भारत से पैसे को गबन करके विदेश ले जाने वाले लोगों के दिनों का अब अंत होने वाला है। विदेशों में भारतीयों की अघोषित संपत्ति और विदेशों में काले धन के कब्जे के मामलों की जांच के लिए कर विभाग के देशव्यापी जांच विंग में सरकार द्वारा एक विशेष इकाई बनाई गई है। विदेशी संपत्ति जांच इकाई (FAIU) हाल ही में देश के विभिन्न हिस्सों में स्थित कर विभाग के सभी 14 जांच निदेशालयों में बनाई गई हैं। जिन्हें मुख्य रूप से छापे, जब्ती करने और विभिन्न तरीकों से कर चोरी की जांच के लिए खुफिया जानकारी विकसित करने का काम सौंपा गया है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने PTI को बताया कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने पिछले नवंबर में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की मंजूरी के बाद इस इकाई के निर्माण के लिए कर विभाग में कुल 69 मौजूदा पदों को “डायवर्ट” किया था। आपको बताते चलें कि CBDT आयकर विभाग के लिए नीति तैयार करता है। विदेशी संपत्ति जांच इकाई को कर विभाग के विभिन्न जांच निदेशालयों के भीतर भारतीयों द्वारा विदेशों में रखी गई अघोषित संपत्ति और विदेशों में जमा काले धन के मामलों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए नए विंग के रूप में बनाया गया है।
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विदेशी संपत्ति जांच इकाई (FAIU) द्वारा कई व्यक्तियों पर कार्रवाई भी शुरू हो गई है। ऐसे लोगों से वर्ष 2001 के बाद से अपतटीय बैंक खातों, पिछले दो दशकों से निवास की स्थिति, पासपोर्ट प्रतियां और नाम साझा करने के लिए कहा गया है। इसके अलावा विदेशी सेवा प्रदाताओं से भी लेखा जोखा मांगा गया है। विदेशी सेवा प्रदाता पेशेवर संगठन हैं, जो धन रखने के लिए टैक्स हेवन वाहन और ट्रस्ट स्थापित करते हैं।
विदेशी संपत्ति जांच इकाई (FAIU) एक नया ब्रांच है
विदेशी संपत्ति जांच इकाई, आयकर (I-T) विभाग के तहत एक नवगठित विंग है। यह उन लोगों पर कार्रवाई कर रहा है, जिनके पैसे विदेश में है। तीन लोगों ने ईटी को बताया कि नोटिस और समन पिछले 10 दिनों के दौरान एयर इंडिया और मुंबई में आईटी विभाग के सिंधिया हाउस कार्यालयों में विदेशी संपत्ति जांच इकाई (FAIU) सेल द्वारा जारी किए गए। यह नोटिस आयकर अधिनियम, 1961 के धारा 131 (1A) के तहत जारी किया गया है। आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 131 (1A) के तहत जारी नोटिस के प्राप्तकर्ता को बैंक खातों के ‘परिचयकर्ता’ या ‘गारंटर’ आदि का नाम बताना होगा। उन्हें यह भी सूचित करना होगा कि क्या इन खातों का कर रिटर्न में खुलासा किया गया था, क्या खातों में जमा किए गए धन पर कर का भुगतान किया गया था। उन्हें स्रोत और सहायक दस्तावेजों के साथ-साथ खातों और लेनदेन को खोलने और बंद करने की तारीख से बैंक विवरण प्रदान भी करना होगा।
लॉ फर्म खेतान एंड कंपनी में पार्टनर आशीष मेहता ने कहा, “जहां तक विस्तृत अवधि के लिए डेटा मांगा गया है, तथ्यों की अनुमति है, यह संभव है कि कोई यह तर्क दे सकता है कि ऐसे पुराने रिकॉर्ड नहीं रखे गए हैं। यहां तक कि आईटी अधिनियम के तहत, फिर से खाते खोलने के नोटिस अब केवल 10 साल पीछे जारी किए जा सकते हैं।” गौरतलब है कि अप्रैल 2021 से पहले, अपतटीय परिसंपत्तियों के लिए पुन: खोलने की अवधि 16 वर्ष थी; वित्त अधिनियम 2021 के तहत इसे घटाकर 10 वर्ष कर दिया गया था।
आशीष मेहता ने कहा, “अधिनियम के तहत एकत्र किए गए डेटा का इस्तेमाल काला धन अधिनियम को लागू करने के लिए भी किया जा सकता है।” उन्होंने कहा, काला धन अधिनियम के विभिन्न पूर्वव्यापी पहलुओं को विभिन्न अदालतों के समक्ष चुनौती दी जा रही है और जब तक इन मामलों का फैसला नहीं हो जाता, तब तक करदाताओं को इस तरह की कार्यवाही में सावधानी से चलने की आवश्यकता होगी।
BMA, भगोड़ा कानून और FAIU की तिकड़ी करेगी कमाल
बताते चलें कि काला धन (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) और कर अधिनियम या बीएमए, जिसे अघोषित विदेशी आय और संपत्ति पर लगाया जाता है, 1 अप्रैल 2016 को लागू हुआ। इसके जरिए विदेशी संपत्तियों से होने वाली आय को छुपाने और कर चोरी पर 10 साल की सजा हो सकती है, इसके अलावा 300 प्रतिशत जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
दूसरी ओर मोदी सरकार ने विदेश में भारतीय पैसों को गबन करके बैठने वाले लोगों के लिए भगोड़ा कानून बना रखा है। यह कानून विदेश में छिपकर भारत की कानूनी प्रक्रिया से बचने वाले भगोड़े आर्थिक अपराधियों पर लगाम कसता है। इस कानून के तहत सरकार के पास उनकी संपत्ति जब्त करने और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई के अधिकार हैं। इस कानून में यह प्रावधान किया गया है कि आर्थिक अपराध करने वाले भगोड़ों की देश के भीतर और बाहर सभी बेनामी संपत्तियां जब्त की जाएंगी।
इसके तहत यदि आपका काला धन वर्ष 2005 का है, तो अब वर्ष 2005 से अभी तक की आय की समीक्षा होगी। आप विदेश में होंगे, तो आपको भगोड़े कानून के तहत वापस भारत लाया जाएगा। भ्रष्टाचार चाहे जब हुआ हो, खाते की जांच फिर से चलनी ही चलनी है। अब विदेशी संपत्ति जांच इकाई (FAIU) को बनाकर सरकार ने एक नया दांव खेला है। FAIU के अधिकांश पत्र एक ही अशुभ पंक्ति से शुरू होते हैं, “विश्वसनीय स्रोतों से जानकारी इंगित करती है कि आपके पास भारत के बाहर स्थित विदेशी बैंक खाता/संपत्ति है।” सरकार के इस कदम से भारत में पूर्ववर्ती सरकार के तमाम लोग और उनके आदमियों के घर पर जल्द ही नोटिस पहुंच सकता है।