शिवसेना का भाजपा से नाता तोड़ने का नतीजा महाराष्ट्र नगर पंचायत चुनाव में हुआ स्पष्ट

भाजपा ने दिखाया दम, गठबंधन पर आश्रित नहीं हैं हम!

महाराष्ट्र के निकाय चुनावों में
मुख्य बिंदु

गठबंधन और प्रबंधन की राजनीति देश को विध्वंस और पतन की ओर ले जाती है। गठबंधन अगर विचारों और सिद्धांतों के विपरीत हो तो जनता को यह समझ लेना चाहिए कि जिस दल को वो मत देने वाले हैं, उनके लिए चुनाव का अर्थ सिर्फ सत्ता संघर्ष है। लोकतंत्र की विडंबना भी यही है। यह जानते हुए की जनता किसके पक्ष में है, सरकार वही बनता है, जिसके पास बहुमत है। महाराष्ट्र में यही हो रहा है। इस स्थिति से जो व्यक्ति सबसे ज्यादा व्यथित होंगे वो हैं- स्वर्गीय बालासाहब ठाकरे। जिस हिन्दू हृदय सम्राट ने चुनाव को सेवा समझा और सत्ता की गद्दी को चिमटे से भी नहीं छुआ आज उन्हीं का बेटा हिन्दू विरोधियों की गोद में सत्ता के लिए बैठा हुआ है।

निकाय चुनावों में MVS गठबंधन का लहरा परचम

खैर, महा विकास अघाड़ी (MVS) गठबंधन महाराष्ट्र के निकाय चुनावों में सबसे अधिक सीट जीतने वाले गठबंधन के रूप में उभरी है जबकि भाजपा ने सबसे बड़ी पार्टी की स्थिति को बरकरार रखा है। राज्य चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, शहरी स्थानीय निकायों की 1,649 सीटों में से बीजेपी को 384 सीटें मिली हैं जबकि NCP को 344, कांग्रेस को 316 और शिवसेना को 284 सीटें मिली हैं। इससे पता चलता है कि महाविकास अघाड़ी को कुल 944 सीटें मिली हैं। शहरी स्थानीय निकायों में NCP को सबसे ज्यादा फायदा हुआ है जबकि शिवसेना को 284 सीटों के साथ सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। पार्टी से सीएम होने के बावजूद शिवसेना महाराष्ट्र स्थानीय निकाय चुनावों में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाई।

चुनाव की एक और खास बात यह थी कि राकांपा विधायक रोहित पवार ने कर्जत की 17 में से 15 सीटों पर अकेले दम पर जीत हासिल की। एक भाजपा बहुल निर्वाचन क्षेत्र में रोहित पवार ने शहर के राजनीतिक परिदृश्य को बदलने के लिए कड़ी मेहनत की। इसी तरह की सफलता की कहानी दिवंगत गृह मंत्री और राकांपा के आम चेहरे आर.आर. पाटिल के बेटे रोहित पाटिल की है, जिन्होंने कवठे-महाकाल के 17 में से 10 सीटों पर कड़ा प्रचार किया और जीत हासिल की।

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भाजपा ने अकेले दम पर हासिल की जीत

विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि धन और बाहुबल के दुरुपयोग के बावजूद भगवा पार्टी महाराष्ट्र के निकाय चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। उन्होंने कहा कि भाजपा एक बार फिर महाराष्ट्र में ‘नंबर वन’ पार्टी है। पूर्व सीएम ने कहा, “लोगों ने फिर से बीजेपी के काम और पीएम नरेंद्र मोदी के मजबूत नेतृत्व पर भरोसा किया है।” राकांपा प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक ने कहा कि एक बार फिर MVS को सबसे ज्यादा सीटें मिली हैं।

मलिक ने कहा, “शहरी स्थानीय निकाय चुनाव परिणाम स्थापित करता है कि महाराष्ट्र के लोग महा विकास अघाड़ी के पक्ष में हैं। यह हमारे अच्छे काम की रसीद है।” वहीं, NCP के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने कहा, “हमारा नेतृत्व लगातार आम आदमी से संवाद कर रहा है, फीडबैक ले रहा है और लोकोन्मुखी कार्यों पर ध्यान दे रहा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि वे नतीजों से खुश हैं।”

97 नगर पंचायत के नतीजे में से NCP ने सबसे ज्यादा 27 नगर पंचायत हासिल किए, उसके बाद बीजेपी को 22, कांग्रेस को 21 और शिवसेना को 17 पर जीत मिली। स्थानीय गठबंधन और अन्य ने दस स्थानों पर जीत हासिल की। मराठवाड़ा की 22 नगर पंचायतों में से बीजेपी ने छह, शिवसेना ने चार, कांग्रेस ने तीन और राकांपा ने दो पर जीत हासिल की। इसे राकांपा के कद्दावर नेता और मंत्री धनंजय मुंडे के लिए झटका माना जा रहा है, जिन्हें उनकी चचेरी बहन और भाजपा नेता पंकजा मुंडे के खिलाफ खड़ा किया गया था। भाजपा अकेले दम पर यह जीत हासिल कर सबसे बड़ी पार्टी बनी है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति जनता के विश्वास का सूचक है और हो सकता है कि भाजपा आगामी विधानसभा चुनाव अकेले दम पर लड़े।

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