81 अरब डॉलर था, जो दिसंबर 2020 में 27.22 अरब डॉलर था। यह 38.91 फीसदी की सकारात्मक वृद्धि दर्शाता है।“ इसी सार्थक परिणाम के साथ भारत में अप्रैल-दिसंबर निर्यात में करीब 50 फीसदी का उछाल दर्ज़ किया गया है।

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मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट का लक्ष्य $500 बिलियन

ऐसा नहीं है कि भारत हड़बड़ी में 6 FTA समझौतों पर आँख मूंदकर करार कर रहा है, केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने स्पष्ट किया है कि भारत केवल एक समूह में शामिल होने या तत्काल लाभ के लिए मुक्त व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर नहीं कर रहा है। गोयल ने कहा, देश आपसी पहुंच, अच्छी बाजार स्थितियों और माल एवं सेवाओं दोनों में निष्पक्ष व्यापार माहौल की ओर आकांक्षित है। उन्होंने कहा, FTA एक दोतरफा यातायात है, जो परस्पर विश्वास और सुलभ पहुंच से ही संभव है। उल्लेखनीय है कि भारत ने अब तक संयुक्त अरब अमीरात, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के साथ इस तरह के समझौते के लिए बातचीत शुरू की है और कनाडा तथा जीसीसी (खाड़ी सहयोग परिषद) के साथ बातचीत शुरू करने वाला है।

चालू वित्त वर्ष के लिए भारत ने मर्चेंडाइज निर्यात का लक्ष्य 400 बिलियन डॉलर रखा है। वहीं, सर्विस निर्यात का लक्ष्य 250 बिलियन डॉलर है। इस तरह नेट एक्सपोर्ट का लक्ष्य 650 बिलियन डॉलर है। अगले वित्त वर्ष के लिए DGFT ने मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट का लक्ष्य 500 बिलियन डॉलर रखा है। बीते दिनों पीयूष गोयल ने कहा था कि देश के सर्विस एक्सपोर्ट में IT सेक्टर का बड़ा योगदान होगा। उन्होंने तो यहां तक कहा था कि IT सेक्टर की मदद से देश के सर्विस एक्सपोर्ट को आने वाले दिनों में 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाया जा सकता है।

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भारत के लिए स्वर्णिम अवसर!

गौरतलब है कि भारत वैश्विक स्तर पर आर्थिक महाशक्ति बनने के लिए प्रतिबद्ध है, जबकि निर्यात में हुई वृद्धि को बनाये रखने हेतु सरकार द्वारा हर स्तर पर मजबूत और समन्वित नीतिगत कदमों की आवश्यकता है, ताकि इस अवसर का लाभ लिया जा सके। भारत का मजबूत आर्थिक भविष्य आयात-निर्यात के समन्वित बल पर ही संभव है। ऐसे में इन सभी चौतरफा बिंदुओं को देखा जाए, तो यदि भारत इसी दिशा में लगातार प्रयासरत रहा तो देश जल्द ही वैश्विक स्तर पर चीन की जगह ले लेगा। यह भी सर्वविदित है कि भारत पर लगभग सभी विकसित और विकासशील देशों की नजर है, इसलिए मोदी सरकार के हर कदम पर सबकी पैनी निगाहें भी हैं। जानकारों का मानना है कि यह सभी अनुबंध भारत के लिए सकारात्मक भविष्य की नींव रखेंगे। यह भारत के लिए स्वर्णिम अवसर है कि दक्षिण-पूर्व एशिया में स्थानांतरित हो रहे वैश्विक व्यापार को लेकर सकारात्मक रुप दिखाए और विश्व पटल पर अपना वर्चस्व स्थापित करे!

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