मुख्य बिंदु
- हेनले पासपोर्ट इंडेक्स में भारतीय पासपोर्ट की 83वीं रैंक
- रिपोर्ट के अनुसार, जापान और सिंगापुर वर्ष 2022 के लिए दुनिया के सबसे शक्तिशाली पासपोर्ट होने की सूची में शीर्ष पर हैं
- भारतीय पासपोर्ट धारकों को अब कुल 59 देशों में वीजा-फ्री यात्रा की अनुमति, पहले 58 देशों में थी यात्रा की अनुमति
भारतीय पासपोर्ट विश्व के अन्य पासपोर्टों से अधिक प्रभावी है किन्तु इसकी निम्न रैंकिंग के लिए जनसांख्यिकी (Demography) को दोषी ठहराया जाना चाहिए। भारत में नरेंद्र मोदी सरकार के निरंतर प्रयास के साथ अधिक से अधिक राजनयिक संबंध स्थापित करने के लिए दुनिया भर के देश भारत को अपनी ओर लाभाविन्त कर रहे हैं। वर्ष 2021 की तुलना में इस तिमाही (2022) में भारत की पासपोर्ट रैंकिंग में सुधार हुआ है। बता दें कि हेनले पासपोर्ट इंडेक्स दुनिया के कुल 199 देशों की रैंकिंग जारी करता है।
हेनले पासपोर्ट इंडेक्स में भारतीय पासपोर्ट की 83वीं रैंकिंग
दरअसल, हेनले पासपोर्ट इंडेक्स में भारतीय पासपोर्ट 83वें स्थान पर है, जो पिछले साल 90वें स्थान पर था। हालांकि, 2020 में इसकी रैंक 84 थी, जबकि 2016 में भारत माली और उज्बेकिस्तान जैसे देशों के साथ 85वें स्थान पर था। वहीं, हेनले पासपोर्ट इंडेक्स में जापान और सिंगापुर शीर्ष पर है। वर्तमान रैंकिंग 2022 की पहली तिमाही की है, जिसमें भारत मध्य अफ्रीका में साओ टोम और प्रिंसिपे जैसे देशों के साथ रैंकिंग साझा करता है।
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बता दें कि 2005 के बाद से, हेनले पासपोर्ट इंडेक्स दुनिया के पासपोर्टों को उन गंतव्यों की संख्या के आधार पर रैंक निर्धारित करता है, जहां उनके धारक बिना पूर्व वीजा के पहुंच सकते हैं। यह रैंक इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) के डेटा पर आधारित है। पासपोर्ट की रैंकिंग के लिए कई कारकों को ध्यान में रखा जाता है, जिसमें पासपोर्ट धारक को आगमन पर वीजा, आगंतुक(visitors) का परमिट या गंतव्य में प्रवेश करते समय इलेक्ट्रॉनिक यात्रा प्राधिकरण (ETA) प्राप्त होता है। भारत के पास अब ओमान और आर्मेनिया के नवीनतम परिवर्धन (Latest Additions) के साथ दुनिया भर में 60 गंतव्यों के लिए वीजा-फ्री पहुंच है। भारत ने 2006 के बाद से 35 और वीजा-फ्री गंतव्य जोड़े हैं।
भारतीय पासपोर्ट धारक कर सकते हैं 59 से अधिक देशों की यात्रा
Henley & Partners के एक बयान में कहा गया है कि “2006 में एक व्यक्ति औसतन 57 देशों में वीजा-फ्री यात्रा कर सकता था। आज, यह संख्या बढ़कर 107 हो गई है, लेकिन यह समग्र वृद्धि विश्व स्तर पर उत्तरी धुरी के देशों और दक्षिण धुरी के देशों के बीच बढ़ती असमानता को दर्शाती है।” उदहारण के तौर पर स्वीडन और अमेरिका जैसे देशों के नागरिक 180 से अधिक गंतव्य पर नि: शुल्क-वीजा के साथ जाने में सक्षम है।
वहीं, भारतीय पासपोर्ट धारक बिना पूर्व वीजा के 59 से अधिक देशों की यात्रा कर सकते हैं, जिनमें ओमान, थाईलैंड, मॉरीशस, मालदीव, फिजी, भूटान, फिजी, श्रीलंका, नेपाल, ईरान, सेशेल्स, हांगकांग, वियतनाम, तुर्की, मकाऊ, कंबोडिया, लाओस, इंडोनेशिया, कुक आइलैंड्स, बोलीविया, आर्मेनिया, जॉर्डन, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स , त्रिनिदाद और टोबैगो, आइवरी कोस्ट, म्यांमार और अन्य कुछ ऐसे देश हैं, जो भारतीय पासपोर्ट धारकों के लिए आगमन पर वीजा प्रदान करते हैं। हालांकि, पिछले साल भारत का पासपोर्ट 90वें स्थान पर था तब इससे कुल 58 देशों में वीजा-फ्री यात्रा की अनुमति थी।
पहले की तुलना में अधिक भारतीय अब जाते हैं विदेश
रिपोर्ट के अनुसार, जापान और सिंगापुर वर्ष 2022 के लिए दुनिया के सबसे शक्तिशाली पासपोर्ट होने की सूची में शीर्ष पर हैं। दोनों देशों का वीजा-फ्री स्कोर 192 है। जर्मनी और दक्षिण कोरिया का पासपोर्ट दुनिया का दूसरे सबसे शक्तिशाली पासपोर्ट है जबकि फिनलैंड, लक्जमबर्ग, स्पेन और इटली तीसरे स्थान पर है। हेनले पासपोर्ट इंडेक्स सूची में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, नीदरलैंड, फ्रांस, स्वीडन पांचवें स्थान पर हैं। वहीं, अमेरिका और ब्रिटेन छठे स्थान पर हैं। इस बीच, अफगानिस्तान (रैंक 111) और इराक (रैंक 110) क्रमशः 26 और 28 के वीज़ा-मुक्त स्कोर वाले ‘सबसे खराब पासपोर्ट टू होल्ड’ श्रेणी के देश हैं। पाकिस्तान का पासपोर्ट (रैंक 108) सबसे खराब या कम से कम शक्तिशाली पासपोर्ट है।
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अगर बात करें भारतीय पासपोर्ट की विश्व में मान्यता की, तो पहले की तुलना में अधिक भारतीय विदेश जाते हैं, जिनमें छात्रों (शिक्षा के लिए)और पर्यटकों की संख्या सबसे अधिक है। गौरतलब है कि भारतीय पासपोर्ट को लेकर कुछ समस्याएं है, जिसमें सुधार करने की जरुरत है। बताते चलें कि देश से अधिक संख्या में भारत के छात्र उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाते हैं और विश्व के बड़े से बड़े कंपनियों में कई भारतीय उच्च पद पर हैं। वहीं, कुछ छात्रों से इतर कुछ लोग रोजगार के उद्देश्य से विदेश जाते हैं, जिनकी संख्या करीबन 30 फीसदी है। ऐसे में, इन्हीं 30 फीसदी में से कुछ लोग बाहर जाकर आतंकवाद (खालिस्तान और इस्लामिक कट्टरपंथ ISIS) और आपराधिक गतिविधि में शामिल हो जाते हैं, जिसके कारण देश की छवि धूमिल होती है और भारतीय पासपोर्ट की रैंकिंग में भी गिरावट होती है।