उद्धव ने अपने पिता बाल ठाकरे को बताया ‘ए मैन विदाउट विज़न’

पुत्र ने अपने पिता की इज्जत मिट्टी में मिला दी!

उद्धव ठाकरे पिता
मुख्य बिंदु

“जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है!” हिंदी की इस पंक्ति का सबसे सटीक उदाहरण कौन है? इसका सबसे बढ़िया उदाहरण है, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे। अपने कभी सुना है कि कोई पुत्र अपने पिता के ही फैसले को झूठा करार करे? दरअसल, उद्धव ठाकरे ने अपने पिता के ही फैसले को गलत करार दिया है।

अपनी पार्टी (शिवसेना) द्वारा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन तोड़ने का फैसला करने के दो साल बाद, महाराष्ट्र के CM और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बीते रविवार को कहा कि उनका अब भी मानना ​​है कि उनकी पार्टी ने भाजपा के साथ गठबंधन के तहत 25 साल बर्बाद किए हैं। मुख्यमंत्री ठाकरे ने पार्टी संस्थापक और उनके पिता बालासाहेब ठाकरे की 96वीं जयंती के अवसर पर वर्चुअल मोड के माध्यम से पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए शिवसेना के पूर्व गठबंधन सहयोगी, भाजपा के बारे में तीखी टिप्पणी की।

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भाजपा के खिलाफ CM उद्धव ने उगला जहर

उद्धव ठाकरे ने कहा,शिवसेना ने 25 साल तक भाजपा के साथ अपना समय बर्बाद किया, मेरी एकमात्र निराशा यह है कि एक समय में, वे हमारे दोस्त थे। हमने उनका पालन-पोषण किया। जैसा कि मैंने पहले कहा था, भाजपा के साथ गठबंधन में हमारे 25 साल बर्बाद हो गए।” यह कहते हुए कि शिवसेना ने अपने हिंदुत्व के रुख को नहीं छोड़ा। CM ठाकरे ने आगे कहा, “शिवसेना प्रमुख ने हमें हिंदुत्व के बारे में बताया था। हम हिंदुत्व के लिए ताकत चाहते थे। अब हम जो देख रहे हैं, वह हिंदुत्व जो इन लोगों (भाजपा) द्वारा अभ्यास किया जाता है, केवल एक दिखावा है। उनका हिंदुत्व सत्ता के लिए है। उन्होंने केवल हिंदुत्व की नकली पहचान गढ़ रखी है। लोग हमसे पूछते हैं कि क्या हमने हिंदुत्व छोड़ दिया है लेकिन हमने हिंदुत्व नहीं बल्कि बीजेपी छोड़ी है। बीजेपी का मतलब हिंदुत्व नहीं है।”

गौरतलब है कि अपने पिता बालासाहेब ठाकरे के जयंती पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भाजपा के खिलाफ खूब जहर उगला। CM ठाकरे ने बीजेपी पर यह आरोप लगाया है कि वह सत्ता हासिल करने के लिए क्षेत्रीय पार्टियों से गठजोड़ कर रही है। मुख्यमंत्री ठाकरे ने कहा, “भाजपा का सिद्धांत यूज एंड थ्रो की नीति है। याद है वो दिन जब चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी अपनी जमानत खो देते थे? उस समय उन्हें हमारी जरूरत थी और इसलिए उन्होंने क्षेत्रीय दलों, हमारे साथ, अकाली दल और टीएमसी के साथ गठबंधन किया। उन्होंने सबको साथ लिया और वाजपेयी ने सरकार बनाई। हमने उनका तहे दिल से समर्थन किया लेकिन अब ये नव-हिंदुत्ववादी हिंदुत्व का इस्तेमाल सिर्फ अपने फायदे के लिए कर रहे हैं।”

CM उद्धव ने कहा…

बता दें कि हाल ही में अमित शाह ने शिवसेना को चुनौती देते हुए कहा था कि शिवसेना अकेले चुनाव लड़कर दिखाए। अकेले चुनाव लड़ने की गृह मंत्री अमित शाह की चुनौती का जवाब देते हुए CM ठाकरे ने कहा, “हम अकेले लड़ने के लिए तैयार हैं लेकिन मेरी शर्त है कि आप सरकार के रूप में अपनी शक्ति का उपयोग न करें। हम भी अपनी शक्ति का प्रयोग नहीं करेंगे। चलो दो राजनीतिक दलों के रूप में लड़ते हैं। ईडी, इनकम टैक्स का इस्तेमाल करना उचित नहीं है।” मालूम हो कि महाराष्ट्र में आये दिन अलग-अलग जगह छापे पड़ रहे हैं।

CM उद्धव ठाकरे ने अपने ही पिता के फैसले को गलत ठहराया 

बताते चलें कि बाल ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना ने 1989 में लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा के साथ गठबंधन शुरू किया था। हालांकि, 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद शिवसेना द्वारा CM पद की मांग के कारण गठबंधन टूट गया। लेकिन पूरे देश में राजनीतिक उदय के लिए दोनों पार्टी एक दूसरे की सहायक रही हैं। वहीं, खुद भाजपा आज भी बालासाहेब ठाकरे को आदर्श बताती रही है।

वहीं, उद्धव ठाकरे की टिप्पणी से नाराज भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, “बालासाहेब ठाकरे की जयंती पर उनके (गठबंधन) फैसले पर सवाल उठाना सच्ची श्रद्धांजलि नहीं बल्कि उनका अपमान है।” ठाकरे की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए, भाजपा के तेजिंदर सिंह बग्गा ने भी कहा, “यह पहली बार है जब मैंने किसी को बालासाहेब ठाकरे के फैसले पर उंगली उठाते देखा है।”

सत्ता के लोभ में अपने संस्कारों से भी नाता तोड़ा 

भाजपा नेता राम कदम ने कहा, “हिंदुत्व पर व्याख्यान देने से पहले, उद्धव ठाकरे को आत्मनिरीक्षण करना चाहिए कि क्या शिवसेना दिवंगत बाल ठाकरे की विचारधारा का पालन कर रही है, जिन्होंने कहा था कि राजनीति और जीवन में, उनकी पार्टी कभी भी कांग्रेस में शामिल नहीं होगी और अगर ऐसी परिस्थितियाँ आती हैं, तो वह पार्टी (कार्यालय) को बंद करना पसंद करेंगे।”

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शिवसेना और भाजपा में चल रही वैचारिक जंग के बीच संजय राउत भी कूद पड़े। शिवसेना नेता संजय राउत ने बीते सोमवार को कहा, “हम महाराष्ट्र में बीजेपी को नीचे से ऊपर तक ले गए। बाबरी के बाद उत्तर भारत में शिवसेना की लहर थी, अगर हम उस समय चुनाव लड़ते तो देश में हमारा (शिवसेना) पीएम होता लेकिन हमने इसे छोड़ दिया।” ऐसे में, यह सर्वविदित है कि बालासाहेब ठाकरे ने कई बार मुख्यमंत्री का पद ठुकराया है क्योंकि वह इसके लिए इक्छुक नहीं थे। वहीं, उनके पुत्र उद्धव ठाकरे द्वारा अपने ही पिता के फैसलों को गलत ठहराना स्पष्ट करता है कि उद्धव ठाकरे सत्ता के लोभ में अपने संस्कारों से भी नाता तोड़ चुके हैं।

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