पंजाब में काँग्रेस पार्टी तबाह होने के कगार पर है। उसके पुराने नेता एक के बाद पार्टी छोड़ रहे हैं। जैसा कि आपको मालूम होगा कि देश भर में चुनाव की तैयारियां ज़ोरों-शोर से चल रही है, कई राजनीतिक नेता विधानसभा चुनाव से कुछ हफ्ते पहले पार्टियां बदल रहे हैं। अब ताजा खबर के अनुसार, काँग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता अमरजीत सिंह टिक्का ने पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 से कुछ ही हफ्ते पहले कांग्रेस पार्टी छोड़ दी है।
पंजाब मध्यम उद्योग विकास बोर्ड (PMIDB) के अध्यक्ष और पार्टी के वरिष्ठ सदस्य अमरजीत सिंह टिक्का ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। उनका इस्तीफा कांग्रेस द्वारा लुधियाना दक्षिण से ईश्वरजोत सिंह चीमा की उम्मीदवारी की घोषणा के ठीक एक दिन बाद आया है। टिक्का लुधियाना दक्षिण निर्वाचन क्षेत्र से टिकट मांग रहे थे लेकिन सिंह के उम्मीदवार के रूप में घोषित होने के बाद उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। कांग्रेस नेता ने इस्तीफा देने का कारण बताते हुए सोनिया गांधी को संबोधित कर, एक त्याग पत्र लिखा है।
अपने पत्र में, अमरजीत सिंह टिक्का ने लिखा, “यह देखना बहुत निराशाजनक है कि पार्टी कैसे अपनी विश्वसनीयता खो रही है क्योंकि मेरे जैसे कार्यकर्ता और कई अन्य जिन्होंने अपना पूरा जीवन कांग्रेस पार्टी की सेवा के लिए समर्पित कर दिया है, उन्हें नजरअंदाज कर दिया जाता है।”
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दक्षिण लुधियाना में उम्मीदवारी के साथ अपनी निराशा को संबोधित करते हुए, अमरजीत सिंह टिक्का ने कहा, “इसके अलावा संगठन को और खराब करने के लिए, कुछ पदों के लिए नए व्यक्तियों, जिनका कोई इतिहास या कद नहीं है, पर विचार किया जा रहा है।”
उन्होंने कहा, “हमारी पार्टी में जो देश की आत्मा थी, वर्तमान स्थिति को देखकर मुझे बहुत दुख होता है। अंत में, मैं पार्टी के सभी पदों और इसकी सदस्यता से इस्तीफा देकर भारी मन से अपनी बात समाप्त करना चाहता हूं।”
पिछले दो महीनों में कई लोग छोड़ चुके हैं पार्टी-
काँग्रेस पार्टी की यह बर्बादी आज की नहीं है। पंजाब में कई मुद्दों पर पहले से ही अंदरूनी कलह का सामना कर रही पार्टी को बड़ा झटका देते हुए दो मौजूदा विधायकों और एक वरिष्ठ नेता ने एक के बाद एक कांग्रेस का साथ छोड़ दिया था।
दिसंबर में कादियान विधायक फतेहजंग सिंह बाजवा और श्री हरगोबिंदपुर विधायक बलविंदर सिंह लड्डी ने भाजपा में शामिल होने की घोषणा की थी। बाद में प्रदेश निकाय पुंगरां के प्रमुख सुखजिंदर राज सिंह लाली मजीठिया ने भी पार्टी छोड़ दी थी। मजीठिया ने अभी तक अपनी भविष्य की योजनाओं की घोषणा नहीं की है लेकिन सम्भवतः वो भाजपा में शामिल हो सकते हैं। ज़ी मीडिया से बात करते हुए, सुखजिंदर राज सिंह लद्दी ने कहा कि उन्होंने मौजूदा पार्टी की अंदरूनी कलह से परेशान होने के कारण इस्तीफा दे दिया है। लल्ली ने कहा कि पंजाब कांग्रेस में अस्वस्थ माहौल आगामी विधानसभा चुनावों में पार्टी को और नुकसान पहुंचाएगा।
पार्टी छोड़ने वाले लोग काफी कद्दावर रहे हैं-
पार्टी छोड़ने वाले फतेहजंग सिंह बाजवा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद प्रताप सिंह बाजवा के छोटे भाई हैं। इस बार कयास लगाए जा रहे थे कि प्रताप सिंह बाजवा कादियान से चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं, जबकि उनके भाई सीट खाली करने को तैयार नहीं थे – एक ऐसी स्थिति जिससे विवाद हो सकता था।
फतेहजंग वही नेता हैं जो सुर्खियों में तब आए थे, जिनके बेटे को पंजाब पुलिस ने नौकरी की पेशकश की थी, जिससे विवाद खड़ा हो गया था।
जोगिंदर मान ने 5 दशक बाद पार्टी छोड़ी-
पार्टी की जो बर्बादी हो रही है, उससे पुराने नेता भी पार्टी छोड़ रहे हैं। पिछले महीने ही मैट्रिक छात्रवृत्ति घोटाले और फगवाड़ा को जिला का दर्जा न मिलने से परेशान जोगिंदर मान ने पार्टी से 50 साल पुराना नाता तोड़ लिया था और पंजाब एग्रो इंडस्ट्रीज कॉरपोरेशन के अध्यक्ष पद से भी इस्तीफा दे दिया था। कांग्रेस के साथ अपने पांच दशक लंबे संबंधों को तोड़ते हुए, पंजाब के पूर्व मंत्री और फगवाड़ा में पार्टी के एक प्रसिद्ध अनुसूचित जाति (एससी) के नेता, जोगिंदर सिंह मान पार्टी द्वारा पुराने नेताओं को नजरअंदाज करने से खफा थे।
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बेअंत सिंह, HS बराड़, राजिंदर कौर भट्टल और कैप्टन अमरिंदर सिंह के मंत्रिमंडल में मंत्री रह चुके फगवाड़ा से तीन बार विधायक रहे जोगिंदर मान ने कहा, “मैंने एक सपना देखा था कि जब मैं मर जाऊंगा, मेरे शरीर पर कांग्रेस का तिरंगा लपेटा जाएगा लेकिन मैट्रिक के बाद छात्रवृत्ति घोटाले के दोषी कांग्रेसी संरक्षकों के साथ, मेरी अंतरात्मा मुझे यहां रहने की अनुमति नहीं देती है।”
बड़ा कारण हैं कैप्टन अमरिंदर सिंह-
कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा पार्टी छोड़ने के बाद काँग्रेस के लिए यह न्यू नार्मल हो गया है। काँग्रेस से जा रहे पुराने नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह की नई नैया को पार लगाने जा रहे हैं। एक बड़े धोखे के बाद अलग हुए कैप्टन अमरिंदर सिंह अपने साथ कई कद्दावर नेताओं को साथ में ले गए हैं। आज पंजाब में भाजपा सबसे मजबूत पार्टी है और सब यह जान रहे हैं कि भाजपा सत्ता में आने वाली है, वैसे यह बगावत अवसरवाद का संकेत भी हो सकती है।