विदर्भ और बुंदेलखंड भारत के दो ऐसे हिस्से थे, जो विकास की दौड़ में बहुत पीछे छूट गए। विदर्भ और बुंदेलखंड का नाम सुनते ही जो पहली छवि हमारे दिमाग में बनती है, वह सूखे खेतों की, किसी सूखे हैंड पंप या कुएं के पास रखे मटके की अथवा पेड़ से लटके किसानों की होती है। बुंदेलखंड पानी की किल्लत और रोजगार की समस्या में इस प्रकार उलझा कि वहां लंबे समय तक डकैतों का बोलबाला रहा। वहीं, दूसरी ओर विदर्भ भारत के सबसे समृद्ध राज्य महाराष्ट्र में बसने वाले दो भारत की कहानी का प्रत्यक्ष प्रमाण था। एक भारत जो मुंबई के महानगर में बसता था और दूसरा जो विदर्भ के किसी खेत में बादलों के इंतजार में बैठा रहता था।
किंतु समय का चक्र इस प्रकार बदला कि महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश की राजनीति में दो ऐसे नेताओं का प्रादुर्भाव हुआ, जिन्होंने इन दोनों क्षेत्रों की किस्मत बदलने के लिए सराहनीय कार्य किए। महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस ने 5 वर्षों में विदर्भ के लिए जो कर दिखाया, वही कार्य उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ ने बुंदेलखंड के लिए किया है। इस लेख में हम दोनों नेताओं द्वारा विदर्भ और बुंदेलखंड के लिए क्रमश: किए गए कार्यों के बारे में विस्तार से बताएंगे।
और पढ़ें: उत्तर प्रदेश चुनाव में बुंदेलखंड में BJP करेगी “क्लीन स्वीप”
फडणवीस ने विदर्भ को दी एक नई पहचान
विदर्भ की बात करें, तो 228 विधायकों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में विदर्भ से 62 विधायक चुनकर आते हैं, इसके बाद भी विदर्भ की समस्या का कोई समाधान नहीं हो सका था। विदर्भ जो मुख्यतः कृषि पर निर्भर क्षेत्र है, लंबे समय तक सिंचाई व्यवस्था के अभाव के कारण सूखे की मार झेलता रहा। किंतु देवेंद्र फडणवीस ने अपने कार्यकाल में विदर्भ के कायाकल्प के लिए कई सिंचाई योजनाएं चलाई। फडणवीस सरकार ने स्टेट इरीगेशन कॉरपोरेशन को केंद्र की ओर से सीधे फंड आवंटन के लिए नए नियम बनाए।
नए सुधारों के बाद प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना द्वारा सीधे डिविजनल इरिगेशन कॉरपोरेशन को फंडिंग की सुविधा प्राप्त हुई। गोसेखुर्द, बेमब्ला और लोअर वर्धा में लंबे समय से अटके 3 बड़े प्रोजेक्ट पूरे हुए। गोसेखुर्द प्रोजेक्ट राजीव गांधी द्वारा सातवीं पंचवर्षीय योजना में शुरू किया गया था, बेमब्ला प्रोजेक्ट 1992 और लोअर वर्धा प्रोजेक्ट 1981 से अटका हुआ था। फडणवीस सरकार ने वार रूम स्थापित करके इन प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास किए। अकेले गोसेखुर्द प्रोजेक्ट के कारण ही 2,50,800 हेक्टेयर भूमि को सिंचाई व्यवस्था से जोड़ा गया है।
इसके अतिरिक्त विदर्भ के औद्योगिक विकास के लिए केंद्र सरकार की सहायता से मुंबई नागपुर एक्सप्रेस-वे योजना शुरू की गई। यह कार्य भाजपा सरकार में पूरा नहीं हो सका, सरकार बदलने के बाद शिवसेना द्वारा इस प्रोजेक्ट को हटाने के लिए बहुत प्रयास किए गए। हालांकि, केंद्र सरकार के सख्त रुख के कारण उद्धव सरकार इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए राजी हो गई है। इसके अतिरिक्त नागपुर मेट्रो प्रोजेक्ट शुरू हुआ तथा अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में मेट्रो के विकास पर विचार शुरू हुआ। विदर्भ में बिजली आपूर्ति दर सस्ती की गई, जिससे औद्योगिक विकास को तेजी मिल सके।
और पढ़ें: उत्तम प्रदेश में स्वागत है – जहां पांचवां अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट आने वाला है
बुंदेलखंड को सीएम योगी ने संवारा
दूसरी ओर अगर उत्तर प्रदेश की बात करें, तो बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे स्वयं बुंदेलखंड के विकास का सबसे बड़ा प्रमाण है। विदर्भ के पास तो महाराष्ट्र में राजनीतिक शक्ति भी मौजूद है, किंतु बुंदेलखंड उत्तर प्रदेश की राजनीति में बिल्कुल हाशिए पर था। 403 विधानसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश में बुंदेलखंड के हिस्से केवल 19 सीट है, यही कारण था कि पिछली सरकारों ने बुंदेलखंड के विकास पर ध्यान नहीं दिया। किन्तु अब बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे के अतिरिक्त, आर्म्स कॉरिडोर, सुमेरपुर औद्योगिक क्षेत्र के रूप में कई योजनाएं चल रही है। सुमेरपुर औद्योगिक क्षेत्र को बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे के माध्यम से दिल्ली नोएडा के विकसित औद्योगिक क्षेत्र से जोड़ दिया गया है, साथ ही रेलवे कनेक्टिविटी पर भी ध्यान दिया जा रहा है।
सूखे की समस्या को समाप्त करने के लिए केन बेतवा लिंक प्रोजेक्ट बनाया गया है। योगी सरकार ने मध्यप्रदेश सरकार और केंद्र के साथ मिलकर इस प्रोजेक्ट पर काम किया है। इस प्रोजेक्ट से 12 लाख हेक्टेयर सूखा प्रभावित क्षेत्र को सिंचाई सुविधाओं से जोड़ा गया है। इसके अतिरिक्त छोटे बड़े कई प्रोजेक्ट हैं, जिसमें 2,655 करोड़ का अर्जुन सहायक इरिगेशन प्रोजेक्ट, 17 हजार करोड़ की दमोह-पन्ना-छतरपुर जिले की सिंचाई परियोजना आदि प्रमुख हैं। हर घर नल जल परियोजना के कारण बुंदेलखंड में पीने योग्य पानी की किल्लत खत्म हो रही है। साथ ही बुंदेलखंड ऑर्गेनिक फार्मिंग का नया हब बनते जा रहा है।
ऐसे में यह कहा जा सकता है कि बुंदेलखंड और विदर्भ की तस्वीर बहुत बदली है। भाजपा के नेतृत्व में बुंदेलखंड की तस्वीर अभी और बदलेगी। बुंदेलखंड में हुआ कार्य विकास का आदर्श मॉडल और राजनेताओं के लिए दृढ़ संकल्प का अनुकरणीय उदाहरण है।