PLI योजना के तहत भारतीय विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देंगे Samsung और Apple

मेड इन इंडिया स्मार्टफोन की आएगी बाढ़!

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भारत का स्मार्टफोन मार्केट कितना विशाल है, ये बात किसी से छिपी नहीं है और मोदी सरकार इस तथ्य को अच्छे से जानती है। यही कारण है देश में ‘मेक इन इंडिया’ मुहिम शुरु की गई थी। इस योजना का मतलब है भारत में बनाइए, और फिर भारत या विश्व के किसी भी कोने में बेचिए। साथ ही भारत सरकार ने घरेलू स्तर पर उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा देने तथा देश-विदेश की तमाम कंपनियों को भारत में सामान बनाने हेतु आकर्षित करने के उद्देश्य से PLI योजना की भी शुरुआत की, जिसके तहत कंपनियों को इंसेटिव दी जा रही है। इसी बीच खबर है कि मशहूर अमेरिकी कंपनी ऐप्पल (Apple) और सैमसंग (Samsung) FY22 में सरकार की उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना के तहत लगभग 5 अरब डॉलर (37,000 करोड़ रुपये) के स्मार्टफोन का निर्माण करने के लिए तैयार हैं। यह केंद्र द्वारा निर्धारित लक्ष्य से 50% अधिक है। इससे ‘मेक इन इंडिया’ योजना को गति मिलेगी।

Foxconn और Wistron को मिलेगा प्रोत्साहन

इकॉनोमिक टाइम्स के अनुसार, ‘वित्त वर्ष 2022-23 में ऐप्पल और सैमसंग के 5 अरब डॉलर (करीब 37,000 करोड़ रुपये) के स्मार्टफोन बनाने की संभावना है। भारत में ऐप्पल के दो मुख्य अनुबंध निर्माता Foxconn और Wistron को इस साल पहली बार PLI प्रोत्साहन मिलेगा। तीसरे Apple असेंबलर Pegatron के इस साल उत्पादन शुरू होने की संभावना है।’ सैमसंग, जिसकी नोएडा में अपनी उत्पादन सुविधा है, PLI योजना के लिए नया नहीं है। यह वास्तव में प्रशंसनीय है कि कंपनियां वैश्विक चिप की कमी और महामारी से प्रेरित आपूर्ति-श्रृंखला बाधाओं के बावजूद PLI योजना के लक्ष्यों को पूरा करने में सफल रहीं।

दूसरी ओर News agency IANS के अनुसार India Cellular and Electronics Association के अध्यक्ष पंकज मोहिंद्रू ने कहा, Global Value Chains (जीवीसी) फर्मों ने धमाकेदार शुरुआत की है। उन्होंने कहा, भारत स्थित लावा, Dixon टेक्नोलॉजीज और UTL जैसे निर्माताओं ने भी अच्छा प्रदर्शन किया है, जबकि Opteimus और Bhagwati जैसे अनुबंध निर्माता भी आगे बढ़ रहे हैं।

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2021 में कई देशों में हुआ ‘मेक इन इंडिया’ आईफोन का निर्यात

आपको बता दें कि PLI योजना का स्पष्ट उद्देश्य भारत में मोबाइल फोन निर्माण को गति प्रदान करना और इसे स्मार्टफोन के लिए उत्पादन केंद्र बनाना है। यह प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया योजना का हिस्सा है, जहां कंपनियों को पांच साल की अवधि में स्थानीय स्तर पर उत्पादित माल की अतिरिक्त बिक्री पर 4 फीसदी से 6 फीसदी के बीच लाभ होता है। प्रोत्साहन के लिए पात्र होने के लिए उत्पादन लक्ष्यों की सीमा पहले वर्ष में आधार वर्ष में निर्धारित 4,000 करोड़ रुपये, दूसरे में 8,000 करोड़ रुपये, तीसरे में 15,000 करोड़ रुपये, चौथे में 20,000 करोड़ रुपये और पांचवें वर्ष में 25,000 करोड़ रुपये है।

