विश्व का सर्वेश्रेठ संगठन संयुक्त राष्ट्र संघ आज के समय में जनमत संग्रह कराये तो 90 फीसदी लोग पाकिस्तान के आततायी और बर्बर शासन से मुक्ति के पक्ष में मत करेंगे। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि हाल ही में बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी के मजीद ब्रिगेड ने बीते गुरुवार को पाकिस्तान के दो सैन्य शिविरों पर हमला कर 100 से अधिक पाक सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया है। बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) समूह ने मीडिया एजेंसी को भेजे गए एक आधिकारिक बयान में हमले की जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि उसके आत्मघाती हमलावरों ने ठिकानों के प्रवेश द्वार पर विस्फोटकों से भरे वाहनों के माध्यम से विस्फोट किया, जिसमें 100 से अधिक सैनिक मारे गए थे।
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बलूचिस्तान में मारे गए पाकिस्तान के सैनिक
यह हमला दो लोकेशन पर किया गया। नोशकी में 45 पाक सैनिक मारे गए जबकि पंजगुर में 50 सैनिकों के मारने का दावा किया गया है। हमला रात के वक्त हुआ। वहीं, कुछ घंटे बाद हमलावरों ने उत्तर में लगभग 500 किमी (300 मील) की दूरी पर नोशकी जिले में एक सुरक्षा शिविर में घुसने की कोशिश की। 3 फरवरी, 2022 को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में संगठन के प्रवक्ता जियंद बलूच ने कहा कि पाकिस्तान के पंजगुर और नुश्की सैन्य शिविरों के प्रमुख हिस्से अभी भी उसके नियंत्रण में हैं। प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, “शिविरों के बड़े हिस्से को पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया है। दुश्मन बलों के लिए बैकअप सैनिक पहुंच गए हैं। इसके बावजूद वे शिविर के अंदर की स्थिति को कमजोर करने में विफल रहे हैं।”
बलूच लिबरेशन आर्मी ने यह भी दावा किया कि पाकिस्तान ने उस क्षेत्र में मीडिया रिपोर्टिंग को प्रतिबंधित कर दिया है। बिजली और दूरसंचार नेटवर्क को काट दिया गया था। आतंकवादी समूह ने कहा कि पाकिस्तान सशस्त्र बलों के इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस द्वारा हमलों को निरस्त करने का दावा झूठा था। बलूच लिबरेशन आर्मी ने कहा, “आज का अभियान अभी भी पूरी तीव्रता के साथ जारी है और रहेगा।”
बता दें कि बलूचिस्तान प्रांत पाकिस्तान में सबसे बड़ा, सबसे कम आबादी वाला और सबसे गरीब प्रांत है। बलूच समूहों ने बलूच क्षेत्रों के लिए लंबे समय से स्वतंत्रता की मांग करते हुए पूरे प्रांत में नियमित रूप से पाक सुरक्षा बलों को निशाना बनाते रहे है। आपकों बता दें कि बलूचिस्तान के लोग ना के बराबर चुनाव में भाग लेते हैं और पिछले महीने ही स्वतन्त्रता संग्राम को तेज़ करने के लिए बलूचिस्तान रिपब्लिकन आर्मी और यूनाइटेड बलूच आर्मी का विलय करा के बलूचिस्तान नेशनलिस्ट आर्मी की स्थापना हुई थी।
क्या कहा पाकिस्तान की सेना ने?
इससे पहले पाकिस्तानी सेना के मीडिया विंग ने कहा था कि सशस्त्र हमलावरों ने बलूचिस्तान प्रांत में सुरक्षा बलों के दो शिविरों पर हमला किया, जिसके बाद भीषण गोलीबारी हुई, जिसमें कम से कम चार आतंकवादी और एक सैनिक मारे गए। इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस ने एक बयान में कहा,“दोनों हमलों को सफलतापूर्वक नाकाम कर दिया गया, जिससे आतंकवादियों को भारी नुकसान हुआ।” पाक सेना का यह बयान बलूच लिबरेशन आर्मी के बयान के ठीक उलट है।
वैसे भी पाकिस्तानी सेना के कथनों पर भरोसा नहीं किया जा सकता। इतिहास साक्षी रहा है कि पाक सेना ने हमेशा से अपने हार को झूठ बोलकर जीत में परिवर्तित करने की कोशिश की है। एक सप्ताह पूर्व बलूच लिबरेशन आर्मी ने केच जिले में एक चेकपोस्ट पर हमला कर दस पाक सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था और 30 घंटे के बाद जनरल बाजवा ने इसे आखिरकार स्वीकार किया था।
चीन की चिंता
वहीं, एक पाकिस्तानी सुरक्षा अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि हमले में इस्तेमाल किए गए उपकरणों ने गंभीर सवाल उठाए हैं कि आखिर कौन इन्हें इतने आधुनिक साजो-सामान और सहायता प्रदान कर रहा था? हमलावरों ने अत्याधुनिक हथियारों और उपकरणों जैसे AM-16, 7D राइफल, विदेश निर्मित नाइट विजन डिवाइस का भी इस्तेमाल किया। बलूच आमतौर पर गुरिल्ला सेना के रूप गैस परियोजनाओं, बुनियादी ढांचे और सुरक्षा बलों पर हमला करते हैं। पर, यह हमला अत्यंत पेशेवर और योजनाबद्ध लग रहा था मानो किसी आधुनिक सैन्य पलटन ने किया हो। हाल के दिनों में बलूच चीनी परियोजनाओं और कभी-कभी पाकिस्तानी आश्वासन के बावजूद चीनी श्रमिकों को भी नुकसान पहुँचाने लगे हैं। वैसे इस हमले से पाकिस्तान से ज्यादा चीन परेशान है।
इसके पीछे का महत्वपूर्ण कारण है चीन की ‘वन बेल्ट, वन रोड’ परियोजना। चीन इसे अपने राष्ट्रीय सम्मान से जोड़कर देखता है। इस परियोजना के तहत चीन अपनी एतिहासिक सिल्क रूट को पुनः जिंदा करना चाहता है ताकि वो चीन को पूरे विश्व के साथ सड़क मार्ग से जोड़ सके। इस परियोजना के एक हिस्से के तहत चीन पाकिस्तान में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के निर्माण हेतु 60 अरब डॉलर का निवेश कर रहा है। इस गलियारे के तहत चीन ग्वादर को एक अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह के रूप में विकसित कर रहा है, जो सड़क मार्ग से चीन की पहुँच खाड़ी देशों तक कर देगा।
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बलूचों के स्वतन्त्रता की मांग अब अंतरराष्ट्रीय पटल पर
ऐसे में, पाक के प्रधानमंत्री इमरान खान के बीजिंग में शीतकालीन ओलंपिक खेलों के उद्घाटन समारोह के लिए रवाना होने से एक दिन पहले यह हमला हुआ है। इस हमले ने पाक सेना की दुर्बलता, कायरता और झूठ की पोल खोल दी है। इसके साथ-साथ पाक सेना की बर्बरता और बलूचों के स्वतन्त्रता की मांग को भी अंतरराष्ट्रीय पटल पर ला दिया है। प्रथम दृष्टया इस हमले को छिपाने, फिर गलत आंकड़े बताने और उस क्षेत्र में मीडिया को न जाने देने की नीति हमें पाक के बालाकोट और सर्जिकल स्ट्राइक के झूठे मॉडल की याद दिलाती है। ज़रा पाक सेना की तथाकथित नाकामी के बारे में सोचिए वो अब तक उन पोस्ट पर कब्जा नहीं कर पाई है।