मुख्य बिंदु
- कर्नाटक के उडुपी में मुस्लिम छात्राओं को कक्षा में हिजाब ना पहनने को लेकर मामला आया सामने
- छात्राओं ने किया प्रदर्शन और कहा, हिजाब पहनना हमारा मौलिक अधिकार है और कॉलेज के अधिकारियों को हमें रोकना नहीं चाहिए
- कर्नाटक के प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री बी.सी. नागेश ने पूरे प्रकरण को राजनीतिक करार दिया
कर्नाटक के उडुपी के महिला सरकारी पीयू कॉलेज की आठ छात्राओं को कक्षा के अंदर हिजाब पहनने की जिद पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। बीते गुरुवार को छात्राएं अपने कॉलेज के गेट के बाहर तख्तियां लेकर न्याय की गुहार लगा रही थी। इन छात्राओं में से एक हाजरा ने कहा, “हिजाब पहनना हमारा मौलिक अधिकार है और कॉलेज के अधिकारियों को हमें रोकना नहीं चाहिए।”
हिजाब मामले पर कर्नाटक के शिक्षा मंत्री का बयान
दरअसल, लड़कियों ने कहा कि उन्हें 31 दिसंबर से कक्षाओं में जाने की अनुमति नहीं दी गई है। वहीं, बेंगलुरु में प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री बी.सी. नागेश ने पूरे प्रकरण को राजनीतिक करार दिया। इस बात पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि “स्कूल और कॉलेज धर्म का पालन करने के लिए जगह नहीं हैं, उन्होंने छात्रों से स्कूल और कॉलेज के वर्दी के संबंध में नियमों का पालन करने के लिए कहा, जिनका पालन 1985 से किया जा रहा है।”
उन्होंने कहा, “संस्था में सौ से अधिक मुस्लिम बच्चे पढ़ रहे हैं, जिन्हें कोई समस्या नहीं है। केवल कुछ ही छात्र विरोध करने का विकल्प चुन रहे हैं। स्कूलों और कॉलेजों को धार्मिक केंद्रों में नहीं बदलना चाहिए।” उन्होंने यह भी कहा कि “कक्षा में हिजाब पहनना अनुशासनहीनता होगी क्योंकि अन्य छात्र इसी तरह की रियायतों की अपेक्षा कर सकते हैं।”
बी. सी. नागेश ने आगे कहा, “कुछ लोग 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले इस मुद्दे का राजनीतिकरण कर रहे हैं।” कुछ लोगों से उनका मतलब PFI से जुड़े कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया के लोगों से है, जो इन छात्रों का समर्थन कर रहे हैं। बेंगलुरु में प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री और कॉलेज प्रशासन दोनों का कहना है कि यह कदम छात्रों के साथ-साथ उनके पहचान के उद्देश्य हेतु एकरूपता सुनिश्चित करने के लिए है।
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अधिकारियों ने की छात्रों के साथ चर्चा
यह उनके अधिकारों का उल्लंघन है और उन्हें पहले भी इसी तरह के भेदभाव का सामना करना पड़ रहा था क्योंकि उन्हें उर्दू में भी बोलने की अनुमति नहीं थी। आपको बता दें कि पिछले तीन सप्ताह से इन छात्रों को कक्षाओं के अंदर नहीं जाने दिया जा रहा है और उन्हें अनुपस्थित चिह्नित किया जा रहा है। वे छात्र कॉलेज आते रहे हैं किंतु उन्हें कक्षा के बाहर प्रतीक्षा करनी पड़ती है, जिसका कारण है कि उन्हें हिजाब पहनकर कक्षाओं में जाने की अनुमति नहीं दी गई है।
वहीं, इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए, गांधीवादी सेंटर फॉर फिलॉसॉफिकल आर्ट्स एंड साइंसेज (MAHE) मणिपाल के निदेशक, प्रोफेसर वरदेश हिरेगंगे ने महसूस किया कि हिजाब पहनने पर जब तक छात्र का चेहरा दिखाई देता है, उसे नियमों के खिलाफ नहीं माना जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “हिजाब एक धार्मिक मजबूरी हो सकती है, इसलिए किसी के धार्मिक विश्वास में घुसपैठ करना सही नहीं है। इसके अलावा, ऐसे कई अन्य धर्म हैं, जैसे कि सिख पगड़ी पहनते हैं।”
इस बीच कर्नाटक के उडुपी के उपायुक्त कूर्मा राव एम के निर्देश पर कुंडापुरा अनुमंडल सहायक आयुक्त बीते बुधवार को कॉलेज पहुंचे थे और डीडीपीयू मारुति व कॉलेज प्राचार्य रुद्र गौड़ा के साथ बैठक की थी। अनुमंडल सहायक ने कॉलेज विकास समिति के सदस्यों और प्रदर्शन कर रहे छात्रों से भी बातचीत की थी। बताते चलें कि हिजाब एक कपड़ा होता है, जिससे मुस्लिम महिलाएं अपना सिर और गर्दन ढकती हैं, लेकिन महिला का चेहरा दिखता रहता है। इस्लामिक परंपराओं के अनुसार हिजाब पहनने वाली महिलाओं के बालों को पूरी तरह से ढका होना चाहिए।