भारत सरकार के एक पैनल ने सितंबर 2020 में इन स्मार्टफोन निर्माताओं को भारत से लगभग 100 बिलियन डॉलर (7.3 लाख करोड़ रुपये) के मोबाइल फोन निर्यात करने के आवेदनों को मंजूरी दी थी। मार्केट रिसर्च फर्म CMR के आंकड़ों के हवाले से INS की रिपोर्ट में कहा गया है कि “2021 में ‘मेक इन इंडिया’ आईफोन का निर्यात करने वाले शीर्ष देशों में UK (27%), जापान (24%), नीदरलैंड (23%) शामिल थे। इसमें जर्मनी (7%), इटली (4%), तुर्की (4%) और संयुक्त अरब अमीरात (2%) भी शामिल है । वहीं, भारत से सैमसंग का निर्यात संयुक्त अरब अमीरात (47%), रूस (12%), दक्षिण अफ्रीका (7%), जर्मनी (5%), मोरक्को (4%) और UK (3%) को हुआ है।”

भारत में असेंबल हो रहा है iPhone 13

ध्यान देने वाली बात है कि Apple ने अब भारत में अपने नए फ्लैगशिप iPhone 13 को असेंबल करना शुरू कर दिया है। iPhone 13 को चेन्नई में फॉक्सकॉन प्लांट में परीक्षण के आधार पर असेंबल किया जा रहा है और यह घरेलू बाजार में उपलब्ध होगा, साथ ही अगले साल की शुरुआत में देश से निर्यात के लिए भी उपलब्ध होगा। यह कथित तौर पर चीन पर अपनी निर्भरता को समाप्त करने के लिए भारत और वियतनाम में iPhones, iPads, Mac और अन्य उपकरणों के उत्पादन में तेजी ला रहा है। टेक दिग्गज पहले से ही अपने सबसे ज्यादा बिकने वाले मॉडल iPhone 12, iPhone 11 और XR को iPhone SE, 7 और 6S के साथ भारत में असेंबल कर रही है। देश को उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में भारत से निर्यात और बढ़ेगा। सैमसंग और ऐप्पल के मैन्युफैक्चरिंग पार्टनर्स ने PLI स्कीम के तहत निवेश किया है और दोनों ही भारत से मोबाइल फोन का निर्यात करना जारी रखेंगे।

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विश्व बैंक को भी है मोदी सरकार के PLI पर विश्वास

आपको बता दें कि भारत में कोविड-19 की दूसरी लहर के बाद, भारत सरकार ने अप्रैल 2020 में बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (PLI) की घोषणा की। असेम्ब्लिंग, टेस्टिंग, मार्किंग और पैकेजिंग (एटीएमपी) सुविधाओं के साथ-साथ घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इसकी शुरुआत की गई है। PLI योजना के शुभारंभ से वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में भारत की भागीदारी और प्रगति को बढ़ावा मिला है।

गौरतलब है कि भारत एक विकासशील अर्थव्यवस्था के रूप में, चीन द्वारा छोड़े गए बाजार की कमी को भरने की क्षमता रखता है। सरकार Global Technology Supply Chain में आगे बढ़ने की कोशिश करने के लिए सभी विकल्पों पर सक्रिय रूप से विचार कर रही है। कुछ पूर्वानुमानों के अनुसार, अगले वित्त वर्ष में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण व्यवसाय में 30% की वृद्धि होने का अनुमान है, जो 7 लाख करोड़ रुपये के मूल्य तक पहुंच जाएगा। वर्तमान में इस क्षेत्र का मूल्य लगभग 5.3 लाख करोड़ रुपये है। साथ ही, विश्व बैंक का अनुमान है कि मोदी सरकार की प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत की अर्थव्यवस्था को 8.7% की दर से विकसित करने में मदद करेगी, जो चीन जैसे उभरते बाजार प्रतिद्वंद्वियों से बेहतर प्रदर्शन करेगी।

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