कम्युनिस्टों को सत्ता से बाहर किया, तो 3 साल के भीतर मिला महाराजा बीर बिक्रम एयरपोर्ट टर्मिनल

विकास पहुंचा त्रिपुरा!

महाराजा बीर बिक्रम एयरपोर्ट टर्मिनल

इस देश में अब भी कुछ ऐसे लोग हैं जिन्हे स्वतंत्रता के पश्चात के 7 दशक बाद भी ये आभास नहीं होने दिया गया कि वे भारत का हिस्सा हैं। उन्हें भारत के भूगोल का भाग होते हुए भी भारत से अलग रखा गया और 2018 तक तो उनके आधिकारिक सदन में भारत का राष्ट्रगान भी नहीं बजता था। परंतु अब ऐसा और नहीं चलेगा। हाल ही में महाराजा बीर बिक्रम एयरपोर्ट के अंतर्राष्ट्रीय टर्मिनल का अनावरण हुआ है, जिसमें आज स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाग लिया। यूं तो यह एयरपोर्ट 1945 में ही बन चुका था, परंतु इसे पूर्णतया विकसित नहीं किया गया था। अब यह एक विश्व स्तरीय एयरपोर्ट है, जो दक्षिण एशिया और सिंगापुर जैसे देशों से फ़्लाइट्स सुनिश्चित कराएगा और त्रिपुरा को भारत से और बेहतर तरीके से भी जोड़ेगा l

त्रिपुरा में भाजपा के आगमन के लगभग 4 वर्ष बाद जाकर उसे अपना पहला अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट मिला है। परंतु त्रिपुरा की राज्य के रूप में स्थापना तो 1972 में हुई थी, तो इतना समय क्यों लगा? कारण स्पष्ट है– अकर्मण्यता और भ्रष्टाचार, जिसके लिए कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी समान रूप से दोषी हैं।

त्रिपुरा को किस प्रकार से उसकी मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखा गया, इसका अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं कि स्वतंत्रता के वर्षों बाद तक, इस राज्य में राजधानी अगरतला तक जाने के लिए अनुकूल सड़कें नहीं थी। लगभग 20 वर्ष तक कम्युनिस्ट पार्टी के माणिक सरकार का शासन था, जिन्हे देश का ‘सबसे सिम्पल’ और निर्धन मुख्यमंत्री कहा जाता है, क्योंकि वह अपना सारा वेतन पार्टी फंड में जमा करते थे और केवल 5000 रुपये प्रतिमाह में काम चलाते थे लेकिन राज्य में लेनिन की मूर्तियों पर कोई रोक नहीं थी।

2018 में भाजपा की प्रचंड विजय के पश्चात जब बिप्लब कुमार देब ने सत्ता संभाली, तो उन्होंने न केवल राजनीतिक, अपितु सांस्कृतिक और मूलभूत परिवर्तन की ओर भी अपने कदम बढ़ाए। चाहे लेनिन की मूर्तियाँ हटवानी हो, अनानास के एक्स्पोर्टस के लिए जलमार्ग खोलना हो, या फिर राज्य में सांस्कृतिक पुनरुत्थान को बढ़ावा देना हो, बिप्लब कुमार देब हर मोर्चे पर एक कदम आगे निकले। मीडिया ने उन्हे नीचा दिखाने के कई प्रयास किए, कई बार उनका उपहास भी उड़ाया, परंतु वे टस से मस नहीं हुए।

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लेकिन बिप्लब कुमार देब की अग्निपरीक्षा हुई 2021 के त्रिपुरा हिंसा में, जब बांग्लादेशी हिंदुओं पर अत्याचार को लेकर विश्व हिन्दू परिषद ने पानीसागर में विरोध प्रदर्शन किया। इसे लेकर कट्टरपंथी मुसलमानों ने आपत्ति जताई और उपद्रव भी फैलाया। परंतु जब वामपंथियों ने मुसलमानों के बचाव में अफवाहें फैलाई और राज्य को हिंसा की आग में झोंकने का प्रयास किया, तो मानो योगी आदित्यनाथ मोड में आते हुए बिप्लब देब ने त्रिपुरा पुलिस को खुली छूट भी दी, और परिणाम सबके सामने है।

ऐसे में आज जब महाराजा बीर बिक्रम एयरपोर्ट टर्मिनल का नया स्वरूप सबके समक्ष आया है, तो उसे देख न केवल मन प्रफुल्लित होता है, अपितु इस बात पर भी गर्व होता है कि कैसे त्रिपुरा बदल रहा है और सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। इसी प्रगति के लिए तो त्रिपुरा वर्षों से प्रतीक्षा कर रहा था, और अब वो समय आ चुका है।

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