अमेरिका एक बड़े रक्त संकट से जूझ रहा है जबकि न्यूयॉर्क टाइम्स भारत को शर्मसार करने में व्यस्त है

आग लगी बस्ती में, न्यूयॉर्क टाइम्स मस्ती में!

न्यूयॉर्क टाइम्स कोरोना

मुख्य बिंदु

जब भारत कोरोना से जंग लड़ रहा था, तब एक विदेशी मीडिया समूह न्यूयॉर्क टाइम्स अपने पक्षपाती और झूठे लेख से भारत के खिलाफ दुष्प्रचार फैला रहा था। न्यूयॉर्क टाइम्स तथ्यविहीन होने के बावजूद भारत को बदनाम करने पर तुला था। इतना ही नहीं अपितु अमेरिका का न्यूयॉर्क टाइम्स भारत और भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ ईर्ष्या का भाव रखता है क्योंकि नरेंद्र मोदी बिना किसी विदेशी दबाव में आए देश के लिए स्वंतत्र फैसले लेते हैं, जिससे विदेशी वामपंथी मीडिया जल-भून जाते हैं।

आपको ज्ञात होगा जब देश कोरोना के दुसरे लहर से जूझ रहा था तब न्यूयॉर्क टाइम्स ने भारत के श्मशान घाटों में जलती चिताओं की फोटो को पहले पन्ने पर छापकर मोदी सरकार की छवि को खराब करने की कोशिश की थी। इस पूरे मामले को न्यूयॉर्क टाइम्स ने ऐसे पेश किया, मानो कोरोना से संक्रमित होने वाला हर मरीज मर रहा हो। आज भी न्यूयॉर्क टाइम्स अपने पक्षपाती कारनामे से बाज नहीं आ रहा है।

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न्यूयॉर्क टाइम्स को भारत की इतनी चिंता क्यों है

दरअसल, बीते सोमवार को न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसका शीर्षक था, “भारत में कोरोनो के मामलों की संख्या बढ़ने पर भी मास्क पहनना कम हो गया है।”रिपोर्ट में दावा किया गया कि “पिछले साल भारत में डेल्टा वेरिएंट की वजह से कोविड की घातक लहर कम होने लगी थी, जिसके बाद भारत में मास्क पहनना भी कम हो गया था।”

प्रकाशित रिपोर्ट में, भारत के मौजूदा चुनाव को लेकर भी न्यूयॉर्क टाइम्स तंज कसता दिख रहा है। इस मामले में अमेरिकी अखबार ने कहा, “जैसे ही भारतीय शहरों में कोरोनोवायरस के मामले बढ़ने लगे, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता को सतर्क रहने के लिए कहा और वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अन्य उपायों के साथ कर्फ्यू लगा दिया। लेकिन जैसे ही भारत में चुनाव का मौसम आया दोनों दल के नेताओं को उन राज्यों में प्रचार करते देखा गया है, जहां चुनाव होने वाले हैं और उन रैलियों में हजारों लोगों की भीड़ उमड़ रही है, जिनमें से बहुत से लोग बिना मास्क के हैं।”

अमेरिका में बढ़ते कोरोना मामलों की अनदेखी क्यों

न्यूयॉर्क टाइम्स भारत में COVID के मामलों में हुए उछाल को अजीब तरह से प्रदर्शित कर रहा है। रिपोर्ट में लिखा है कि, “भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को 179,723 नए कोविड मामलों की सूचना दी, जो मई के बाद से सबसे अधिक है और ओमीक्रॉन वैरिएंट के लगभग 410 नए मामलों की पहचान की गई है।” अब यह कैसा विरोधाभास है? न्यूयॉर्क टाइम्स भारत में मामलों की संख्या को लेकर चिंतित है, जबकि अमेरिका में खुद बीते सोमवार को 1.35 मिलियन कोरोना के मामले दर्ज किए गए हैं।

संयुक्त राज्य अमेरिका में 136,604 से अधिक लोग अस्पताल में भर्ती हैं, जो देश में महामारी की स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है। अमेरिका की परेशानी यही नहीं ख़त्म हो रही है। दरअसल, अमेरिका में ब्लड बैंक में खून की भारी कमी पाई गई है, जिसने अमेरिकी सरकार को चिंता में डाल दिया है। अमेरिका स्थित अमेरिकन रेड क्रॉस रक्त संकट का सामना कर रहा है। हालांकि, यह बीते एक दशक में यह सबसे बड़ा रक्त संकट है, जिससे रोगियों के देखभाल में संकट की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

इस संकट के बीच, अमेरिका में स्थानीय डॉक्टरों को कठिन निर्णय लेने के लिए मजबूर किया गया, जिसमें उन डॉक्टरों को ब्लड बैंक से जुड़ी सारी समस्या का ध्यान रखने के लिए कहा गया। किन मरीज़ों को कितनी खून की आवश्यकता होगी? इसका ध्यान स्थानीय डॉक्टरों को रखना होगा। आपको बता दें कि अमेरिका में महत्वपूर्ण चिकित्सा उपचारों में होने वाली देरी को रोकने के लिए ब्लड और प्लेटलेट दान की गंभीर रूप से आवश्यकता है। वहीं, इस स्थिति के कारण, अमेरिकी अस्पताल उन रोगियों की बड़ी सर्जरी को टाल रहे हैं, जिन्हें अंग प्रत्यारोपण और कैंसर के इलाज की आवश्यकता है।

न्यूयॉर्क टाइम्स ने की भारत को शर्मसार करने की कोशिश

इस मामले को लेकर रेड क्रॉस के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. पम्पी यंग ने कहा “अस्पताल अभी भी दुर्घटना पीड़ितों, कैंसर रोगियों, सिकल-सेल रोग जैसे ब्लड विकार वाले रोगियों और गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को देख रहे हैं, जिन्हें देश भर में ओमीक्रॉन के मामलों में वृद्धि के बावजूद जीने के लिए ब्लड की आवश्यकता होती है। हम यह सुनिश्चित करने हेतु ब्लडदान बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं कि हर मरीज को बिना देरी के चिकित्सा उपचार मिल सके, लेकिन हम इसे और अधिक दाताओं के बिना नहीं कर सकते। हमें अमेरिकी लोगों की मदद की जरूरत है।”

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रेड क्रॉस ने खुलासा किया है कि दुर्लभ प्रकार के ब्लड की आपूर्ति के मामले में अस्पताल में लगभग एक चौथाई ब्लड की जरूरतें पूरी नहीं हो रही हैं, जो की एक बड़ी समस्या है। रेड क्रॉस ने कहा है कि उसे दुर्लभ प्रकार के ब्लड की एक दिन से भी कम आपूर्ति हुई है। अब ये वाकई अजीब है। किसने कल्पना की होगी कि कोरोना महामारी ब्लड बैंक में खून की कमी को जन्म देगी? लेकिन ऐसा संयुक्त राज्य अमेरिका में हो रहा है। फिर भी, न्यूयॉर्क टाइम्स अपने देश के हालात पर मौन हो कर केवल भारत को शर्मसार करने और उसका मज़ाक बनाने पर तुला है।

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